उत्तरकाशी में किडनी चोरी का सनसनीखेज मामला जिला न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से वैज्ञानिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिए आदेश

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उत्तरकाशी में किडनी चोरी का सनसनीखेज मामला जिला न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से वैज्ञानिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिए आदेश

वरिष्ठ संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह

(उत्तराखंड)उत्तरकाशी: चिकित्सकों को भगवान का दर्जा यूं ही नहीं दिया जाता कई चिकित्सकों ने मौत के खींचकर कईयों को जीवनदान दिया है, डाक्टर इंसानों के ही नहीं जानवरों के भी होते हैं बेजुबानों की भाषा मात्र चिकित्सक ही समझ सकते हैं उनके सभी प्रकार के रोगों का इलाज कर उनको भी जीवन प्रदान करते हैं लेकिन चंद चिकित्सकों ने आज अपनी काली करतूतों से इसे अपनी जेबें गरम करने का माध्यम बना भगवान के दर्जे को धत्ता बता मानव अंग का व्यापार कर अपनी श्रेणी को कलंकित कर दिया। बड़े शहरों में मानव अंग का व्यापार तो आम था लेकिन सीमांत जनपद में ये चोरी यकीन नहीं करने योग्य नहीं……. ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले चिकित्सकों का लाइसेंस जब्त कर उनकी पीढ़ियों को भी मेडिकल पढ़ाई बेन कर देनी चाहिए

जनपद में किडनी चोरी के एक सनसनीखेज प्रकरण में जिला न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए सक्षम मेडिकल बोर्ड से वैज्ञानिक जांच कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश सुभनी देवी बनाम अश्वनी कुमार चौबे वाद में पारित किया गया है, जिसमें पीड़िता की ओर से अधिवक्ता अंकित बंठवाण द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, उत्तरकाशी के आदेश के विरुद्ध दायर निगरानी याचिका के माध्यम से हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रार्थिनी सुभनी देवी, जो मोरी क्षेत्र के एक दूरस्थ और दुर्गम पर्वतीय गाँव की निवासी हैं तथा अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाली एक निर्धन मजदूर महिला हैं, ने गंभीर आरोप लगाए हैं। सुभनी देवी ने कहा है कि अप्रैल 2014 में पेट दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल उत्तरकाशी में भर्ती होने पर सर्जन अश्वनी कुमार चौबे द्वारा उनके पित्त की थैली का ऑपरेशन किया गया था। प्रार्थिनी के अनुसार, ऑपरेशन से पूर्व कराए गए अल्ट्रासाउंड में उनकी दोनों किडनियाँ सामान्य अवस्था में पाई गई थीं। किंतु ऑपरेशन के बाद उनके पेट दर्द की समस्या लगातार बनी रही।

सालों तक इलाज के बावजूद कोई राहत नहीं मिलने पर जब उन्होंने 27 जनवरी 2023 को देहरादून स्थित कोरोनेशन अस्पताल तथा बाद में महंत इन्द्रेश अस्पताल में जांच कराई, तो इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा हुआ कि उनकी बाईं किडनी गायब है। सुभनी देवी ने आरोप लगाया है कि पित्त की थैली के ऑपरेशन के दौरान ही उनकी किडनी चोरी की गई।

इस गंभीर आरोप के संबंध में सुभनी देवी ने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के अंतर्गत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, उत्तरकाशी के समक्ष अभियोजन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। हालांकि, अवर न्यायालय ने इसे प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध न मानते हुए खारिज कर दिया था। इस आदेश के विरुद्ध अधिवक्ता अंकित बंठवाण ने जिला जज न्यायालय, उत्तरकाशी में निगरानी याचिका दाखिल की थी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायालय ने माना कि लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं और मात्र सरसरी परीक्षण से उनकी सत्यता नहीं जानी जा सकती। न्यायालय ने कहा कि आरोप वैज्ञानिक साक्ष्यों से जुड़े हैं, अतः सक्षम मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट प्राप्त कराना आवश्यक है।

न्यायालय ने अवर न्यायालय के आदेश को त्रुटिपूर्ण ठहराते हुए उसे अपास्त कर दिया और निर्देश दिया कि प्रार्थिनी द्वारा प्रस्तुत दाण्डिक निगरानी स्वीकार की जाती है। विद्वान अवर न्यायालय का दिनांक 01.04.2024 का आदेश अपास्त किया जाता है। अवर न्यायालय को निर्देशित किया जाता है कि वह सक्षम मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट प्राप्त कर विधि सम्मत आदेश पारित करे।

उत्तरकाशी जिले में इस आदेश को पीड़िता के न्याय प्राप्ति के संघर्ष में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। साथ ही, यह मामला चिकित्सा क्षेत्र में कथित अनियमितताओं और मानव अंगों की अवैध तस्करी के गंभीर आरोपों की ओर समाज और प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर रहा है। अब सभी की निगाहें मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट पर टिक गई हैं, जो इस पूरे प्रकरण की सच्चाई को उजागर करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। रिपोर्ट के निष्कर्ष न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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