मायके मुखवा और खरसाली से अपने धामों के लिए रवाना हुईं मां गंगा और मां यमुना की डोलियां, 30 अप्रैल(आज) खुलेंगे कपाट


मुखवा और खरसाली मायके से अपने धामों के लिए रवाना हुईं मां गंगा और मां यमुना की डोलियां, 30 अप्रैल(आज) खुलेंगे कपाट
संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह
उत्तरकाशी। चारधाम यात्रा के शुभारंभ से पूर्व आज आस्था और परंपरा के पावन संगम का साक्षी बना उत्तरकाशी, जब मां गंगा और मां यमुना की उत्सव डोलियों ने अपने-अपने शीतकालीन प्रवास स्थलों से विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की ओर प्रस्थान किया। श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण इस ऐतिहासिक यात्रा का शुभारंभ आज पूर्वाह्न 11:57 बजे हुआ, जब मां गंगा जी की डोली मुखवा गांव से मंत्रोच्चारण और वैदिक विधियों के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई। यात्रा के पहले दिन मां गंगा की डोली रात्रि विश्राम के लिए भैरव मंदिर (भैरवघाटी) में ठहरेगी। इसके बाद 30 अप्रैल को डोली गंगोत्री धाम पहुंचेगी, जहां विधिवत पूजा-अर्चना के उपरांत मां गंगा श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु अपने मंदिर में विराजमान होंगी।
उधर, मां यमुना जी की डोली भी 30 अप्रैल 2025 को सुबह 8 बजे अपने शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी। पारंपरिक गीत-संगीत और धार्मिक विधानों के साथ निकाली जा रही डोली यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं तीर्थपुरोहित सम्मिलित हो रहे हैं। यमुनोत्री पहुंचने के पश्चात डोली मंदिर परिसर में विधिवत पूजा के बाद विराजमान की जाएगी और कपाटोद्घाटन के साथ ही मां यमुना के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए सुलभ हो जाएंगे।
दोनों धामों की ओर बढ़ रही यह यात्रा केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखती, बल्कि यह देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और आस्था का प्रतीक भी है। मां गंगा और मां यमुना की यह यात्रा उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के शुभारंभ का संकेत है, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पुलिस-प्रशासन द्वारा यात्रा मार्गों पर सुरक्षा और सुगम आवागमन के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
गौरतलब है कि गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट 30 अप्रैल को वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ खोले जाएंगे। इसी के साथ आधिकारिक रूप से चारधाम यात्रा 2025 का श्रीगणेश हो जाएगा, जो उत्तराखंड की आर्थिकी, पर्यटन और धार्मिक जीवन में नई ऊर्जा का संचार करेगा।
इस बार मां गंगा और मां यमुना की डोलियों की यात्रा को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और तीर्थपुरोहितों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। मुखवा और खरसाली गांवों में डोलियों की विदाई से पूर्व पारंपरिक वाद्य यंत्रों, ढोल-दमाऊं और धार्मिक गीतों के बीच विशेष पूजा-अर्चना की गई। मुखवा गांव से गंगोत्री और खरसाली से यमुनोत्री धाम तक की यह यात्रा ना केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उन परंपराओं का निर्वहन भी है, जो सदियों से बदली नहीं हैं और हर वर्ष पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ दोहराई जाती हैं।
डोलियों की यात्रा के दौरान मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा पुष्प वर्षा की जाती है और विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा स्वागत सत्कार किया जाता है। स्थानीय युवाओं से लेकर वृद्धों तक, हर कोई इस पावन यात्रा का हिस्सा बनना अपना सौभाग्य मानता है। यात्राओं के दौरान देव डोलियों को लेकर चल रहे काफिले में ढोल-दमाऊं की थाप और जयकारों से वातावरण गूंजता रहता है। इस बार प्रशासन द्वारा यात्रा मार्गों की सफाई, स्वास्थ्य सेवाएं और आपदा प्रबंधन की दृष्टि से विशेष इंतजाम किए गए हैं।
मंदिर समिति, वन विभाग, पुलिस प्रशासन एवं स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के समन्वय से यात्रा को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए समर्पण भाव से कार्य किया जा रहा है। इस पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंच चुके हैं और 30 अप्रैल को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में कपाट खुलने की शुभ घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह यात्रा उत्तराखंड के आध्यात्मिक जीवन का एक ऐसा पर्व बन चुकी है, जो भक्तों के जीवन में नई आस्था, ऊर्जा और संस्कारों का संचार करता है।
चारधाम यात्रा की शुरुआत हर साल इसी भव्य परंपरा के साथ होती है, और मां गंगा व मां यमुना की डोलियों की यह यात्रा आस्था की अविरल धारा के रूप में जन-जन को जोड़ती है। हिमालय की गोद से निकलती ये देव यात्राएं एक ओर जहां पर्यावरण चेतना और प्रकृति से जुड़ाव का संदेश देती हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक पर्यटन के माध्यम से स्थानीय आजीविका का भी आधार बनती हैं। 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलते ही देवभूमि एक बार फिर आस्था, श्रद्धा और दिव्यता से ओत-प्रोत हो उठेगी।


