विषम परिस्थितियों से हंसकर जूझने के कारण ही कहा जाता है, आईटीबीपी के जवानों को ” हिमवीर”
विषम परिस्थितियों से हंसकर जूझने के कारण ही कहा जाता है, आईटीबीपी के जवानों को ” हिमवीर,”
लोहाघाट। विषम परिस्थितियों का साहस के साथ मुकाबला करते हुए सीमा की रक्षा एवं हंसते हुए नागरिकों की सुरक्षा करने वाले आईटीबीपी के जवानों को यूं ही “हिमवीर”नहीं कहलाये जाते हैं । इस बीच मौसम में आए बदलाव के कारण जहां सर्वत्र, प्रकृति ने अपनी सफेद मोटी चादर बिछाई हुई है तथा ठंड एवं ठिठुरन के कारण लोग अपने घरों में दुबके हुए है ,ऐसे मौसम में 11 से 15 हजार फिट की ऊंचाई में स्थित आइटीबीपी के हिमवीर बर्फ की कई फिट मोटी चादर के बीच जहां हाड़ कपा देने एवं खून जमा कर देने वाली बर्फीली हवाओं के बीच रहते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर सीमाओं कि रक्षा कर रहे होंगे? इसका अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाली जोलिंगकौग , धाकड़, दावे , वेदांग , कुटि आदि अग्रिम चौकियों में बर्फ को काटते हुए पेट्रोलिंग करने में पग -पग में जीवन का खतरा बना रहता है, लेकिन इस नाजुक स्थिति में भी आइटीबीपी के हिमवीर अपने कर्तव्य पालन एवं सीमाओं की सुरक्षा को अपना राष्ट्रीय धर्म और कर्म मानते हुए उनके कदम चलते रहते हैं।
छत्तीसवीं वाहिनी के कमांडेंट डीपीएस रावत का कहना है कि विषम परिस्थितियों से जूझना व हंसते खेलते आगे बढ़ते हुए सीमाओं की रक्षा के लिए ही आइटीबीपी का जन्म हुआ है। ऐसे परिवेश में अपने दायित्वों का निर्वाह करने का अलग ही आनंद होता है। हम सब अपने को भाग्यशाली मानते हैं कि हम राष्ट्र की आन- बान – शान की रक्षा के लिए हमें अभूतपूर्व शक्ति व सामर्थ कहा से मिलती है ? यह हम सब पर ऊपर वाले कि विशेष कृपा है ।