भगीरथी बाबा की नगरी उत्तरकाशी में उपेक्षा और प्रदूषण की शिकार, विभागीय अधिकारी नहीं ले रहे सुध

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भगीरथी बाबा की नगरी उत्तरकाशी में उपेक्षा और प्रदूषण की शिकार, विभागीय अधिकारी नहीं ले रहे सुध

सुरेंद्र पाल सिंह, उत्तरकाशी

भगीरथी नदी को उत्तरकाशी में खुलेआम प्रदूषित किया जा रहा है। घरेलू कूड़े-कचरे और सीवर के पानी के अलावा, नदी किनारे स्थित कम से कम दो मिनरल वाटर प्लांट्स का कचरा भी इसमें डाला जा रहा है।

गंगोत्री के मूल स्रोत “गौमुख” में भगीरथी का जल शुद्ध होता है, लेकिन जैसे ही यह उत्तरकाशी जिले में आगे बहती है, विभिन्न स्रोतों से गंदा पानी इस पवित्र नदी में मिल जाता है। असी गंगा और डुंडा क्षेत्र में स्थित मिनरल वाटर प्लांट्स से निकलने वाला अपशिष्ट सीधे नदी में बहाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, घाटों पर फैला कूड़ा-कचरा और धार्मिक गतिविधियों के लिए लाई गई सामग्री भी नदी को दूषित कर रही है।

अधिकारी दावा करते हैं कि गंगा की सफाई और उसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए काफी धनराशि खर्च की जाती है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे उलट है। ‘नमामि गंगे’ मिशन के तहत किए जा रहे प्रयासों के बावजूद भगीरथी को खुलेआम प्रदूषित किया जा रहा है।

मिनरल वाटर प्लांट्स के कचरे के अलावा, स्थानीय होटलों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाला कचरा भी नदी में डाला जा रहा है। तीर्थयात्रियों द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं, जैसे प्लास्टिक, भी भगीरथी में मिल जाती हैं।

स्थानीय जागरूक नागरिकों का मानना है कि केवल जागरूकता फैलाना और कचरा प्रबंधन पर्याप्त नहीं है, बल्कि कठोर कदम उठाने होंगे ताकि नदी को लगातार प्रदूषित होने से रोका जा सके।

जब उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित को भगीरथी के प्रदूषण से संबंधित वीडियो दिखाए गए, तो उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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