राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते यूट्यूबर


राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते यूट्यूबर
(संदीप सृजन-विनायक फीचर्स)
ज्योति मल्होत्रा का मामला एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है, जिसका भंडाफोड़ हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद हुआ। इस हमले के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश भर में सक्रिय जासूसों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, हरियाणा और पंजाब से छह लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें ज्योति मल्होत्रा प्रमुख हैं। अन्य गिरफ्तार व्यक्तियों में गजाला, यामीन मोहम्मद, और देविंदर सिंह ढिल्लो शामिल हैं। ये सभी कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन के एक अधिकारी, अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश, के संपर्क में थे।
ज्योति की गिरफ्तारी से पहले पंजाब पुलिस ने मलेरकोटला से गजाला और यामीन मोहम्मद को गिरफ्तार किया था। गजाला का काम दानिश से पैसे लेकर जासूसों तक पहुंचाना था, जबकि यामीन हवाला और अन्य माध्यमों से धनराशि ट्रांसफर करने में शामिल था। पूछताछ के दौरान इन दोनों ने ज्योति और अन्य जासूसों के नाम उजागर किए। हरियाणा के कैथल से गिरफ्तार देविंदर सिंह ढिल्लो ने 2024 में गुरु नानक जयंती के अवसर पर पाकिस्तान की यात्रा की थी, जहां उसे हनी ट्रैप में फंसाकर पटियाला कैंट की तस्वीरें और वीडियो साझा करने के लिए मजबूर किया गया।
ज्योति मल्होत्रा का पाकिस्तान कनेक्शन 2023 में शुरू हुआ, जब वह अपने यूट्यूब चैनल के लिए वीजा लेने दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन गई थीं। वहां उनकी मुलाकात अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई, जो पाकिस्तान हाई कमीशन में कार्यरत एक अधिकारी था। दानिश ने ज्योति को पाकिस्तान की यात्रा के लिए प्रोत्साहित किया और उनके ठहरने और घूमने की व्यवस्था की। ज्योति ने 2023 और 2024 में तीन बार पाकिस्तान की यात्रा की, जहां उनकी मुलाकात दानिश के परिचित अली अहवान, शाकिर, और राणा शहबाज जैसे व्यक्तियों से हुई। इनमें से कुछ लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए काम करते थे।
ज्योति ने अपने मोबाइल में शाकिर का नंबर ‘जट रंधावा’ के नाम से सेव किया था ताकि किसी को शक न हो। वह व्हाट्सएप, टेलीग्राम, और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से इन लोगों के साथ संपर्क में थी। पूछताछ में ज्योति ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ “राष्ट्र-विरोधी” जानकारी साझा की थी, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती थी। उनके यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो में पाकिस्तान की सकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की गई, जिसे अब जांच एजेंसियां संदिग्ध मान रही हैं।
ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने उनकी आर्थिक स्थिति और जीवनशैली पर भी सवाल उठाए हैं। उनके यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ से होने वाली आय का अनुमान लगाया गया है। यूट्यूब विज्ञापनों से प्रति 1,000 व्यूज पर 1-3 डॉलर (80-240 रुपये) की कमाई होती है। यदि उनके वीडियो पर औसतन 50,000 व्यूज आते थे और वह महीने में 10 वीडियो पोस्ट करती थीं, तो उनकी मासिक आय 40,000 से 1.2 लाख रुपये के बीच हो सकती थी। इसके अलावा, ब्रांड डील्स और स्पॉन्सरशिप से भी उनकी कमाई होती थी। एक अनुमान के अनुसार, वह प्रति ब्रांड पोस्ट 20,000 से 50,000 रुपये चार्ज करती थीं, जिससे उनकी मासिक आय 80,000 से 2.7 लाख रुपये तक हो सकती थी।
ज्योति की कुल नेटवर्थ 15 से 40 लाख रुपये के बीच होने का अनुमान है, जो उनकी आय, खर्च, और जीवनशैली पर निर्भर करता है। हालांकि, पुलिस जांच में यह सामने आया कि उनकी आय उनके खर्चों से कहीं अधिक थी, जिसने विदेशी फंडिंग की संभावना को जन्म दिया। उनके बैंक खातों और वित्तीय लेन-देन की जांच चल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उन्हें पाकिस्तान या अन्य स्रोतों से धन प्राप्त हो रहा था।
ज्योति मल्होत्रा का मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है। हिसार के पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ज्योति को अपनी संपत्ति के रूप में विकसित कर रही थी। वह अन्य यूट्यूबरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों के संपर्क में थी, जो पाकिस्तानी एजेंटों के साथ मिलकर काम कर रहे थे। यह एक तरह का “सूचना युद्ध” है, जिसमें पाकिस्तान सोशल मीडिया के माध्यम से भारत के खिलाफ अपनी कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस ने ज्योति के मोबाइल और लैपटॉप की फोरेंसिक जांच शुरू की है, जिसमें कई पाकिस्तानी नंबर कोड नेम के तहत सेव मिले हैं। उनकी ट्रैवल हिस्ट्री की भी जांच हो रही है, जिसमें यह देखा जा रहा है कि उन्होंने 2023 से 2025 तक भारत में किन राज्यों और विदेशों में किन देशों की यात्रा की। खास तौर पर, उनकी पाकिस्तान यात्राओं के दौरान अली अहवान, शाकिर, और राणा शहबाज जैसे व्यक्तियों से मुलाकात की जांच हो रही है।
ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली और जम्मू-कश्मीर से जांच एजेंसियां हिसार पहुंचीं ताकि उससे पूछताछ की जा सके। यह मामला पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा हुआ माना जा रहा है, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जासूसी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई तेज की। भारत सरकार ने 13 मई, 2025 को पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारी दानिश को जासूसी के आरोप में देश से निष्कासित कर दिया था। दानिश इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जा रहा है, जो पैसे और हनी ट्रैप जैसे तरीकों से भारतीय नागरिकों को अपने जाल में फंसा रहा था।
पंजाब और हरियाणा में सक्रिय इस जासूसी नेटवर्क में शामिल अन्य व्यक्तियों की भी जांच चल रही है। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि ज्योति और अन्य जासूसों ने किन-किन जानकारियों को साझा किया और इस नेटवर्क में कितने लोग शामिल हैं। यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा माना जा रहा है, क्योंकि संवेदनशील जानकारी का रिसाव सैन्य और रणनीतिक स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है।
ज्योति मल्होत्रा का मामला सामाजिक और नैतिक सवाल भी उठाता है। एक तरफ, वह अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से सांस्कृतिक एकता और सद्भाव का संदेश दे रही थीं, लेकिन दूसरी तरफ, उन पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप है। उनके वीडियो में पाकिस्तान की तारीफ और दोनों देशों के बीच दोस्ती की बातें थीं, लेकिन अब यह सवाल उठता है कि क्या यह सब एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था।
ज्योति के पिता, हरिस कुमार, ने उनकी गिरफ्तारी पर बयान दिया कि उनकी बेटी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि ज्योति केवल कंटेंट क्रिएशन के लिए यात्राएं करती थीं और उनकी सभी यात्राएं अनुमति के साथ थीं। हालांकि, जांच एजेंसियों के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत होने का दावा है, जिसमें उनके डिवाइसों से बरामद डेटा और उनकी पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत शामिल है।
ज्योति मल्होत्रा का मामला यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया अब केवल मनोरंजन या जानकारी साझा करने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह जासूसी और सूचना युद्ध का एक नया हथियार बन गया है। यूट्यूबर और इन्फ्लुएंसर, जो लाखों लोगों तक अपनी पहुंच रखते हैं, संवेदनशील जानकारी साझा करने का एक आसान जरिया बन सकते हैं। ज्योति जैसे लोग, जो अपनी यात्राओं और वीडियो के माध्यम से एक सकारात्मक छवि बनाते हैं, आसानी से लोगों का भरोसा जीत सकते हैं, लेकिन उनकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।
हिसार के पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने इसे “एक तरह का युद्ध” करार दिया, जिसमें पाकिस्तान प्रभावशाली लोगों को भर्ती करके अपनी कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। ज्योति का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सोशल मीडिया के माध्यम से न केवल जानकारी साझा की जा सकती है, बल्कि इसे एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
ज्योति मल्होत्रा और अन्य जासूसों की गिरफ्तारी ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने एक नई चुनौती पेश की है। यह मामला न केवल जासूसी नेटवर्क के खतरे को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डिजिटल युग में सूचना युद्ध कितना जटिल और खतरनाक हो सकता है। ज्योति का मामला एक चेतावनी है कि सोशल मीडिया की पहुंच और प्रभाव का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता और समय पर कार्रवाई ने इस नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, लेकिन यह सवाल अब भी बाकी है कि ऐसे कितने और लोग इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। यह मामला न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक सबक है कि डिजिटल दुनिया में सावधानी और जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है।
(विनायक फीचर्स)



