“पहाड़ के तीन नरैण- नौलिंग, बजैंण, शिखर, मुवैण के लेखक उमेश राठौर”अलबेला” दुनिया को कह गए अलविदा….गुरुवार को सरयू गोमती संगम पर बेटियों ने चिता को मुखाग्नि दी

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बागेश्वर के लोक कलाकार, फिल्मकार, पत्रकार व साहित्यकार उमेश सिंह राठौर का 62 वर्ष की उमर में निधन हो गया है। उनके निधन से प्रदेशवासियों में शोक की लहर दौड़ गई है। गुरुवार को सरयू-गोमती संगम पर उनकी बेटियों ने चिता को मुखाग्नि दी।

जनपद बागेश्वर अंतर्गत कमेड़ी देवी के ग्राम भंतोला निवासी लोक कलाकार उमेश राठौर ने 1974 में *उन आंखो में डूब न सकी अलबेला* नामक उपन्यास की रचना की। जिसके उपरांत यह *अलबेला* उपनाम से क्षेत्र में सुप्रसिद्ध हो गये। 1984 में लोकसभा चुनाव के दौरान कुमाऊंनी गीत *अल्मोड़ा- अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ में, मुरली मनोहर सब के मन में।* गीत गाकर भाजपा का प्रचार किया। इसके अलावा उन्होंने तमाम कुमाऊंनी गीत बनाए और गाए। वह भारतीय जनसंघ नेता स्व. गोविंद सिंह बिष्ट के करीबी थे।

जन संघ से लेकर भाजपा तक उन्होंने जिला स्तरीय पदों पर कार्य किया। जनसंघी गोविंद सिंह बिष्ट के पार्टी से निष्कान के बाद भाजपा छोड़ दी। कांग्रेस में शामिल हो गए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने उत्तराखंड फिल्म बोर्ड का सदस्य मनोनीत किया। क्षेत्रीय फिल्म निर्देशन में उतरने के बाद गांव के पिछड़े, गरीब ग्रामीणो़ की शिक्षा, पर्यावरण के प्रति कार्य करते हुए प्रचार प्रसार में लगे रहे। जौनसार भावर को आगे बढ़ाने के लिए लघु फिल्मों मे प्रचार प्रसार में शासन प्रशासन, राज्य सरकारों ने पुरस्कृत भी किया।

इनकी तमाम फिल्में दिल्ली दूरदर्शन से प्रसारित भी की गयी। इनके द्वारा क्षेत्र के सुप्रसिद्ध धामों के देवी-देवताओं पर लिखी अंतिम किताब “पहाड़ के तीन नरैण- नौलिंग, बजैंण, शिखर, मुवैण (मूलनारायण)” खूब प्रसिद्ध हुई। इनसे क्षेत्रीय लोगों का साथ ही जजमान और पुरोहित का रिश्ता भी था। उमेश राठौर अपने पीछे पत्नी जानकी राठौर, 21 वर्षीय बेटी अंजू, 19 वर्षीय डौली तथा 15 वर्षीय नेहा को रोता-बिलखता छोड़ गए। सरयू-गोमती संगम पर तीनों बेटियों ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। उनके निधन पर जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक शोक की लहर दौड़ गई है।

क्षेत्रीय जनता एवं समाजसेवी संगठनों, पत्रकार संगठनों द्वारा शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए इनकी पुत्रियों सहित इनके परिवार के लिए आर्थिक एवं अन्य सहायता देने की मांग सरकार से की गयी है। इनके जीवन परिचय की जानकारी दूरभाष पर कौस्तुबानंद जोशी से ली गई जो वर्तमान में कमेड़ी देवी इंटर कालेज में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं और एक ही गांव के निवासी भी हैं।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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