प्रदेश में महिलाएं ही रही हैं समस्याओं के निदान की सूत्रधार

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प्रदेश में महिलाएं ही रही हैं समस्याओं के निदान की सूत्रधार

रवि शंकर शर्मा

गत दिवस अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया विकास खंड की तीन सड़कों की दुर्दशा पर क्षेत्र की महिलाओं का गुस्सा भड़क गया और उन्होंने सड़कों पर बने गड्ढों में पौधे रोप दिए। इस तरह के क्रांतिकारी कदम पहाड़ की महिलाएं पहले भी उठाती रही हैं। स्मरण होगा कि हमारे देश में चिपको आंदोलन की शुरुआत चंडी प्रसाद भट्ट और गौरा देवी ने की थी। जंगलों की अंधाधुंध और अवैध कटाई रोकने के लिए 1973 में उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर के रैणी गांव से आंदोलन शुरू हुआ था।

उत्तराखंड की पहाड़ियों में लकड़ी के ठेकेदारों द्वारा बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाते थे। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए महिलाएं और पुरुष पेड़ से लिपटकर उनकी रक्षा करते थे। गौरा देवी इस आंदोलन की प्रमुख सूत्रधार थीं। उनका जीवन काफी संघर्षमय रहा। 24 मार्च 1976 को रैणी गांव के जंगलों को काटने का आदेश जारी हुआ था। इसके तीन वर्ष पहले से ही पेड़ों को बचाने का आंदोलन शुरू हो चुका था। जब सैकड़ों मजदूर पेड़ काटने के लिए आगे बढ़ने लगे, उस समय गांव के पुरुष तहसील गए हुए थे।

ऐसे में गौरा देवी ने 27 अन्य महिलाओं के साथ पेड़ों से लिपट कर उनकी रक्षा करने का काम किया। सोचने की बात है कि हमारे देश की महिलाएं उस वक्त भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर कितनी सजग थीं, जबकि आज पूरे देश में बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं।

उत्तराखंड की धरती आंदोलनों से भरी रही है। चाहे 1921 में कुली बेगार आंदोलन रहा हो, 1930 का तिलाड़ी आंदोलन हो या 1984 का नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन। और उसके बाद 1994 का उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन। इसके बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हो सका। अपने घर के पुरुषों को शराब जैसे नशे से दूर रखने के लिए भी यहां की महिलाओं ने न जाने कितने आंदोलन किए और उसमें सफल भी रहीं। शराब की दुकानों को बंद करने से लेकर अपने घर के पुरुषों को वहां न जाने के लिए बाध्य करने के तमाम प्रयासों के फलस्वरूप काफी पुरुष इस बुराई से दूर भी हुए। और अब क्षेत्र की खस्ताहाल सड़कों पर पौधरोपण कर महिलाओं ने सरकार को आईना दिखाने का काम किया है।

चौखुटिया की महिलाओं ने गेवाड़ विकास समिति के बैनर तले क्षेत्र की खस्ताहाल सड़कों पर पौधे रोपकर स्थानीय प्रशासन के प्रति अपने गुस्से का गुस्से का इज़हार किया। उम्मीद करते हैं कि संबंधित विभाग शीघ्रातिशीघ्र सड़कों को दुरुस्त करेंगे।
( लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं )

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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