मांगें मनवाने के लिए हिंसक प्रदर्शन क्यों ?……

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मांगें मनवाने के लिए हिंसक प्रदर्शन क्यों ?

रवि शंकर शर्मा

अभी हाल ही में नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने जिस प्रकार से हिंसा का तांडव मचाया, वह बेहद स्तब्धकारी है। ये प्रदर्शनकारी एक साथ हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर आए और उन्होंने देश की तमाम प्राचीन इमारतों, जिनमें संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट व अन्य महत्वपूर्ण भवन शामिल हैं, उन्हें आग के हवाले कर दिया। यहां तक कि वे सेना और पुलिस की गोलियों के आगे भी नहीं रुके और तमाम सत्ताधारी राजनेताओं पर हमले भी किये। पूर्व प्रधानमंत्री के आवास को आग लगा दी, जिसमें उनकी पत्नी की जलकर मौत हो गई।

आज विश्व के तमाम देशों में इस प्रकार के हिंसक प्रदर्शन आम हो गए हैं, जिनमें सरकारी संपत्ति को जमकर नुकसान पहुंचाया जाता है। हमारे देश में भी कुछ स्थानों पर इस प्रकार के हिंसक प्रदर्शन होते हैं। आखिर अपनी मांगें मनवाने के लिए प्रदर्शनकारी हिंसा का सहारा क्यों लेते हैं ? क्या शांतिपूर्ण तरीके से वह अपनी बात सरकार के समक्ष नहीं रख सकते? जिस सरकारी संपत्ति को अथवा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, दरअसल वह जनता के खून-पसीने की कमाई से ही निर्मित होती है। जो टैक्स जनता देती है, उसी से इन संपत्तियों का निर्माण होता है। इनके पुनर्निर्माण में अरबों रुपया खर्च होता है, जो कि देश के विकास में लगाया जा सकता था।

पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि इस प्रकार के प्रदर्शनों के पीछे अंतर्राष्ट्रीय ताकतें भी काम करती हैं। जब कोई देश ताकतवर होने लगता है तो उसको कमजोर करने के लिए विदेश में बैठे तमाम बड़े राजनेता साजिश रच कर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते हैं। नेपाल यद्यपि बहुत बड़ा और शक्तिशाली देश नहीं है, लेकिन रणनीतिक तौर पर उसका अपना महत्व है। इसलिए वहां के प्रदर्शनों में विदेशी ताकतों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

विगत वर्षों में श्रीलंका और बांग्लादेश में भी इसी प्रकार के उग्र और हिंसक प्रदर्शन हुए हैं, जिन्होंने उन देशों को आर्थिक और विकास की दृष्टि से दशकों पीछे धकेल दिया। आज ये देश अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं तथा अब तक वहां शांति और स्थिरता स्थापित नहीं हो पाई है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान का हाल किसी से छिपा नहीं है। वे आज भी आर्थिक तंगी और बदहाली से जूझ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने जिस प्रकार सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर उन्हीं लोगों से उसकी भरपाई करने का कानून बनाया है, जिन्होंने उसे क्षति पहुंचाई तो निश्चित रूप से इस प्रकार के हिंसक आंदोलनों पर लगाम लगी है। यही योगी मॉडल यदि सब जगह लागू किया जा सके तो हिंसक प्रदर्शन करने वाले लोग सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से पहले कई बार सोचेंगे।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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