रामगढ़ महाविद्यालय में नशा मुक्ति पर कार्यशाला द्वारा दिया संदेश , देखें वीडियो
रामगढ़ महाविद्यालय में नशा मुक्ति पर हुई कार्यशाला
जागरूक रहकर ही नशे से निजात पाई जा सकती है : संजय गांधी
रामगढ़/भवाली। युवाओं को आम जनमानस को जागरूकता के माध्यम से ही नशे से छुटकारा दिलाया जा सकता है। प्रबल इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ नशे के दलदल से बाहर निकला जा सकता है। यह वक्तव्य आज राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में बतौर मुख्य अतिथि खंड विकास अधिकारी श्री संजय कुमार गांधी जी ने दिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि और प्राचार्य महोदय ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर नगेंद्र द्विवेदी जी ने की।
अपने मुख्य अतिथि संबोधन में श्री संजय कुमार गांधी जी ने कहा कि नशा समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है और युवाओं का यह परम दायित्व है कि वह समाज
में नशे के खिलाफ जागरूकता को फैलाए स्वयं नशे से बचें और समाज को भी इस जहर से बचाए ।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रोफेसर नगेंद्र द्विवेदी जी ने कहा कि युवाओं को आभासी दुनिया से दूर रहते हुए समाज में नशे से दूर रहना चाहिए। नशा युवाओं का वर्तमान और भविष्य दोनों को बर्बाद कर रहा है ।युवाओं को चाहिए कि वह अपने जीवन का उद्देश्य उच्च बनाएं और नशे के दलदल से दूर रहे ।
कार्यक्रम में डॉक्टर नीमा पंत ने कहा कि समाज में नशे की प्रवृत्ति निरंतर बढ़ रही है, जो समाज के लिए एक शुभ संकेत नहीं है। हम सब का यह दायित्व है कि हम समाज में इस नशे रूपी दानव के खिलाफ एक जंग की शुरुआत करें। डॉक्टर संध्या गढ़कोटी का कहना था कि यदि कोई व्यक्ति नशे के दलदल में फंस जाता है तो हमारा दायित्व है कि हम उसे प्यार से दुलार से समझाएं और नशा मुक्ति केंद्र तक पहुंचाएं और उसको नशे के दलदल से बाहर निकाले
डॉक्टर हरेश राम जी ने कहा कि नशा पीढीयों को बर्बाद कर रहा है और नशे के कारण व्यक्ति अपनी शुद्ध बुद्ध खो देता है ।वह स्वयं के लिए तो बोझ बन ही जाता है समाज के लिए भी एक बोझ बनकर रह जाता है।
कार्यक्रम के आयोजक डॉक्टर हरीश चंद्र जोशी ने कहा कि नशा बर्बादी का पहला कारण है। उन्होंने नशे को चरणबद्ध ढंग से बताया और युवाओं से अपील करी कि वे इस जहर से हमेशा दूर रहे और आभासी दुनिया से दूर रहते हुए अपने शरीर को स्वस्थ बनाएं क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास करता है ।उन्होंने तमाम सुप्रसिद्ध व्यक्तियों के उदाहरण देकर नशे के दुष्चक्र को सा विस्तार से बताया और इसकी गंभीरता से भी सदन को अवगत कराया। उनका कहना था कि नशे के खिलाफ इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम विचार गोश्तियां नुक्कड़ नाटक रैली इत्यादि का आयोजन होता रहना चाहिए। सरकार ,समाज, युवाओं, सबको मिलजुल कर इस महामारी को दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए।
उनका कहना था कि युवाओं का यह दायित्व है कि वह अपने समाज में अपने गांव में सदैव छोटे-छोटे जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से आम अवाम को आम जनमानस को नशे की दुष्प्रवृत्ति से दूर रखने का प्रयास करें। वरिष्ठतम प्रोफेसर डॉ माया शुक्ला जी ने कहा कि नशा समाज के लिए एक अभिशाप है और युवा जागरुकता के माध्यम से ही समाज को इस अभिशाप से मुक्ति दिला सकते हैं ।सभी वक्ताओं ने एक स्वर में नशे को दानव की संज्ञा दी और इस दानव को खत्म करने का आह्वान किया ।कार्यक्रम का सफल संचालन अंग्रेजी की प्राध्यापिका डॉक्टर निर्मला रावत जी के द्वारा किया गया।
पायल आर्य, नीलम, संध्या ,रेनू, मनीषा, नम्रता, रीता, हिमांशी, नित्या, मयंक, महक , सहित सैकड़ो छात्र-छात्राओं ने इस कार्यशाला में प्रतिभा किया। सहयोगी भूमिका में श्री हिमांशु बिष्ट ,कुंदन गोस्वामी ,गणेश बिष्ट, और प्रेम भारती ने विशेष सहयोग प्रदान किया।