वन पंचायत सरपंचों ने अपने पंचायती जंगलों को बचाने के लिए लिया सामूहिक संकल्प
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समय रहते यदि जंगलों को दावाग्नि से नहीं बचाया गया तो मानव तरस जाएगा एक-एक बूंद पानी के लिए
यदि हम अपने जंगलों को नहीं बचाएंगे तो इसके लिए बाहर से नहीं आएगा कोई व्यक्ति- गजेंद्र पाठक
वन पंचायत सरपंचों ने अपने पंचायती जंगलों को बचाने के लिए लिया सामूहिक संकल्प।
लोहाघाट। वन विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला में बताया गया कि यदि हमने वनों को आग से बचाने का स्वयं प्रयास नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी आने वाली पीढ़ी एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाएगी।
कार्यशाला में शीतलाखेत मॉडल की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा करते हुए गजेंद्र पाठक ने बताया कि किस प्रकार हिमालयी क्षेत्र में जंगल सिकुड़ने का कारण पर्यावरणीय परिस्थितियां पैदा होती जा रही हैं, उनका कहना था कि अनादि काल से वनों का मनुष्य से रिश्ता रहा है, जब तक हम एक दूसरे के पूरक बने रहे तब तक सब ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन आज परिस्थितियां एकदम बदल चुकी हैं पिछले 45 वर्ष के दौरान पर्यावरण परिस्थितियों में आए बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां जल स्रोत आधे रह गए हैं वहीं मौसम चक्र में बदलाव के कारण असमय ही बुरांश के फूल खिलने लगे हैं।
लोहाघाट क्षेत्र में जहां पहले डिलीशियस सेब से बाग लदे रहते थे आज उसका नामोनिशान तक मिट चुका है उन्होंने चेतावनी की यदि समय रहते वन अग्नि एवं वन संरक्षण के प्रति हमारा दृष्टिकोण नहीं बदला तो हम भावी पीढ़ी के लिए हरे भरे जंगलों के स्थान पर रेगिस्तान छोड़ जाएंगे।
इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए ऊप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा चौधरी ने कहा वन हमारे पूर्वजों की ऐसी धरोहर है कि जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमको शुद्ध हवा एवं पानी देते आ रहे हैं , वनों में मनुष्य का हस्तक्षेप लगातार बढ़ने के कारण आज ऐसी परिस्थितियों पैदा हो गई हैं, जिसका हमारे स्वास्थ्य संस्कृति प्रकृति एवं परंपराओं पर इसका असर पड़ा है।
उन्होंने कहा वनों को आय से जोड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है, यदि उनका दोहन किया जाए तो प्रति व्यक्ति आय में इजाफा किया जा सकता है।
इस अवसर पर वनक्षेत्राधिकारी दीप चंद्र जोशी ने ब्लाक अंतर्गत किए जा रहे कार्य पर जहां प्रकाश डाला, वहीं काली कुमाऊं रेंज के वन क्षेत्राधिकारी राजेश जोशी ने बताया कि किस प्रकार हम चूयूरा प्रजाति के पौधों का रोपण कर उस से मौन पालन एवं उसके कई उत्पादों को अपने रोजगार से जोड़ सकते हैं,
कार्यशाला पर सरपंच शंकर राम, मोहन चंद्र पांडे, बृजेश जोशी, निशांत पुनेठा, ने भी चर्चा में भाग लिया इस अवसर पर बाराकोट को एवं लोहाघाट ब्लॉकों के सरपंचों के अलावा एसडीआरएफ एवं वनकर्मी मौजूद थे।