उत्तरकाशी:  सिद्धपीठ श्री तामेश्वर महादेव को गाय देती थी नित्य दुग्ध धार….

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उत्तरकाशी:  सिद्धपीठ श्री तामेश्वर महादेव को गाय देती थी नित्य दुग्ध धार….

सीपी बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार

उत्तरकाशी : महाशिवरात्रि पर्व के पावन अवसर पर *पांच गांव गाजण दिखोली में स्थित भगवान शिव महादेव को समर्पित प्राचीन सिद्धपीठ श्री तामेश्वर महादेव* मंदिर में सदियों से भगवान शिव की पूजा आराधना श्री तामेश्वर नाग महादेव के रूप में होती है। यहां पर मंदिर गर्भ गृह में स्थित भगवान शिव लिंग रूप में विद्यमान हैं गर्भगृह में श्री तामेश्वर नाग महादेव के पुजारीको ही देव विधि विधान से ही जाने की अनुमति है। गांव के ही गायत्री परिवार के सदस्य वा सामाजिक कार्यकर्ता मुरली मनोहर भट्ट ने बताया ब्राह्मण नौटियाल परिवार के सदस्य ही होते हैं ।

प्राचीन समय में गाजण के ग्राम भेटियारा गांव के पास खेतों के बीच कमांद सेरा में एक शिला पर एक गाय नित्य दुग्ध धारा बहा देती थी एक दिन गाय के मालिक ग्वाले ने देखा तो वह बहुत चकित हुआ उसने गाय को वहां से दूर ले गया किन्तु गाय फिर से रोजाना एक समय पर नित्य शिला पर दुग्ध धारा बहा देती थी इस बात से ग्वाला क्रोध से भर गया औरकुल्हाड़ी लेकर गाय को मारने के लिए प्रहार किया किन्तु गाय को भगवान ने बचा लिया और वह वार शिला पर जा लगा। इस प्रकार भगवान ने गाय को बचा लिया किन्तु भगवान के कोप से कालांतर में वह ग्वाला और बाणया नामक स्थान अत्यधिक बरसातहोने के कारण डूब गया।

भगवान तामेश्वर नाग देव ने अपने भक्त को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि अब वह इस स्थान में नहीं रहेंगे अब से दिखोली गांव के देवलधर नामक स्थान पर एक बांज वृक्ष है अब से वहां मेरा स्थान होगा और वहीं भगवान शिव महादेव की पूजा अर्चना होगी तुम वहां पर मेरा शुद्ध वृक्षों की लकड़ी से मेरा मंदिर बनाओ। लोकमत यही है कि तब से यहां पर भगवान शिव तामेश्वर महादेव की आराधना होती आई है।

ग्रामीण बताते हैं कि हर वर्ष पांच गांव गाजण के जनता जनार्दन एवं समस्त शिव भक्त महाशिवरात्रि पर्व एवं श्री कृष्णजन्माष्टमी पर्व पर यहां दूर दूर से श्रद्धालु जन पहुंचते हैं और भगवान की आराधना करते हैं। यहां पर मान्यता है कि जो भक्त निराहार रहकर भागीरथी मां गंगा से शुद्ध जल तांबे के पात्र में भरकर नंगे पांव पैदल चलकर यहां भगवान शिव को अर्पित करते है ,उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
भगवान श्री तामेश्वर महादेव मंदिर में देव विधि विधान है जिन्हें मानने पर ही यहां की आराधना सफल होती है।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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