फास्टैग और टोल प्लाजा का झंझट खत्म, आ रहा सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम
सैटेलाइट बेस्ड टोल से क्या होगा फायदा?
टोल सिस्टम खत्म होने के बाद सबसे बड़ी सुविधा ये होगी कि आपको किसी भी हाल में टोल बूथ पर कार को रोकना नहीं होगा, टोल बूथों से बैरियर हटा दिए जायेंगे। यानी टोल आने पर भी आप रफ्तार कम नहीं करेंगे और आगे बढ़ जाएंगे. आपका टोल सीधा सैटेलाइट से कटेगा। इससे आपका टाइम बचेगा। इसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा समय के साथ पेट्रोल-डीजल के खर्च में बचत है। आप लंबे सफर में ईंधन के खर्च में अच्छी खासी बचत कर पाएंगे।
कैसे काम करेगा सैटेलाइट बेस्ड टोल?
सैटेलाइट बेस्ड टोल मूल रूप से जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) आधारित सिस्टम है। यह ठीक वैसे ही काम करेगा जैसे आपके मोबाइल का जीपीएस काम करता है। हाईवे पर जीपीएस आपकी गाड़ी की पोजीशन को ट्रैक करेगा, इसके लिए टोल प्लाजा से 500 मीटर पहले और बाद में सेंसर लगाएंगे जो नंबर प्लेट से वाहन का पता लगाएगा कि कौन से वाहन कहां से एक्सप्रेसवे या नेशनल हाईवे पर चढ़ा और किस जगह बाहर निकला। इसके बाद तय की गई दूरी के हिसाब से अपने आप टोल टैक्स बैंक अकाउंट से काट लिया जाएगा।
जितनी दूरी उतना टोल
फास्टैग आधारित मौजूदा टोल सिस्टम में हाईवे का इस्तेमाल करने पर आपको कम दूरी के लिए भी पूरे टोल का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, सैटेलाइट टोल सिस्टम में आप जितनी दूरी तय करेंगे आपसे उतनी ही दूरी के लिए टोल जाएगा। यानी आप अतरिक्त टोल टैक्स के भुगतान से बच सकेंगे। हालांकि, सरकार कितनी दूरी के लिए कितना टोल टैक्स लगाएगी इसका खुलासा सैटेलाइट टोल सिस्टम के लागू होने के बाद होगा।
● नई व्यवस्था के बाद समय घटकर डेढ़ मिनट हो जाएगा
● सभी गाड़ियों में जीपीएस को अनिवार्य किया जाएगा
● सुरक्षा के लिहाज से आधुनिक होगी नई टोल वसूली व्यवस्था
● वाहन को पांच से सात मिनट में किया जा सकेगा ट्रेस
इन देशों में पहले से लागू जर्मनी, रूस, स्लोवाकिया, यूरोपियन देशों के साथ कई खाड़ी देशों में भी यह व्यस्था पहले से लागू है।