चंपावत में शुरू हुआ तीन दिनी कुमाऊंनी भाषा का कुमाऊंनी बोली में राष्ट्रीय सम्मेलन

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चंपावत में शुरू हुआ तीन दिनी कुमाऊंनी भाषा का कुमाऊंनी बोली में राष्ट्रीय सम्मेलन।

सम्मलेन में उत्तराखंड व देश के तमाम भाषाप्रेमियों ने दी अपनी उपस्थिति।

अपनी भाषा,अपनी बोली हमें जोड़ती है अपनी माटी एवं करती है आपसी रिश्तों को मजबूत – डॉ रावत।

चंपावत। चम्पानगरी में 16वा राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन शुरू हो गया है। कुमाऊंनी भाषा को राष्ट्रीय पहचान देने के लिए लंबे समय से पहल कर रहे कुमाऊंनी भाषा में मासिक पत्रिका “पहरू”,साहित्य चेतना मंच एवं उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में नामी साहित्यकारों,कुमाऊंनी भाषा को ऊंचे मुकाम पर ले जाने के प्रयास में लगे मनीषियों,कवियों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है। नगर के ऑडिटोरियम में पहली बार आयोजित सम्मेलन का मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय,विशिष्ट अतिथि ब्लॉक प्रमुख रेखा देवी,ज्येष्ठ प्रमुख मोनिका बोहरा,संरक्षक सतीश चन्द्र पाण्डे,उप निदेशक भाषा संस्थान सुखविंदर कौर ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का आगाज किया।

मुख्य अतिथि ने कुमाऊनी भाषा को आमजन की भाषा बनाने पर जोर देते हुए कहा यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब एक दिन पहले स्वयं देश के प्रधानमंत्री द्वारा कुमाऊनी,गढ़वाली एवं जौनसारी भाषाओं के उन्नयन की वकालात की थी। उन्होंने इस महा अभियान से जुड़े लोगों का जनपद में स्वागत करते हुए इस मुहिम में सभी से जुड़ने का आह्वाहन किया।
कुमाऊंनी भाषा में ही चल रहे सम्मेलन की अध्यक्षता
कौस्तुभानंद चंदोला ने की जबकि कार्यक्रम के मुख्य संयोजक पहरू के संपादक डॉ हयात सिंह रावत एवं नवीन पंत ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि अपनी भाषा में बोलने से अपनापन,पारिवारिक भाव एवं अपने पूर्वजों का स्मरण हो आता है।

यही भाषा हमें अपनी माटी से जोड़कर आपसी रिश्तों को मजबूती प्रदान करती है। कार्यक्रम में व्यापार मंडल अध्यक्ष विकास शाह, भगीरथ भट्ट, सुरेश राजन,डा बी सी जोशी, ब्रिगेडियर दिनेश जोशी, एडवोकेट जमन सिंह बिष्ट,जनार्दन चिलकोटी,डॉ कमलेश शक्टा,डॉ सुमन पाण्डे,भूपेश देव,सोनिया आर्या,प्रकाश चन्द्र उपाध्याय,दीपा शक्टा आदि ने कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपने विचार व्यक्त किए और  संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किए जाने हेतु विचार मंथन किया।
तीन दिवसीय कार्यक्रम में देशभर के कुमाऊंनी भाषा के रचनाकार, संस्कृतिकर्मी व भाषाप्रेमियों द्वारा कुमाऊंनी भाषा में साहित्य की सभी विधाओं में प्रस्तुतियां दी जाएंगी। समारोह में 50 से अधिक विभिन्न साहित्यकारों को साहित्य सेवी,भाषा सेवी तथा संस्कृति सेवी सम्मान से नवाजा जाएगा। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा “नानिछना” तथा “नान पंखों कि ठुली उड़ान” नमक कुमाऊंनी भाषा में लिखी पुस्तकों का विमोचन किया गया। समस्त कार्यक्रमों का आयोजन कुमाऊंनी भाषा में ही किया गया और देश ही नहीं विदेशों में भी कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करने का सभी ने संकल्प लिया।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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