जनता के लिए जनता के संघर्ष की शुरुआत थी गेवाड़ घाटी का यह प्रदर्शन
जनता के लिए जनता के संघर्ष की शुरुआत थी गेवाड़ घाटी का यह प्रदर्शन
इंद्र देव भी गेवाड़ के रणबांकुरों को बारिश की बूंदों से दे गए सलामी
हेम कांडपाल
सुबह से लगातार हुई बारिश के बीच चौखुटिया की सड़कों पर उम्मीद से कहीं ज्यादा लोग उमड़े l यह आश्वासनों के सहारे जी रहे लोगों की विकास को लेकर छटपटाहट थी, छलकता दर्द था तो गुस्से की बानगी भी थी।
गेवाड़ विकास समिति की पहल पर हुआ यह जुलुस, प्रदर्शन न किसी के पक्ष में था न विरोध में यह सिर्फ जनता का संघर्ष था जो जनता के लिए ही था l सुबह की बारिश ने भले ही एक बार चिंता बढ़ा दी थी परन्तु कार्यक्रम के दौरान बारिश थम गई थी इससे यही संकेत मिला कि इंद्र देवता भी गेवाड़ घाटी के इस संघर्ष में शामिल हुए l बर्षा की बूंदे उपेशा का दंश झेल रहे लोगों के आंसुओं को बारिश के रूप में पृथ्वी पर गिरा रहे थे या कह लीजिए कि इन्द्रदेवता गेवाड़ की उत्साहित नारियों की ऊर्जा को देख खुद उन्हें सलाम करने पृथ्वी पर खुद उतर आए थे।
बहरहाल प्रदर्शन के बहाने व्याकुल लोगों की एकजुटता उम्मीद की नई किरण जगा गई है।
अब बात कर लेते हैं समिति की मांगों पर -जरा सोचिए और कल्पना कीजिये कि किसी क्षेत्र में साल 2000 में महाविद्यालय की स्थापना होती है और 24 साल के लंबे इंतजार के बाद भी न पीजी का दर्जा मिलता है न बीएससी, बीकॉम की कक्षाएं ही खुल पाती हैं l उच्च शिक्षा मंत्री के चक्कर लगाते लगाते लोगों के पैर घिस गए, छात्र छात्राएं उच्च शिक्षा को तरसते रह गए परन्तु सिस्टम का दिल नही पसीजा l
केंद्रीय विद्यालय के लिए संघर्षरत भूतपूर्व सैनिक संगठन ने देहरादून से दिल्ली तक हर दरबार मे दस्तक दी l दर्जनों बार स्थलीय केंद्रीय विद्यालय संगठन के अधिकारियों ने निरीक्षण किया ,भूमि व भवन के लिए अस्थाई व स्थाई भूमि की व्यवस्था हुई परन्तु पिछले दस सालों से केंद्रीय विद्यालय के नाम पर आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नही हुआ l
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ चिकित्सक व जरूरी उपकरण न होने से स्वास्थ्य केंद्र महज रेफर सेंटर बन कर रह गया है l लोगों की मांग है कि स्वास्थ्य केंद्र का उच्चीकरण कर नागरिक चिकित्सालय का दर्जा देकर विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाए जिससे कि मरीज मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दम न तोड़े l
लंबे समय से चल रही तड़ागताल झील के सौंदर्यीकरण की मांग भी आश्वासनों की भेंट चढ गई l लोगों का कहना है कि बहुउद्देश्यीय झील का निर्माण होने से पर्यटन, मतस्य पालन व नौकायन के साथ ही रोजगार के साधनों में बढोत्तरी होती जिससे पलायन रुकता व बेरोजगारी भी दूर होती l परन्तु इस मांग को पूरा करने के नाम पर भी लीपापोती के सिवाय कुछ हासिल नही हो पाया l
गैरसैंण कागजों में ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गई है परन्तु धरातल पर ढांचागत सुविधाओं का अभाव है l इसी कमी को पूरा करने के लिए गैरसैंण व चौखुटिया को मिलाकर स्मार्ट सीटी बनाने की मांग हो रही है l रामनगर-चौखुटिया-गैरसैंण रेल लाईन निर्माण का मामला भी पचास सालों से चल रहा है l
चौखुटिया तक दो बार हुई सर्वे की रिपोर्ट भी सकारात्मक थी रिपोर्ट में कहा गया था कि यदि पहाड़ में कहीं रेल पहुंचानी आसान है तो वह स्थान चौखुटिया है, जिसकी लागत व दूरी भी कम ही बताई गई थी l परन्तु बड़ी राजनीतिक पहुंच न होने से इस मामले में भी क्षेत्र की जनता से न्याय नही हो पाया l इसी तरह लंबे समय से मासी आईटीआई में नए ट्रेड खोलने सहित कई मांगे हैं जिनके पूरा होने की प्रतीक्षा सालों से की जाती रही है l परन्तु आजादी के बाद के 78 बसंत गुजर जाने के बाद भी विकास के सूखे के थपेड़े घूप अंधेरी रात व पतझड़ के उलट न गुलाबी सुबह के दर्शन करा पा रही है और न ही सुनहरे भविष्य का अहसास दिला रही है l
चारों ओर से हताश व निराश लोगों का असहनीय दर्द था जो 20 अगस्त को छलक पड़ा है l
यदि हमारे अलम्बरदार अब भी नींद से नही जागे तो फिर यह आंदोलन विस्फोटक रूप भी ले सकता है l बहरहाल सफल प्रदर्शन से लोग काफी उत्साहित हैं l समिति के अध्यक्ष गजेंद्र नेगी सफल कार्यक्रम में सहयोग के लिए सभी का आभार जताया है l