नई खोज : गुफा में विराजमान इस गुप्त देवी का रहस्य आज भी है गुप्त, माँ भद्रकाली दरबार तक चलती है इस देवी की डोली

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नई खोज : गुफा में विराजमान इस गुप्त देवी का रहस्य आज भी गुप्त, माँ भद्रकाली दरबार तक चलती है इस देवी की डोली

गोपीश्वर महादेव के सानिध्य में एक गुफा में विराजमान है देवी की अदृश्य शक्तियां क्षेत्र वासियों की है गहरी आस्था

जनपद बागेश्वर के काण्डा व कमस्यार क्षेत्र की भूमि आध्यात्म के एक से बढ़कर एक अद्भूत रहस्यों को अपने आँचल में समेटे हुए है शक्तिपीठ व शिवालयों की श्रृंखलाओं के साथ- साथ नाग मन्दिरों की गाथाएं यहां सर्वत्र सुशोभित है पवित्र पहाड़ियों की इन्ही चोटियों में धपोला सेरा क्षेत्र में स्थित गोपीवन व गोपीश्वर महादेव का जिक्र पुराणों में सुंदर शब्दों में वर्णित है इसी भूभाग में देवी का एक मनोरम स्थान है जिसे भगवती देवराडी देवी माता के नाम से पुकारा जाता है आध्यात्मिक दृष्टि से यह स्थान जहाँ युगों – युगों के इतिहास को अपने आप में समेटे है वहीं सांस्कृतिक वैभव की विराट आभा के यहाँ दर्शन होते है
माँ भगवती देवराडी देवी का मंदिर बागेश्वर जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत भदौरा पोस्ट ऑफिस धपोलसेरा तहसील कांडा में स्थित है ग्राम सभा भदौरा में स्थित देवी का यह दरबार जगतमाता की ओर से भक्तों के लिए अनुपम व अद्वितीय भेंट है यूं तो देवराडी देवी का यह प्राचीन स्थल पौराणिक काल से पूजनीय है लेकिन यहां पर देवी मंदिर कि स्थापना वर्ष 1944 में की गयी जिसे स्थानीय भक्तजनों द्वारा इन दिनों भव्य स्वरूप दिया जा रहा है आपसी सहयोग से निर्माण पथ पर अग्रसर मंदिर निर्माण को लेकर श्रद्धालु बेहद उत्साहित है

यहाँ के पुजारी पंत उपजाति के लोग रहे है इस प्राचीन स्थल पर चालीस के दशक में जब मन्दिर बनाया गया तब स्वर्गीय श्री गौरी दत्त पंत को विधिवत पूजा- अर्चना का दायित्व सौपा गया उनके देहांत के बाद स्वर्गीय श्री लक्ष्मी दत्त पंत जी को यह दायित्व सौंपा गया उनके दिवगंत होने के पश्चात अब कैलाश दत्त पंत यहाँ देवी भक्तों को पूजा अर्चना का कार्य सम्पन करवाते है

इस क्षेत्र के बुर्जुग एवं जानकार लोग बताते है कि माता का यह स्थान रहस्यभरी गाथाओं का अद्भूत भण्डार है यह देवी मंगलस्वरूपा देवी के रूप में परम पूजनीय है देवी के इस गांव मे एक विशाल नदी हुआ करती थी जो धपोला सेरा से बहती हुई गोपीश्वर महादेव का कल – कल धुन में वंदन करते हुए मंदिर के निकट से होते हुए भंडारीसेरा और भदौरा के बीच निकलती थी यह नदी वर्तमान समय में भी बहती है लेकिन अब इस नदी में पानी की मात्रा बहुत ही कम रह गयी है लेकिन इस नदी के प्रति पौराणिक आस्था आज भी प्रबल है दंत कथाओं के अनुसार देवराड़ी देवी का पूर्व में मध्य रात्रि में डोला निकलता था।

इस डोले में देवी के साथ उनके गण भी चलते थे अदृश्य रूप से चलने वाला डोला रात्रि के समय लगभग 12 बजे गुफा से निकलता था और भदौरा गांव में स्थित हरू सैम देवता भी माँ का वंदन करते है मंदिर के सामने वाले रास्ते से गुप्त देवीयों देवियों के गणों की टोलीयो के साथ डोली में सवार होकर देवराडी देवी भद्रावती नदी में स्नान करने के पश्चात माँ देवी वहाँ से भद्रकाली मन्दिर में प्रवेश करती थी और उसके पश्चात देवी माँ वहाँ से रात्रि के तीसरे पहर अर्थात् तीन से चार बजे के बीच भद्रावती नदी से वापस होकर अपनी डोली में सवार होकर वापस गुफा में लौट आती थी और उसके बाद लुप्त हो जाती थीं कहा जाता है इस समय में किसी भाग्यवान व्यक्ति को यदि देवी की कृपा से इस डोले के दर्शन हो जाते थे तो वह सर्व सौभाग्य शाली माना जाता था विशेष पर्व अवसरों पर आज भी इस डोले की आहट सात्विक भक्तजन महसूस करते है समय के प्रभाव के साथ हालांकि प्रबल आस्था के कम होने से डोले चलने का आभास अब कभी कभार ही माँ के परम भक्तों को प्राप्त होता है

बारहाल ग्राम पंचायत भदौरा में स्थित देवराडी देवी का शक्ति स्थल आस्था व भक्ति का अलौकिक संगम है गुप्त देवी के नाम से भी स्थानीय लोग इनकी पूजा करते है देवी का गुप्त रहस्य आज भी गुप्त ही है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहाँ जहां पर माता की प्राचीन प्रतिमां है वहां से एक एक अदभूत गुफा के दर्शन होते है इस अलौकिक अद्भूत गुफा का रहस्य आज भी गुमनामी के साये में गुम है इस गुफा का अन्तिम छोर कहां है यह सब अज्ञात है अनुमान के अनुसार इस गुफा की लम्बाई लगभग चार से पाँच किलोमीटर तक बतायी जाती है जो काण्डा के कालीका माता मंदिर तक पहुँचती है कुछ दूरी तक साहस करके भक्तजन गुफा में प्रवेश करते है गुफा के भीतर आध्यात्म का एक अद्भूत संसार है जो खोज का विषय है विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ गुफा में शुसोभित है कई प्रकार के धार्मिक और पौराणिक सांस्कृतिक आकर्षण यहाँ देखने को मिलते हैं और कई स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गुफा के अंदर पेड़ और बीच में एक छोटा तालाब भी है जहाँ से आगे तक का रास्ता बंद है सुरक्षा की दृष्टि से जिसके विभिन्न कारण है साहसी भक्त इस गुफा में दो सौ मीटर तक दर्शन कर सकते हैं

इधर रामनवमी के पावन पर्व के अवसर पर से यहां एक भव्य मंदिर के निर्माण के शुभारंभ के कार्य की आधारशिला शुरू कर दी गई है माँ के आस्थावान भक्त धीरज धपोला ने विशेष जन जागृति अभियान चला कर इस क्षेत्र के तमाम भक्त जनों को साथ लेकर सभी के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ करवा दिया है विधिवत पूजा-अर्चना के साथ देवी के गुफा के मुख्य द्वार पर निर्मित हो रहे मंदिर निर्माण को लेकर समूचे क्षेत्र में विशेष उत्साह है

@ रमाकान्त पन्त, लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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