लालकुआं मुक्तिधाम से गोरापड़ाव ओवरब्रिज तक मौत बनता जा रहा सफर, हाईवे पर भ्रामक संकेत और बदहाल स्ट्रीट लाइटो से बढ़ रहीं दुर्घटनाएं

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लालकुआं मुक्तिधाम से गोरापड़ाव ओवरब्रिज तक मौत बनता जा रहा सफर, हाईवे पर भ्रामक संकेत और बदहाल स्ट्रीट लाइटो से बढ़ रहीं दुर्घटनाएं

बसंत पांडे

लालकुआं (उत्तराखंड)। नेशनल हाईवे का लालकुआं मुक्तिधाम से लेकर गोरापड़ाव ओवरब्रिज तक का लगभग 25 किलोमीटर लंबा खंड इन दिनों हादसों और यात्री भ्रम का प्रमुख केंद्र बन गया है। जहां एक ओर भ्रामक दिशा-सूचक बोर्ड यात्रियों को गलत मोड़ पकड़ने पर मजबूर कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अधूरी चौड़ाई, असंगत निर्माण और बिना चेतावनी के कट इस मार्ग को अत्यंत खतरनाक बना रहे हैं।

तीन पानी क्षेत्र पर लगा “ग्रेटर हल्द्वानी (गोलापार) आगमन पर स्वागत” का बोर्ड दिशा भ्रम का प्रमुख कारण बन गया है। इसमें काठगोदाम, नैनीताल, सितारगंज और अल्मोड़ा की ओर दूरी और दिशा दर्शाई गई है, जबकि वास्तव में वहां से इन स्थलों की ओर कोई सीधा मार्ग नहीं जाता। इससे गूगल मैप और बोर्ड पर भरोसा करने वाले कई वाहन चालक भटक जाते हैं और मुख्य मार्ग से कटकर असंगठित सड़कों में फंस जाते हैं।

इसी मार्ग पर लगे अन्य संकेतक बोर्ड भी भ्रम उत्पन्न कर रहे हैं। एक बोर्ड पर हल्द्वानी–काठगोदाम की दिशा दी गई है, जबकि उस दिशा में केवल हल्द्वानी का मार्ग है, काठगोदाम का नहीं। दूसरा बोर्ड ‘हल्द्वानी–नैनीताल’ की दिशा दिखाता है, जबकि वास्तव में वह मार्ग नैनीताल की ओर जाता है, हल्द्वानी की ओर नहीं। स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि इन संकेतकों को गलत स्थानों से हटाकर पेट्रोल पंप या बाज़ार वाले संपर्क मार्गों के पास स्थापित किया जाए, जहां से सही दिशा का मार्ग निकलता है।

इस दिशा भ्रम की स्थिति के बीच, इस हाईवे पर लगातार जानलेवा हादसे हो रहे हैं। लालकुआं मुक्तिधाम से लेकर गोरापड़ाव ओवरब्रिज तक के इस खंड पर बीते कुछ वर्षों में कई गंभीर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि कहीं भी उचित संकेतक, गति अवरोधक या संरक्षित कट नहीं हैं।

17 जुलाई को गौलापार निवासी कन्नू सिंह संबल की ट्रक से कुचलकर मृत्यु हो गई। वहीं उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।
13 जुलाई की रात हल्दूचौड़ निवासी व्यापारी दीपक जोशी की हल्दुचौड़ कट के पास वाहन की चपेट में आने से मृत्यु हो गई।
वर्तमान में नेशनल हाईवे ने वह कट बंद कर दिया जबकि वहां पर रात्रि संमय के लिए संकेत बोर्ड, स्ट्रीट लाइट लगे की आवश्यकता थी ना की कट को बंद करना था।

जुलाई 2024 में नशा विरोधी अभियान से लौट रहे युवाओं की स्कूटी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें एक की मौत और कई घायल हो गए थे। दिसंबर 2024 में गोरापड़ाव मोड़ पर एक मालवाहक वाहन पलट गया था, जिसमें चालक और एक राहगीर घायल हो गए थे। वहीं लालकुआं से मुक्तिधाम तक के खंड में भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है।

यह मार्ग न केवल आम यात्रियों के लिए, बल्कि सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल, बिंदुखत्ता की लगभग 80 हजार आबादी और रुद्रपुर सिडकुल जाने वाले हज़ारों श्रमिकों की दैनिक आवाजाही का प्रमुख रास्ता है। लेकिन इस संपूर्ण खंड में सुरक्षा उपाय नाममात्र के हैं। लालकुआं से मुक्तिधाम तक स्ट्रीट लाइटें तो लगी हैं, लेकिन उनमें कहीं भी रोशनी नहीं जलती, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है।

इन हालातों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट पीयूष जोशी ने उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजकर गंभीर संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने इस पूरे हाईवे खंड की हालत को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का खुला उल्लंघन बताया है।

हर्ष बिष्ट ने आरोप लगाया है कि निर्माण एजेंसियों ने न तो सुरक्षा मानकों का पालन किया है और न ही हादसों के बाद कोई जिम्मेदारी तय की गई। सड़क पर स्ट्रीट लाइटें, गति अवरोधक, चेतावनी संकेतक और सीसीटीवी कैमरे जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
कैप्टन प्रताप सिंह बिष्ट ने कहा कि मार्ग का स्थलीय निरीक्षण, सड़क सुरक्षा ऑडिट और दोषी एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई के साथ ही प्रत्येक मृतक परिवार को ₹25 लाख और गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को ₹5 लाख की राहत राशि दिए जाने की भी मांग की है।

इससे पूर्व सामाजिक कार्यकर्ता बसंत बल्लभ पांडे ने भी जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उक्त हाईवे खंड का स्वयं निरीक्षण करने और संबंधित एनएच अधिकारियों को मौके पर बुलाकर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की थी।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और एनएच विभाग से भ्रामक दिशा संकेतकों को हटाने, गूगल मैप की जानकारी अपडेट करने, और सड़क सुरक्षा उपाय शीघ्र लागू करने की पुरजोर मांग की है। उनका कहना है कि यह केवल सड़क नहीं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन, सम्मान और अधिकार से जुड़ा गंभीर मसला है, जिसे अब और टाला नहीं जा सकता।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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