बोले समाज सेवी बृजवासी: भीमताल हरेले मेले की तैयारियों पर मेला प्रशासन विवादित घेरे में खड़ा…


भीमताल हरेले मेले की तैयारियों पर मेला प्रशासन विवादित घेरे में खड़ा
मेले पर एकल अधिकार स्थापित किए हुए: स्थानीय लोगों ने की भव्यता के साथ समावेशी आयोजन की मांग
एक तरफ मेले को राजकीय मेला घोषित किए जाने की माँग मेला प्रेमी करते आ रहे और दूसरी तरफ नगर पालिका मेले पर अपना एकल अधिकार स्थापित कर रही है ये कहाँ तक न्याय संगत मेले के साथ प्रशासन का न्याय है
पहाड़ की संस्कृति को जोड़े सैकड़ों स्थानीय लोगों के दिलों से जुड़े इस मेले को प्रशासन आय का साधन न बनाकर मनोरंजन का साधन इस मेले को बनाए
भीमताल(नैनीताल)। कुमाऊँ प्रांत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के भीमताल हरेले मेले की तैयारियों को लेकर विवाद गहरा गया है। स्थानीय लोग, मेला प्रेमी, वरिष्ठ नागरिक और महिला संगठन प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं कि मेले की हालिया बैठक में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया, जो दशकों से इस मेले को अपनी संस्कृति, कला और प्रकृति प्रेम के साथ जीवंत रखते आए हैं।
मेले का ऐतिहासिक महत्व:
भीमताल हरेले मेला कुमाऊँ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो हरेला पर्व के साथ जुड़ा हुआ है। यह मेला प्रकृति, कृषि और सामुदायिक एकता का उत्सव है, जो शताब्दी से भी अधिक समय से आयोजित होता आ रहा है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, इस मेले की शुरुआत क्षेत्र की समृद्ध परंपराओं को संजोने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के लिए हुई थी। हर साल यह मेला स्थानीय कला, हस्तशिल्प, लोक नृत्य और संगीत के माध्यम से कुमाऊँ की संस्कृति को जीवंत करता है। यहाँ के लोग इसे केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि अपनी पहचान और एकता का प्रतीक मानते हैं।
विवाद का कारण:
सामाजिक कार्यकर्ता पूरन बृजवासी ने जिला प्रशासन को लिखे पत्र में गहरी नाराजगी जताई है। पत्र में कहा गया है कि प्रशासन ने मेले की तैयारियों के लिए हाल ही में एक गोपनीय बैठक आयोजित की, जिसमें केवल कुछ चुनिंदा लोगों को शामिल किया गया।
इस बैठक से आसपास के दर्जनों गाँवों और मेला प्रेमियों को बाहर रखा गया, जिससे उनकी भावनाएँ आहत हुई हैं। बृजवासी ने बताया कि पहले प्रशासन मेले की तैयारियों से पहले पत्र, फोन कॉल और सार्वजनिक घोषणाओं के माध्यम से सभी को सूचित करता था, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हरेले मेला सभी का साझा उत्सव है, न कि कुछ लोगों का निजी आयोजन। उन्होंने प्रशासन पर मेले को “निजीकरण” करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, वर्ष 2024 के मेले के खर्चों का ब्यौरा अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे जनता में तरह-तरह की चर्चाएँ हो रही हैं। लोगों ने माँग की है कि जनता के पैसों का हिसाब पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक किया जाए।
स्थानीय लोगों की माँग:
पूरन बृजवासी ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि मेला अधिकारी सभी हितधारकों को शामिल कर एक नई बैठक आयोजित करें और मेला टीम चयन, कार्यक्रम आदि की योजना बनाएँ। उन्होंने कहा कि इससे मेला प्रेमियों की भावनाओं का सम्मान होगा और इस वर्ष का मेला और भव्यता के साथ राजी-खुशी मनाया जा सकेगा। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की माँग की है ताकि मेले की तैयारियाँ समावेशी और पारदर्शी तरीके से हो सकें।
सांस्कृतिक महत्व और अपेक्षाएँ:
भीमताल हरेले मेला न केवल स्थानीय समुदाय के लिए, बल्कि पूरे कुमाऊँ क्षेत्र के लिए एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह मेला स्थानीय कलाकारों, हस्तशिल्पियों और महिला समूहों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मंच प्रदान करता है। मेला प्रेमियों का कहना है कि इस आयोजन को सभी की भागीदारी के साथ और अधिक समृद्ध बनाया जा सकता है।
प्रशासन की जिम्मेदारी:
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से माँग की है कि वह मेले के आयोजन में पारदर्शिता बरते और सभी समुदायों को शामिल करे। वे चाहते हैं कि मेला अपनी मूल भावना के साथ आयोजित हो, जिसमें कुमाऊँ की संस्कृति, कला और सामुदायिक एकता का उत्सव मनाया जाए।
इस विवाद ने भीमताल हरेले मेले की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और क्या यह मेला अपनी पुरानी भव्यता और समावेशिता के साथ आयोजित हो पाएगा।



