तीज पर विशेष: शिव शक्ति की दिव्य प्रेम कहानी : लोक पर्व हरतालिका तीज

खबर शेयर करें -

शक्ति आलेख : शिव शक्ति की दिव्य प्रेम कहानी : हरतालिका तीज: लोक पर्व

भारतीय सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी : एक महिला – केंद्रित उत्सव.

शक्ति.प्रिया @डॉ.सुनीता मधुप.

विष्णु रूपाय शिवाय शिवाय विष्णु रूपाय : शिवाय विष्णु रूपाय, शिव रूपाय विष्णुवे ‘ का अर्थ है कि शिव ही विष्णु का रूप हैं और विष्णु ही शिव का रूप हैं, अर्थात् दोनों एक ही हैं और एक-दूसरे में समाहित हैं। इस अर्थ में भोले नाथ को पालनकर्ता ( विष्णु स्वरुप वाले ) पिता तुल्य अभिभावक हो तथा त्रुटि, गलती होने पर संशोधन करने वाले भी हो।
यह श्लोक भगवान शिव और भगवान विष्णु की एकता और अविभाज्यता को दर्शाता है, जहाँ शिव के हृदय में विष्णु और विष्णु के हृदय में शिव का वास होना है, जो सनातनी धर्म में हरिहर पूजा के रूप में भी व्यक्त होता है। यथार्थ है समस्त जगत के उन्नयन , संरक्षण के लिए शिव हरि के मध्य सामंजस्य होना अनिवार्य है।

तीज : शिव शक्ति की प्रेम कहानी : हरतालिका तीज : जब कभी भी तीज आता है तो अम्मा याद आ जाती है। बड़ी विधि विधान से तीज व्रत करवाती थी। आज भी हम सभी इस लोक पर्व की संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है।
मेरी माने तो लोक पर्व भारतीय सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी है तीज.भगवान शिव और पार्वती की कहानी सती के रूप में शिव की पत्नी के दोबारा जन्म से शुरू होती है, जो शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करती हैं, शिव उनकी परीक्षा लेते हैं,और अंत में वे उन्हें वर के रूप में प्राप्त कर शिव की अर्धांगिनी बनती हैं.शिव के प्रति शक्ति का प्रेम अतुलनीय है।

भारतीय लोक सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी :
फसली पर्व : मानसून के मौसम में है यह तीज। चंद्रमा का चक्र निर्धारित करता है कि प्रत्येक वर्ष तीज कब मनाई जाती है। यह त्यौहार भारत के मानसून के मौसम में सालाना जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है। यह त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है, मुख्य रूप से देश के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में। हालांकि केवल हरियाणा में यह तीज आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश के साथ मनाया जाता है।
भारतीय सभ्यता संस्कृति : यह राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में विशेषतः मनाया जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर, तीज के कुछ सबसे प्रसिद्ध उत्सवों का घर है। बिहार, में नालन्दा , गया ,नवादा आदि समस्त मगध क्षेत्र में यह लोक पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है। महिलाएं २४ घंटे का निर्जला उपवास करती है।

संध्या के समय गौरी शिव की पूजा की जाती है और यह कामना की जाती हैं कि उनके पति परमेश्वर जैसी स्वस्थ दीर्घ आयु पाएं। और उनका प्रेम शिव शक्ति जैसा ही हो। और दूसरे दिन आसन का विसर्जन होता है। पास के नदी तालाब में मूर्तियां विसर्जित कर दी जाती है इस सन्देश के साथ की अगले वर्ष गौरी शिव की पूजा से जुड़ी तीज का वो व्रत पुनः करें। समस्त विधि विधान के बाद महिलाएं अपना उपवास जल या शर्वत ग्रहण कर तोड़ती हैं।
तीज महोत्सव भारत में मानसून के आगमन के साथ मनाया जाने वाला एक महिला -केंद्रित उत्सव है, जिसे मुख्य रूप से श्रावण मास में मनाया जाता है. यह पर्व भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है, और विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु व वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं. इस दौरान महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं. यह त्योहार आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक है.
*
विष्णु रूपाय शिवाय
शिवाय विष्णु रूपाय
*
तीज के प्रकार :
तीज के प्रकार : हरियाली तीज : सावन के महीने में मनाई जाने वाली हरियाली तीज सबसे प्रसिद्ध है और इसमें प्रकृति की हरियाली का जश्न मनाया जाता है.
कजली तीज : यह हरियाली तीज के बाद आने वाला एक और महत्वपूर्ण तीज है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है.
हरतालिका तीज : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती की पूजा होती है. सब तीज हर्ष उल्लास के साथ ही मनाए जाते है।

लोक पर्व उत्सव की.मुख्य गतिविधियाँ
उपवास और पूजा : महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शिव -पार्वती की पूजा करती हैं. पति पत्नी के मध्य अमर प्रेम की चर्चा होती है तो हरतालिका तीज: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली हरतालिका तीज की चर्चा होती है।
झूला झूलना: यह तीज का एक प्रमुख आकर्षण है, जिसमें महिलाएं पेड़ों से बंधी डालियों पर झूला झूलती हैं. सावन के झूले खूब चर्चें में होते हैं।

गांवों में इसका प्रचलन अब भी है।
सजावट : महिलाएं नए और रंगीन वस्त्र पहनती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं और अन्य पारंपरिक श्रृंगार करती हैं. अलता पैरों में लगाती हैं। खूब सजती सवरती है। तीज के दौरान महिलाएं अपनी बेहतरीन एक्सेसरीज और पोशाक पहनती हैं। वे अक्सर अपने हाथों पर मेहंदी या मेहंदी की सजावट भी करवाती हैं। वे कई गीत गाते हैं जो त्योहार से जुड़े होते हैं। वे झूलों पर झूलते हैं जो पेड़ की बड़ी शाखाओं से बंधे होते हैं। वे उपवास और भव्य, भव्य दावतों के संयोजन का भी अनुभव करते हैं। नृत्य एक और विशिष्ट तीज गतिविधि है।
संगीत और नृत्य: इस अवसर पर लोकगीत गाए जाते हैं और नृत्य प्रस्तुतियां दी जाती हैं. पूजा संपन्न होने के बाद बिहार झारखण्ड में महिलाओं को लोक गीत गाते हुए देखा जा सकता हैं जिसमें शक्ति की शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की बात होती हैं।

त्योहार के व्यंजन : पारंपरिक घेवर मिठाई तीज से जुड़ी हुई है. गुजिया ठेकुए आदि बनते हैं।
जुलूस : राजस्थान जैसे राज्यों में, जयपुर में तीज का भव्य जुलूस निकाला जाता है.
महत्व : जीवन में वैवाहिक सुख का : यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है, जो अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. यह त्योहार सुहागन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है, जो पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं.
तीज पत्नी पार्वती और पति शिव के बीच संबंधों का प्रतिनिधित्व करती है। यह त्योहार पार्वती के अपने पति के प्रति अटूट समर्पण की याद दिलाता है। जब भारतीय महिलाएं तीज के दौरान अपने आशीर्वाद की तलाश करती हैं, तो वे एक मजबूत विवाह – और गुणवत्तापूर्ण पति प्राप्त करने के साधन के रूप में ऐसा करती हैं। तीज न केवल एक मजबूत शादी के इर्द-गिर्द केंद्रित है, बल्कि यह बच्चों की खुशी और स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
प्रकृति का उत्सव : यह मानसून के आगमन और चारों ओर फैली हरियाली का भी उत्सव है. हम हरीतिमा को बचा सकें,इस पर्व के जरिए यह सन्देश भी हम देना चाहते हैं।
तीज नाम को एक छोटे लाल कीट का संदर्भ माना जाता है जो मानसून के मौसम में जमीन से निकलता है।

हिंदू मिथकों का मानना ​​​​है कि जब ऐसा हुआ, तो पार्वती ने शिव के निवास का भ्रमण किया। इसने पुरुष और महिला के संबंध के प्रतीक रूप में सील कर दिया। तब से इस व्रत का नाम तीज हो गया
तीज न केवल शादी और पारिवारिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि यह मानसून पर भी ध्यान केंद्रित करती है। मानसून लोगों को गर्मी के महीनों की भीषण गर्मी से आराम देता है।

स्तंभ संपादन : शक्ति. शालिनी रेनू नीलम.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मंजिता सीमा अनुभूति

Ad Ad
Ad
Ad

दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

Related Articles