जल जीवन मिशन में 450 करोड़ के घोटाले का खुलासा, जिस कंपनी को करना था ब्लैकलिस्ट, उसे दे दिया 100 करोड़ का अतिरिक्त काम, गांव में सूख रहे हलक


जल जीवन मिशन में 450 करोड़ के घोटाले का खुलासा, जिस कंपनी को करना था ब्लैकलिस्ट, उसे दे दिया 100 करोड़ का अतिरिक्त काम
गांव-गांव में पानी के लिए हाहाकार, नल सूखे
बाहरी कंपनियों पर मेहरबान हैं अधिकारी
धक्के खा रहे स्थानीय कॉन्ट्रैक्टर
देहरादून। मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति के संस्थापक संयोजक और उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के महासचिव मोहित डिमरी ने जल जीवन मिशन के तहत बन रही पेयजल योजनाओं में 450 करोड़ के घपले-घोटालों का खुलासा किया है। उन्होंने कहा जल जीवन मिशन का नाम बदलकर नल कमीशन मिशन कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अधिकारी स्लीपिंग पार्टनर के रूप में काम कर रहे हैं। अधिकतर पेयजल योजनाओं को बाहर की कंपनियों को दिया गया है। जिन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया है, उन कंपनियों को संरक्षण दिया जा रहा है।
प्रेस क्लब देहरादून में पत्रकारों से वार्ता करते हुए मोहित डिमरी ने कहा कि गांव-गांव में पानी के लिए हाहाकार मचा है। नल सूख चुके हैं। जल जीवन मिशन की योजनाएं कागजों में तो बन गई है, लेकिन हकीकत में यह सिर्फ सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हुई है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल मंडल में जल जीवन मिशन के तहत करीब 800 करोड़ की लागत के 44 पेयजल योजनाओं का निर्माण चल रहा है। जिसमें से अकेले हरियाणा की कंपनी यूनिप्रो टेक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 372 करोड़ की लागत के 17 प्रोजेक्ट दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि वह रुद्रप्रयाग जनपद से हैं और यहां पर कंपनी द्वारा नवासू-खेड़ाखाल, क्वीलाखाल-सौंदा पम्पिंग योजना के साथ ही चोपता पेयजल योजना का निर्माण कार्य किया जा रहा है। चमोली जनपद में कांडा-मैखुरा ग्राम समूह पंपिंग योजना का निर्माण यह कंपनी कर रही है। इस निर्माण कार्यों में अनियमितता, धीमी प्रगति, अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने और अनियमितताओ के कारण इस कंपनी द्वारा बनाई जा रही अधिकतर योजनाएं सवालों में घेरे में है। यही वजह है कि इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की संस्तुति की गई है और अब इसी कंपनी को हल्द्वानी में 100 करोड़ की लागत से बनने जा रही पेयजल योजना के निर्माण का काम दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जल निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान और मुख्य अभियंता संजय सिंह का इस कंपनी से क्या रिश्ता है ? आखिर इस कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्य अभियंता स्लीपिंग पार्टनर की भूमिका में हैं। कई कंपनियों में इनकी पार्टनरशिप चल रही है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
मोहित डिमरी ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उत्तराखण्ड में स्थानीय या मूल निवासी कॉन्ट्रैक्टर नहीं हैं, जिनसे ये काम करवाये जा सकते थे। इसी तरह नैनीताल में भी सीवरेज और पेयजल योजना के 46 करोड़ के प्रोजेक्ट यूपी की चार कंपनियों को दिए गए। जिसमें दो कंपनी लखनऊ, एक बरेली और एक कानपुर की है।
मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तरकाशी में विश्वबैंक के पैसे से संगराली-पाटा और बौंगाडी पेयजल योजना का निर्माण हुआ और इस पर सात करोड़ की धनराशि खर्च हुई। बाद में तत्कालीन अभियंता आलोक कुमार, संजय सिंह सहित अन्य अभियंताओं ने जल जीवन मिशन में भी करीब सात करोड़ रूपये इसी योजना पर खर्च किये। जांच होने पर 25 लाख रुपए की वसूली के नोटिस भी इन अभियंताओं को जारी हुए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिकतर जनपदों में जल जीवन मिशन में घोटाले घपले सामने आते रहे हैं। चामोली जनपद के थराली में सुनला पेयजल योजना के निर्माण के दौरान करीब डेढ़ किमी पाइप लाइन ही गायब हो गई थी, इसमें न्यायालय के आदेश के बाद भ्रष्ट अभियंता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। टिहरी जनपद के भेलूंता और अन्य क्षेत्रों में 10 करोड़ से अधिक घोटाले सामने आए। यही स्थिति पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में भी है। कुल मिलाकर जल जीवन मिशन में लगातार घपले-घोटाले सामने आ रहे हैं और जनता आज भी पानी के लिए तरह रही है।
मोहित डिमरी ने कहा कि घपले-घोटालों में शामिल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। सम्बंधित विभागीय कार्यालयों में तालाबंदी की जाएगी। इसके साथ ही मुख्य सचिव, पेयजल सचिव से अभी इस सम्बंध में मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।


