लाल चावल की खुशबू से महक गया है नेपाल का सीमावर्ती क्षेत्र

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लाल चावल की खुशबू से महक गया है नेपाल का सीमावर्ती क्षेत्र।

लाल चावल से रबड़ी की तरह बनी खीर खाने से ,हाथ चाटते रह जाते हैं लोग। जिलाधिकारी

लोहाघाट । नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में आए दिनों लाल चावल के लहलहाते खेतों से निकलने वाली सुगंध, यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर खींच रही है।दरअसल कृषि विभाग द्वारा लाल चावल की पौष्टिकता ,औषधिय गुणो स्वाद से भरपूर एवं लाजवाब इस चावल की मांग को देखते हुए इसका प्रक्षेत्र लगातार बढ़ाया जाता रहा है। नेपाल सीमा से लगे रौसाल, कमलेड़ी, कुनाडी, मटियानी, सुल्ला, पासम चौडला,आदि क्षेत्र में लाल चावल के कारण यहां की हवा की तासीर ही बदली हुई है।

चौडला गांव के माधो सिंह ऐसे किसान है जिन्होंने 50 नाली भूमि में लाल चावल की खेती की हुई है।पहले बासमती के लिए प्रसिद्ध रही लाधियाघाटी में भी अब लाल चावल की व्यापक स्तर पर खेती की जा रही है।कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी के अनुसार 70 हेक्टेयर में लाल चावल की खेती हो रही है। किसानों का इस ओर बढ़ते रुझान को देखते हुए इसका प्रक्षेत्र बढ़ता जा रहा है ।इस वर्ष अच्छी वर्षा होने के कारण उसका रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है दिल्ली में लाल चावल तीन सौ से चार सौ प्रति किलो की दर से बिकता है।

दस कुंतल लाल चावल पैदा करने वाले माधो सिंह का कहना है कि यदि इस चावल की डेड सौ से दो सौ रुपए तक प्रति किलो कीमत मिले तो अन्य किसान भी इसकी व्यापक खेती करने लगेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मॉडल जिले के उत्पादों को लगातार बढ़ावा देते हुए वह उनकी बिक्री के लिए ब्रांड एंबेसडर बने हुए हैं।
मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार का कहना है कि एन्थोसाइनिंग जैसे पोषक तत्व के कारण इस चावल में प्राकृतिक रूप से लाल कलर आ जाता है।

यदि इसके धान की ओखली में कुटाई की जाती है तो यह कलर बना रहता है जबकि मशीन में कुटाई करने पर इसका रंग कुछ मंदा पड़ जाता है इस चावल में काफी पौस्टिकता होती है।इसमें उच्च गुणवत्ता का कार्बोहाइड्रेट भी होता है।फिर यहां का यह चावल शत प्रति सत जैविक होता है जिसका अपना अलग ही स्वाद है।

लाल चावल बन गया है चम्पावत जिले की सौगात – डीएम

 

लोहाघाट मॉडल जिले में स्थानीय उत्पादों को लगातार बढ़ावा देते आ रहे जिलाधिकारी नवनीत पांडे का कहना है कि लाल चावल से रबड़ी की तरह बनने वाली स्वाद में लाजवाब खीर का इतना गजब का जायका आता है कि लोग हाथ चाटते जाते रह जाते हैं इस चावल से बने पारंपरिक पक्वानो में सय्या,जौला,चावल का माणा आदि का तो अलग ही स्वाद होता है अब जिले में होने वाले सार्वजनिक समारोह में इस चावल के स्टाल लगाकर इसकी और बिक्री की जाएगी इस चावल की विशेषता यह है कि जो व्यक्ति इसका एक बार प्रयोग करेगा उसकी जीभ दुबारा इसके पकवानों की मांग करेगी।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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