बुल्डोजर एक्शन पर सुप्रीम निर्देश जारी: अफसर जज नहीं बन सकते, प्रॉपर्टी तोडऩे में अफसर दोषी हुआ तो निर्माण कराएगा, मुआवजा देगा
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम निर्देश जारी
दिशानिर्देशों का पालन किए बिना तोडफ़ोड़ नहीं होगी, 15 दिन पहले देना होगा नोटिस
आरोपी का घर नहीं गिरा सकते
-अफसर जज नहीं बन सकते, प्रॉपर्टी तोडऩे में अफसर दोषी हुआ तो निर्माण कराएगा, मुआवजा देगा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि राज्य और उसके अधिकारी मनमाने और अत्यधिक कदम नहीं उठा सकते। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कार्यपालिका किसी व्यक्ति को दोषी घोषित नहीं कर सकती और जज बनकर किसी आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को ध्वस्त करने का फैसला नहीं कर सकती।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर एक्शन पर पूरे देश के लिए 15 गाइडलाइन जारी कीं। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी मामले में आरोपी होने या दोषी ठहराए जाने पर भी घर तोडऩा सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमने विशेषज्ञों के सुझावों पर विचार किया है। हमने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया है। जरूरी है कि कानून का राज होना चाहिए। बुलडोजर एक्शन पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता। घर गिराने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी जरूरी है। अगर कोई अफसर गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो वो अपने खर्च पर दोबारा प्रॉपर्टी का निर्माण कराएगा और मुआवजा भी देगा।
उत्तर प्रदेश, मप्र और राजस्थान में लगातार बुलडोजर एक्शन के बाद जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। आरोप लगाया था कि भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि कोर्ट अपने फैसले से हमारे हाथ ना बांधे। किसी की भी प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई है, क्योंकि उसने अपराध किया है। आरोपी के अवैध अतिक्रमण पर कानून के तहत एक्शन लिया गया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बुलडोजर एक्शन का मनमाना रवैया बर्दाश्त नही होगा। अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते। अगर किसी मामले में आरोपी एक है तो घर तोडक़र पूरे परिवार को सजा क्यों दी जाए? पूरे परिवार से उनका घर नहीं छीना जा सकता।
बुलडोजर एक्शन दरअसल कानून का भय नहीं होने को दर्शाता है। कोर्ट ने इससे पहले फैसला पढ़ते हुए कहा था कि घर एक सपने की तरह होता है। किसी का घर उसकी अंतिम सुरक्षा होती है। आरोपी के मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हो सकते। सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। अपराध की सजा घर तोडऩा नहीं है। किसी भी आरोपी का घर नहीं गिरा सकते।
कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर दिशानिर्देशों का जिक्र करते हुए कहा है कि बुलडोजर एक्शन को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए। नोडिल अधिकारी को 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा। नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए। यह नोटिस निर्माण स्थल पर चस्पा भी होना चाहिए। इस नोटिस को डिजिटल पोर्टल पर डालना होगा। कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने के भीतर पोर्टल बनाने को कहा है। पोर्टल पर इन नोटिसों का जिक्र करना जरूरी होगा।
कोर्ट ने कहा कि कानून की प्रकिया का पालन जरूरी है। सत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं होगा। अधिकारी अदालत की तरह काम नहीं कर सकते। प्रशासन जज नहीं हो सकता। किसी की छत छीन लेना अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने फैसले में साफ कहा है कि हर जिले का डीएम अपने क्षेत्राधिकार में किसी भी संरचना के विध्वंस को लेकर एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगा। यह नोडल अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया को सुनिश्चित करेगा कि संबंधित लोगों को नोटिस समय पर मिले और इन नोटिस पर जवाब भी सही समय पर मिल जाए। इस तरह किसी स्थिति में बुलडोजर की प्रक्रिया इसी नोडल अधिकारी के जरिए होगी।
जस्टिस बीआर गवई बोले कि एक आदमी हमेशा सपना देखता है कि उसका आशियाना कभी ना छीना जाए। हर एक का सपना होता है कि घर पर छत हो। क्या अधिकारी ऐसे आदमी की छत ले सकते हैं, जो किसी अपराध में आरोपी हो? आरोपी हो या फिर दोषी हो, क्या उसका घर बिना तय प्रक्रिया का पालन किए गिराया जा सकता है?
अधिकारी जज नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ आरोपी है, ऐसे में उसकी प्रॉपर्टी को गिरा देना पूरी तरह असंवैधानिक है। अधिकारी यह तय नहीं कर सकते हैं कि कौन दोषी है, वे खुद जज नहीं बन सकते हैं कि कोई दोषी है या नहीं। यह सीमाओं को पार करना हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अधिकारी किसी व्यक्ति का घर गलत तरीके से घर इसलिए गिराता है कि वो आरोपी है, यह गलत है। अधिकारी कानून अपने हाथ में लेता है तो एक्शन लिया जाना चाहिए। मनमाना और एकतरफा एक्शन नहीं ले सकते। अफसर ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए एक सिस्टम हो। अधिकारी को बख्शा नहीं जा सकता है।
जस्टिस गवई ने कहा कि एक घर समाजिक-आर्थिक तानेबाने का मसला है। ये सिर्फ एक घर नहीं होता है, यह बरसों का संघर्ष है, यह सम्माना की भावना देता है। अगर घर गिराया जाता है तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था। जब तक कोई दोषी करार नहीं दिया जाता है, तब तक वो निर्दोष है। ऐसे में उसका घर गिराना उसके पूरे परिवार को दंडित करना हुआ।