महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी की 132वीं जयंती पर विशेष……

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महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी की 132वीं जयंती पर शत शत नमन

कवयित्री/लेखिका शालिनी राय ‘डिम्पल’ सचिव शालिनी साहित्य सृजन की कलम से✍️

@highlight,  आज 9 अप्रैल 2025 को #महापंडित_राहुल_सांकृत्यायन जी की #132वीं_जयंती पर उनकी पावन जन्मस्थली #पंदहा जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम उनके विद्यालय पर गई जहाँ सभी छात्र राहुल जी की जयंती पर #आजमगढ़_नागरिक_समाज की ओर से आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में सम्मिलित हुए थे।

बच्चों के बनाये हुए चित्र का भलीभांति निरीक्षण किया। एक बच्चे ने राहुल जी की बड़ी सुन्दर तस्वीर बनाई थी जबकि ज़्यादातर बच्चों ने डॉ० भीमराव अंबेडकर जी को बनाया था। कहीं न कहीं एक बात मन को कचोट रही थी कि जैसे हम सब को बचपन में महापुरुषों की जीवनियों के बारे में पढ़ाया गया क्योंकि वह हमारे पाठ्यक्रम में हुआ करता था तो क्यों न इन बच्चों के पाठ्यक्रम में महापुरुषों के जीवनियों के संदर्भ में कोई पुस्तक चलाई जाए। बहरहाल! यह सरकार की योजना द्वारा ही संभव हो सकता है पर अध्यापक आजमगढ़ के गौरव से जुड़ी तमाम जानकारी अपने छात्रों से साझा कर सकता है।

विद्यालय से होकर अपनी मुंहबोली बहन व प्रिय सखी Pratibha Pathak दी के साथ मैं उनकी पुण्य प्रतिमा पर गई, जहाँ उनके चरणों में सादर नमन करते हुए युगपुरुष को पुष्प अर्पित किया तत्पश्चात उनके परिवार द्वारा संरक्षित एक छोटी सी पुस्तकालय, जो उसी गाँव में है; मैं वहाँ भी गई। वहाँ एक रजिस्टर पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ करते हुए मैंने #महापंडित_राहुल_सांकृत्यायन जी के बारे में कुछ लिखने का दुस्साहस किया क्योंकि युगपुरुष के विषय में कुछ लिखना सूरज को दीप दिखाने जैसा था। पुस्तकालय में थोड़ी देर रुककर हमने उनकी लिखी हुई कुछ पुस्तकें भी पढ़ी फिर वहाँ से निकलकर हम उनके ननिहाल वाले घर जाकर उनके परिवारजनों से भी मिले। राहुल जी के परिवारजन से मिलकर बहुत अच्छा लगा। यह जानकर और भी प्रसन्नता हुई कि भले ही मैं उनसे प्रथम बार मिली थी पर उनके लिए अनभिज्ञ न थी।

वहाँ घर की सभी महिलाएं मुझसे फेसबुक के जरिये चिर-परिचित थीं। उन्होंने खूब आवभगत किया और फिर आने का वादा ले मुझे विदा किया। यक़ीनन! मुझे एक क्षण के लिए भी ऐसा प्रतीत नही हुआ कि ये लोग मेरे लिए अजनबी हैं। व्यक्ति का सुन्दर व्यवहार ही उसके सुन्दर व्यक्तित्व का परिचायक होता है। संसार ऐसे ही कुछ अच्छे लोगों द्वारा संचालित है। अब बात करते हैं उस युग पुरूष की जिनकी 132वीं जयंती मेरे लिए विशेष रही। #महापंडित_राहुल_सांकृत्यायन जी जो #घुमक्कड़ी_साहित्य के #जनक भी कहे जाते हैं। घुमंतू स्वभाव के कारण उन्होंने विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया और फिर उन्हीं अनुभवों को संजोते हुए #घुमक्कड़_शास्त्र लिख दिया। महापंडित राहुल जी एक महान यात्री, इतिहासकार, और लेखक थे।

जिन्होंने हिंदी साहित्य और भारत-तिब्बत संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सतमी के बच्चे, वोल्गा से गंगा, बहुरंगी मधुपुरी, कनैला की कथा, बाईसवीं सदी, जीने के लिए, सिंह सेनापति, जय यौधेय, भागो नहीं दुनिया को बदलो, मधुर स्वप्न, राजस्थान निवास, विस्मृत यात्री, दिवोदास, मेरी जीवन यात्रा, सरदार पृथ्वीसिंह, नए भारत के नए नेता, बचपन की स्मृतियाँ, अतीत से वर्तमान, स्तालिन, लेनिन, कार्ल मार्क्स, माओ-त्से-तुंग, घुमक्कड़ स्वामी, मेरे असहयोग के साथी, जिनका मैं कृतज्ञ, वीर चंद्रसिंह गढ़वाली, सिंहल घुमक्कड़ जयवर्धन, कप्तान लाल, सिंहल के वीर पुरुष, महामानव बुद्ध, लंका, जापान, इरान, किन्नर देश की ओर, चीन में क्या देखा, मेरी लद्दाख यात्रा, मेरी तिब्बत यात्रा, तिब्बत में सवा वर्ष, रूस में पच्चीस मास, घुमक्कड़-शास्त्र जैसी कालजयी कृतियों के कृतिकार साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण पुरस्कार, त्रिपिटिकाचार्य इत्यादि से सम्मानित बहुमुखी प्रतिभा के धनी यायावर#महापंडित_राहुल_सांकृत्यायन जी को उनकी जयंती पर शत शत नमन!

कवयित्री/लेखिका शालिनी राय ‘डिम्पल’ सचिव शालिनी साहित्य सृजन की कलम से✍️

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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