मॉडल जिले में बाराही धाम के श्रीबाराही संस्कृत महाविद्यालय को अभी तक नहीं मिल पाया है, राजकीय आवासीय महाविद्यालय का दर्जा

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मॉडल जिले में बाराही धाम के श्रीबाराही संस्कृत महाविद्यालय को अभी तक नहीं मिल पाया है, राजकीय आवासीय महाविद्यालय का दर्जा ।

संस्कृत शिक्षा के प्रसार एवं दी जा रही है उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा से बन सकता है यह राज्य का मॉडल संस्कृत महाविद्यालय

देवीधुरा। राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड के दोनों मंडलों में आवासीय संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना करने का प्रस्ताव किया गया था जिसमें कुमाऊँ मंडल में श्रीबाराही संस्कृत महाविद्यालय बाराही धाम देवीधुरा एवं गढ़वाल मंडल में देहरादून के शिवनाथ संस्कृत महाविद्यालय का चयन किया गया था। जिसके लिए बाकायदा पचास लाख रुपया टोकन मनी भी जारी कर दी गई थी। इस संबंध में निदेशक संस्कृति विभाग आर के कुंवर ने 7 अगस्त 2018 को सचिव संस्कृत शिक्षा को पत्र लिखकर श्रीबाराही संस्कृत महाविद्यालय को राजकीय आवासीय महाविद्यालय बनाने की पहल की गई थी।

विदित हो कि वर्ष 1945 में कुमाऊं में संस्कृत एवं सनातन संस्कृति के व्यापक प्रचार प्रसार व इस भाषा के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार देने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। उत्तर मध्यमा से इस विधालय की शुरुआत की गई थी। जिसे संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से मान्यता दी गई थी। वर्ष 1990 में महाविद्यालय को शास्त्री की मान्यता मिलने के बाद विद्यालय के संस्थापक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित घनश्याम शास्त्री द्वारा अपनी भूमि विद्यालय को दान कर यहां जन संयोग से कुछ भवनों का निर्माण कराया गया था।

इस महाविद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुशासन पर विशेष ध्यान केंद्रित किए जाने से यहां के बच्चे उत्तराखंड स्तर की मेरिट में अपना स्थान बनाने लगे। यहां के छात्र कमलेश डालाकोटी ने उत्तराखंड के टॉपर बन कर महाविद्यालय के गौरव को बढ़ाने के साथ यहां अध्यनरत छात्रों में आगे बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी। आज जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा चंपावत को मॉडल जिला बनाने का प्रयास किए जाने के बाद इस महाविद्यालय के आवासीय महाविद्यालय बनने के द्वार खुल गए हैं।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री धामी बाराही शक्तिपीठ के प्रबल उपासक भी हैं तथा प्रतिवर्ष यहां होने वाली बगवाल में पिछले 4 वर्षों से लगातार आते रहे हैं। संस्कृत महाविद्यालय की उच्च शैक्षिक गुणवत्ता एवं यहां के छात्रों के कैरियर बनने से यहां प्रवेश लेने वाले छात्रों की लाइन लगी हुई है। लेकिन साधन व संसाधनों की कमी ने बच्चों की यहां आने की राह रोक दी है। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को कहना है कि यदि इस महाविद्यालय को राजकीय आवासीय महाविद्यालय बनाया जाता है तो यह उत्तराखंड का ऐसा मॉडल महाविद्यालय बनेगा जिसका अनुसरण राज्य के अन्य महाविद्यालय भी करेंगे।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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