जब चित्त मिला तब मित्र बने: शालिनी राय “डिम्पल

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जब चित्त मिला तब मित्र बने: शालिनी राय “डिम्पल”

सभी मित्रों को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐

जब चित्त मिला तब मित्र बने,
इस मनोभाव को व्यक्त किया।
स्व-सृजित स्वर्णिम पंक्तियों से,
भावना सभी अभिव्यक्त किया।।

शुभकामना रहे अनवरत यह,
प्रिय मित्र सदा ख़ुशहाल रहो।
शुभ-लाभ न छोड़ें साथ तेरा,
तुम सदा ही मालामाल रहो।।

ऋद्धि-सिद्धि भी बने सहचर,
संग मैं भी सहचरी रहूँ सदा।
सर्वथा सखी बनूँ अतिसुन्दर,
तेरे लिए ‘बेहतरीं’ रहूँ सदा।।

इस हृदय में ‘प्रेम-समुंदर’ हो,
मन में ‘ईश्वर’ सी भक्ति हो।
यह मित्र-भाव भी अटल रहे,
‘मित्रता’ हमारी शक्ति हो।

खिल जाएँ कलियां ख़ुशियों की,
अतिसुन्दर एक सुंदरवन हो।
मह-मह महके जहाँ पुष्प सदा,
यह हर्षोल्लास का उपवन हो।।

इस हर्षोल्लास के उपवन की,
तुम ही इकलौती माली बनो।
हों बोल तुम्हारे, अति मधुरिम,
मधुरस से भरी तुम प्याली बनो।

‘समृद्धि’ समीप, सदैव स्थिर,
और सुन्दर, सुगम विजयपथ हो।
सूर्य-सम रक्तिम ‘आभामंडल’,
और निकट एक रश्मिरथ हो।।

प्रगतिशील पथ पर चलकर,
तू पूर्णमासी का प्रभास बने।
हे मित्र! हमारी मित्रता भी,
इस जगत में एक इतिहास बने।।

@स्वरचित व मौलिक
कवयित्री: शालिनी राय ‘डिम्पल’
आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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