शिव आराधना पवित्र भावना और आत्म-समर्पण का प्रतीक: शैलदीदी

शिव आराधना पवित्र भावना और आत्म-समर्पण का प्रतीक: शैलदीदी
शांतिकुंज स्थित शिवालय में सामूहिक शिवाभिषेक, गूंजे वैदिक मंत्र
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज स्थित श्रावण मास के महाशिवरात्रि पर्व पर बुधवार को विशेष शिवाभिषेक कार्यक्रम श्रद्धा एवं भक्ति के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर शांतिकुंज के आश्रमवासी कार्यकर्ताओं सहित देशभर के विभिन्न राज्यों से पधारे सैकड़ों शिवभक्तों ने सहभागिता की और भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।
शिवाभिषेक का संचालन संस्कार प्रकोष्ठ के आचार्यों ने वैदिक परंपरा के अनुसार पुरुष सूक्त के मंत्रों के साथ किया। वैदिक मंत्रों की दिव्य गूंज से सम्पूर्ण वातावरण शिवमय और ऊर्जा-पूर्ण बन गया। इस पावन आयोजन का उद्देश्य आध्यात्मिक जागरण एवं आंतरिक शुद्धिकरण रहा।
इस अवसर पर दिये अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि यह मास आत्म-शुद्धि, तप, सेवा और संयम का विशेष अवसर है। भगवान शिव के आदर्शों को जीवन में अपनाकर मनुष्य न केवल आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है, अपितु समाजहित में भी योगदान दे सकता है।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव का जीवन हमें सरलता, समर्पण, समानता और सेवा का संदेश देता है। शिव जटाधारी हैं, भस्म लपेटे हैं, यह हमें सिखाता है कि सच्चा सुख वस्तुओं में नहीं, सादगी में है। समुद्र मंथन से निकला विष पीकर भी शिव ने जगत की रक्षा की, यह त्याग की पराकाष्ठा है। उनके वाहन नंदी की तरह हमें भी शांत, धैर्यवान व निष्काम भाव से सेवाभाव अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रावण मास व्रत-उपवास का समय के साथ ही आत्म-संयम, सेवा और तपस्या का अवसर है। यदि हम भगवान शिव के आचरण को अपने जीवन में उतार लें, तो यह हमारा सम्पूर्ण विकास का द्वार खोलेगा।
शिवाभिषेक के अंत में सभी श्रद्धालुओं ने सामूहिक प्रार्थना के माध्यम से सम्पूर्ण मानवता के कल्याण की कामना की।

