माताजी का सम्पूर्ण जीवन जीव मात्र के कल्याण के लिए समर्पित रहा : शैफाली पण्ड्या

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माताजी का सम्पूर्ण जीवन जीव मात्र के कल्याण के लिए समर्पित रहा : शैफाली पण्ड्या

संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह

हरिद्वार। गायत्री परिवार की संस्थापिका वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा की 31वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हरिद्वार में विशेष श्रद्धांजलि सभा और विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महिला मंडल की प्रमुख शैफाली पण्ड्या ने भावनात्मक संबोधन देते हुए कहा कि वंदनीया माताजी का सम्पूर्ण जीवन जीव मात्र के कल्याण के लिए समर्पित रहा। वे केवल एक व्यक्तित्व नहीं बल्कि समाज की दिशा बदलने वाली शक्ति थीं।

पण्ड्या ने कहा कि माताजी ने नारी सशक्तिकरण की अलख जगाई। वे प्रत्येक नारी को शक्ति स्वरूपा मानती थीं और उनके भीतर छिपी असीम संभावनाओं को उजागर करने के लिए सतत प्रयास करती रहीं। माताजी का विश्वास था कि जब नारी जागृत होगी तो समाज और राष्ट्र नई ऊँचाइयों को प्राप्त करेगा। त्याग और करुणा की प्रतिमूर्ति माताजी ने कभी अपने व्यक्तिगत लाभ की चिंता नहीं की, उनका जीवन समाज सेवा के लिए ही समर्पित रहा।

उन्होंने कहा कि माताजी का जीवन हम सबके लिए अनुकरणीय है। वे सेवा, साधना और समर्पण की जीवंत प्रेरणा रही हैं। वे हमेशा प्रेरित करती थीं कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन से कुछ समय अवश्य ही जनकल्याण के कार्यों के लिए निकाले। यही भावना आज करोड़ों लोगों को अखिल विश्व गायत्री परिवार से जोड़ रही है।

पण्ड्या ने कहा कि माताजी के स्नेह, मार्गदर्शन और दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि गायत्री परिवार आज एक विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है। देश और दुनिया में करोड़ों लोग माताजी की शिक्षाओं से शांति, सद्भाव और जीवन मूल्यों की अनुभूति कर रहे हैं। माताजी ने समाज में सांस्कृतिक जागरूकता और आध्यात्मिक उत्थान की नई धारा प्रवाहित की।

सभा के दौरान श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। वातावरण माताजी के भजनों और स्मृतियों से गूंजता रहा। सभी ने श्रद्धापूर्वक उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए और उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का संकल्प लिया। सांस्कृतिक संध्या में बहनों ने भक्ति गीत, भजन और लघु नाटिका प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।

अंत में महिला मंडल की प्रमुख ने सभी से आह्वान किया कि वे माताजी के बताए हुए मार्ग का अनुसरण करें और अपने जीवन को समाज व राष्ट्रहित में सार्थक बनाएं। उन्होंने कहा कि यही माताजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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