देहरादून: रायपुर विधानसभा क्षेत्र के ननूरखेड़ा में साल के हरे-भरे साल के जंगल को सुखाकर बसाई जा रही अवैध बस्तियां, प्रशासन खामोश
रायपुर विधानसभा क्षेत्र के ननूरखेड़ा में साल के हरे-भरे साल के जंगल को सुखाकर बसाई जा रही अवैध बस्तियां, प्रशासन खामोश
रायपुर थाने के ठीक पीछे 6.314 हेक्टेयर का जंगल, जो भूमि अभिलेखों में वन विभाग के नाम दर्ज है, वहां पक्के मकान और अवैध निर्माण चल रहा है।
18 साल पहले वन विभाग ने इस जमीन का सीमांकन किया था, बाउंड्री बनाई थी, पिलर लगाए थे। लेकिन अब वे पिलर गायब हैं।
रायपुर क्षेत्र में जंगल काटकर प्लाटिंग की शिकायतें भी आम हो चुकी हैं, मगर वन विभाग और प्रशासन खामोश तमाशबीन बने हुए हैं।
स्थानीय लोग चीख-चीखकर थक चुके हैं। मुख्यमंत्री, विधायक, वन विभाग, जिलाधिकारी, हर दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।
एक स्थानीय व्यक्ति ने खुलासा किया, “ये सब वोटबैंक की राजनीति है। अवैध कब्जों को संरक्षण दिया जा रहा है, क्योंकि ये लोग वोट का सौदा हैं!”
हम सरकार से सवाल पूछना चाहते हैं कि क्या पर्यावरण की कीमत पर सियासत की रोटियां सेंकी जा रही हैं? वन विभाग अपनी ही जमीन की हिफाजत क्यों नहीं कर रहा? क्या जंगल को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ कागजी खानापूरी तक सीमित है?

