ऋषि चिंतन……अपने सही स्वरूप को हम जानें

खबर शेयर करें -

*🥀०८ अक्टूबर २०२४ मंगलवार🥀*
*//आश्विनशुक्लपक्ष पंचमी २०८१ //*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
*‼ऋषि चिंतन‼*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
*अपने सही स्वरूप को हम जानें*
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
👉 *”आत्मा” की महिमा और गरिमा को समझा जा सके तो उसे उसके स्तर के अनुरूप स्थिति में रखने की इच्छा होगी।* इसके लिये जगी अभिलाषा और विकसित हुई स्थिति आत्मगौरव कहलाती है। *”गौरवान्वित” को संतोष मिलता है और आनंद भी।* तिरस्कृत को हीनता अनुभव होती है और लज्जित एवं दुखी रहना पड़ता है। आत्मबोध जब तक न हो तब तक भेड़ों के झुंड में पले सिंह शावक की तरह हेय स्थिति में नर-पशु की तरह रहना पड़ता है; पर जिस क्षण अपने अस्तित्व की यथार्थता एवं गरिमा का बोध होता है, उसी समय में यह आतुरता उत्पन्न होती है कि लज्जास्पद स्थिति से उबरना ही चाहिए। *गौरवान्वित होकर ही रहना चाहिए।* हेय और हीन बनकर रहना जब धिक्कार के योग्य लगता है तो भीतर से एक विशेष तड़पन और तिलमिलाहट उठती है। *तत्त्वज्ञानियों ने इस स्थिति को “ईश्वर भक्ति” कहा है।* हेय स्तर अर्थात भव-बंधन। उत्कृष्ट स्वाभाविकता अर्थात ईश्वर मिलन।
👉 *”ब्रह्म विद्या” में आत्मबोध को प्रथम स्थान दिया गया है और अपने आपे की वास्तविकता समझाने के लिए कई सूत्र संकेत दिए गए हैं।* अयमात्मा ब्रह्म, प्रज्ञानं ब्रह्म, शिवोऽहम्, सच्चिदानंदोऽहम, सोऽहम्, तत्त्वमसि आदि सूत्रों में ईश्वर और आत्मा की एकता का प्रतिपादन है। अंश और अंशी की स्थिति का उद्बोधन है। *”जीव चेतना” को “ब्रह्म चेतना” का छोटा संस्करण माना गया है और कहा गया है कि उसमें सत्, चित्, आनंद की, सत्यं-शिवं-सुंदरम् की समस्त विशेषताएँ विद्यमान हैं।*
👉 संकट प्रसुप्त स्थिति का है। सोया हुआ मनुष्य अर्द्धमृतक स्थिति में पड़ा रहता है। उस स्थिति में उसे गंदगी, दुर्गंध, अपमान, दुर्गति का बोध नहीं होता । कुछ भी भला-बुरा होता रहे, गहरी नींद में कुछ सूझता ही नहीं। ठीक आत्मबोध से रहित स्थिति में जीव की असीम दुर्गति रहती है। खुमारी यह विदित ही नहीं होने देती कि उसकी कैसी दुर्गति हो रही है। *इस खुमारी के कारण उत्पन्न हुई अर्द्धमूच्छित स्थिति को ‘माया’ कहते हैं।* माया को ही जीव की दयनीय दुर्गति का कारण बताया गया है।
➖➖➖➖🪴➖➖➖➖
*आस्तिकता की आवश्यकता और उपयोगिता पृष्ठ-०४*
*🪴पं. श्रीराम शर्मा आचार्य 🪴*
➖➖➖➖🪴➖➖➖➖

Ad
Ad

दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

Related Articles