हुड़के पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखण्ड दौरे पर थाप लगा कर खूब वाहवाही बटोरी थी 

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लोक संस्कृति के विकास में निरन्तर प्रयास रत हैं लोक गायक नागेन्द्र

अल्मोड़ा।  यूँ तो उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति , बोली , भाषा , खानपान आदि को संरक्षित करने , सहेजने , सँवारने में बहुत से लोग लगे हुए हैं । ऐसे ही एक लोक गायक नागेन्द्र प्रसाद जोशी भी हैं जो अपने गीतों के माध्यम से लोक संस्कृति को आगे बढ़ा ही रहे हैं बल्कि अपने इसी प्रयास से आजकल लोक संस्कृति के जानकारों व लोक वाद्य यंत्रों को बजाने वालों के साथ मुलाकात कर उनकी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से आम जन मानस तक पहुँचा रहे हैं।

उनकी इसी कड़ी में उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध लोक गायक , रंगकर्मी व हुड़का वादक गोपाल चम्याल के साथ हुई हुड़के पर भेंटवार्ता आजकल सोशल मीडिया पर छाई हुई है । जिसमें गोपाल चम्याल द्वारा हुड़के के बारे में व इसे बजाने की जानकारी दी गयी है । लोग उनके हुड़का बजाने की काफी तारीफ भी करते दिखाई दे रहे हैं ।

लोक गायक नागेन्द्र प्रसाद जोशी अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित गोबर्धन तिवारी बेस हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में कार्यरत हैं और ड्यूटी के बाद का समय वह लोक संस्कृति के उत्थान हेतु देते हैं । नागेन्द्र का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी पारम्परिक चीजों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति , यहां के वाद्य यंत्रों को भूल जाएगी ।

इसलिए समय रहते यहाँ की संस्कृति , यहाँ के पारम्परिक वाद्य यंत्रों को बजाने वालों को , उनकी कला को संरक्षित करने हेतु सबको मिलकर थोड़ा-थोड़ा प्रयास जरूर करने होंगे । तभी लोक संस्कृति बच पाएगी ।
हुड़का उत्तराखण्ड का प्रमुख वाद्ययंत्र है और इसे लोक संगीत, जागर और खेतों में धान की रोपाई , मडुवे की निराई-गोड़ाई के दौरान बजाया जाता है. हुड़का काम के दौरान सकारात्मक ऊर्जा व उत्साह प्रदान करता है । हुड़का सामाजिक एकता , धार्मिक महत्ता , लोक संस्कृति के बहुआयामी रंग का प्रतीक भी है ।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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