“ *अब युद्ध के मैदान से लेकर करियर विकल्पों तक, एआई हर दिशा में ला रहा है बदलाव” — हल्द्वानी में एआई जागरूकता अभियान का एक और सफल आयोजन*


“ *अब युद्ध के मैदान से लेकर करियर विकल्पों तक, एआई हर दिशा में ला रहा है बदलाव” — हल्द्वानी में एआई जागरूकता अभियान का एक और सफल आयोजन*
हल्द्वानी। शहर में तकनीकी साक्षरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास करते हुए, विजएआई रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित साप्ताहिक एआई जागरूकता अभियान का नया चरण 30 और 31 मई को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। शुक्रवार को यह आयोजन डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, डमुवाडुंगा में और शनिवार को डॉ. डी.डी. पंत पार्क, एमबीपीजी कॉलेज के सामने हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में छात्रों, अभिभावकों और तकनीकी क्षेत्र के उत्साही युवाओं ने हिस्सा लिया।
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डॉ. आयुषी मठपाल ने रखे अपने विचारों के साथ कार्यक्रम की इस अभियान की शुरुआत विजएआई रोबोटिक्स की उपाध्यक्ष डॉ. आयुषी मठपाल के प्रेरणादायक वक्तव्य से हुई। उन्होंने बिल गेट्स के एक विचार का हवाला देते हुए कहा:
“एक दिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुपरइंटेलिजेंस में तब्दील हो सकता है, इसलिए ज़रूरी है कि इसका विकास मानवता के हित में हो।”
डॉ. मठपाल ने स्पष्ट किया कि एआई केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि वह शक्ति है जो आने वाले समय में हमारे निर्णयों, नौकरियों और पहचान को भी आकार देगी। उनका कहना था कि एआई अब केवल चैटबॉट्स या सिफारिशी सिस्टम्स तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह उस चरण में प्रवेश कर चुका है जिसे “सुपरइंटेलिजेंस” कहा जाता है—जहां मशीनें इंसानों से भी बेहतर सोचने, योजना बनाने और निर्णय लेने में सक्षम हो सकती हैं।
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भारत में 51% टैलेंट गैप: NASSCOM रिपोर्ट
शनिवार के सत्र में डॉ. मठपाल ने NASSCOM की एक अहम रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि भारत में एआई और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में डिमांड और स्किल सप्लाई के बीच 51% का अंतर है।
“देश में अवसरों की कोई कमी नहीं है, लेकिन प्रशिक्षित पेशेवरों की बेहद कमी है। अगर आज के विद्यार्थी एआई को नहीं सीखते, तो आने वाले कल में वे प्रतिस्पर्धा में काफी पीछे रह जाएंगे।”
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डॉ. हेम चंद्र जोशी की सहज व्याख्या: “सीखने की कोई उम्र नहीं होती”
कार्यक्रम के अगले सत्र में वरिष्ठ शिक्षक डॉ. हेम चंद्र जोशी, जो स्वयं 55 वर्ष की उम्र में एआई सीख रहे हैं, ने एआई की जटिलता को सरल शब्दों में समझाया।
“एआई कोई जादू नहीं, बल्कि एक तकनीकी साधन है जो हमारे जीवन को सहज और सरल बना रहा है। जैसे बिजली ने हमारे घरों को रोशन किया, वैसे ही एआई हमारे रोज़मर्रा के कामों को आसान बना रहा है।”
उन्होंने कहा कि
“सीखना कभी भी बंद नहीं होना चाहिए। यदि हम तकनीक को समझें, स्वीकार करें और उसके साथ सामंजस्य बैठाएं, तो वह हमें नई संभावनाओं की ओर ले जा सकती है।”
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समापन में डॉ. अरविंद जोशी का संदेश: “अब सीमा पर रोबोट होंगे”
कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ डेटा वैज्ञानिक डॉ. अरविंद जोशी ने किया। उन्होंने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए कहा:
“2023 में 66% नौकरियों पर एआई का प्रभाव देखा गया है, और आने वाले समय में सेना भी इससे अछूती नहीं रहेगी।”
“आज के युद्ध ड्रोन के माध्यम से लड़े जा रहे हैं, और कुछ ही वर्षों में हम सीमाओं पर ह्यूमनॉइड रोबोट्स को भी तैनात होते देख सकते हैं।”
उन्होंने युवाओं और अभिभावकों से आग्रह किया:
“अगर आप सेना या सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, तो एआई को नज़रअंदाज़ न करें। चैटबॉट्स और अन्य टूल्स आज हमारे सीखने की प्रक्रिया को बेहद तेज़ बना रहे हैं।”
अभिभावकों के लिए विशेष संदेश देते हुए उन्होंने कहा:
“जब आप अपने बच्चों के भविष्य की योजना बनाएं, तो उसमें एआई की भूमिका को जरूर शामिल करें। आने वाला समय उन्हीं का होगा, जो बदलावों को अपनाकर आगे बढ़ने का माद्दा रखते हैं।”
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अगले एआई जागरूकता कार्यक्रम की जानकारी
📅 6 जून (शुक्रवार):
📍 डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, डमुवाडुंगा — शाम 5:30 बजे से
📅 7 जून (शनिवार):
📍 डॉ. डी.डी. पंत पार्क, एमबीपीजी कॉलेज के सामने — सुबह 11:00 बजे से
📲 पंजीकरण के लिए संपर्क करें: 9682395400
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अभियान का उद्देश्य:
“जानिए, सीखिए, नवाचार कीजिए और भविष्य को आकार दीजिए। आइए, उत्तराखंड को एआई का अगुआ बनाएं।”



