(कुमाऊनी) दैनिक पंचांग/राशिफल/ऋषि चिंतन:अनियंत्रित भावनाओं को नियंत्रित कीजिए

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(कुमाऊनी) दैनिक पंचांग/राशिफल/ऋषि चिंतन:अनियंत्रित भावनाओं को नियंत्रित कीजिए

*24 पैट(गते) पूस
*मंगलवार
*7 जनवरी 2025
🇮🇳 भारत माता की जै

सभी को नमस्कार🙏
*विक्रम संवत– 2081
*शक संवत- 1946
*कालयुक्त नाम संवत्सर
*दक्षिणायन- हेमंत ऋतु
*पूस शुक्ल पक्ष
*तिथि अष्टमी शाम
4:27 तक फिर नवमी
*नक्षत्र रेवती
*योग शिव
* राहुकाल शाम 3:00 से 4:30 तक।
*सूर्योदय-7 :12
* सूर्यास्त- 5 :24
* दिशाशूल पश्चिम

*7 जनवरी दुर्गाष्टमी व्रत।
*10 जनवरी पुत्रदा एकदशि व्रत (सभी का)
*11 जनवरी प्रदोष व्रत।
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संक्षिप्त पंचांग
* 25 पैठ(गते) पूस, बुधवार
* 8 जनवरी 2025
पूस शुक्ल पक्ष 2:26 तक नवमी फिर दशमी
* नक्षत्र– अश्विनी
* योग- सिद्ध

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आज का राशिफल

मेष राशि :- राजनीति से जुड़े जातकों के लिए समय शुभ और ख्याति दिलाने वाला है।अपने मन की बात किसी से कहने का अवसर मिलेगा।नौकरी में चल रही परेशानी दूर होगी,आर्थिक समृद्धि बनी रहेगी।

वृषभ राशि :- आज स्वास्थ्य में लाभ होगा।यात्रा के योग बन रहे हैं।मानसिक तनाव दूर होगा।कार्य स्थल पर अधिकारियों से मतभेद संभव है,माता-पिता की सेहत का ध्यान रखें।किसी प्रियजन से भेंट होगी।

मिथुन राशि :- आज अपनी कार्यकुशलता से सभी का दिल जीत लेंगे।धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता करेंगे,किसी योग्य व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।आत्मविश्वास में वृद्धि होगी,सामाजिक मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

कर्क राशि :- आज घर परिवार की समस्या हर किसी के सामने प्रस्तुत ना करें।घर की बात घर में रहने दें।बड़ों की सलाह मानें,अपने खर्चीले व्यवहार पर नियंत्रण रखें।परिजनों का सहयोग आगे बढ़ाने में मदद करेगा,नौकरी में विवाद संभव है।

सिंह राशि :- आज शुरुआत में कार्य करने में परेशानी होगी।मानसिक तनाव कम होगा।माता पिता के साथ समय व्यतीत होगा।भाइयों का सहयोग मिलेगा,व्यापार विस्तार के लिए कर्ज की व्यवस्था सुगम होगी।

कन्या राशि :- अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही ना करें।अपने भावनाओं पर काबू रखें,कार्यस्थल पर अपनी कला के माध्यम से सभी का दिल जीत लेंगे।अधिकारी वर्ग आपके व्यवहार से प्रसन्न होगा।

तुला राशि :- आज आपके लिए दिन शुभ है।इस दिन आपके लिए व्यापार विस्तार के योग बन रहे हैं।भवन भूमि से जुड़े मामलों में आपकी विजय होगी।न्यायालयीन प्रकरण का सुगमता से समाधान होगा।लोगों में आपकी ख्याति बढ़ेगी,संत दर्शन संभव है।

वृश्चिक राशि :- दूसरों के लिए अच्छा सोचते हैं पर लोग आपके प्रति दुर्भावना रखेंगे।समय रहते जरूरी कार्य और जिम्मेदारियां पूरी करें।स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें,किसी योग्य व्यक्ति का मार्गदर्शन मिलने से रूके कार्य समय पर पूरे होंगे।

धनु राशि :- संतान के स्वास्थ्य में सुधार होगा।बड़े भाइयों का सहयोग मिलेगा,मांगलिक कार्यों की रूपरेखा बनेगी।पत्रकारिता से जुड़े लोगों के लिए समय शुभ और मजबूती दिलाने वाला है।

आपका दिन मंगलमय हो 🙏

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०७ जनवरी २०२५ मंगलवार
पौष शुक्लपक्षअष्टमी २०८१

ऋषि चिंतन: अनियंत्रित भावनाओं को नियंत्रित कीजिए

*”भावनाओं” का अनियंत्रित उभार ठीक शरीर में चढ़े हुए “बुखार” की तरह है।* बुखार में पाचन तंत्र लड़‌खड़ा जाता है। कोई अवयव उत्तेजित होकर, अधिक काम कर रहा होता है तो कोई एकदम शिथिलं पड़ गया होता है। ऐसे असंतुलन में रोगी को दाह, प्यास, बेचैनी, दर्द आदि कितने ही कष्ट अनुभव होते हैं। *”भावनात्मक उभार” को एक मस्तिष्कीय बुखार कहना चाहिए।* कई बार वह तीव्र होता है, कई बार मंद। *क्रोध, शोक और बेकाबू होक प्रकट होने वाले आवेग “तीव्र बुखार” है। चिंता, निराशा, कुढ़न, ईर्ष्या जैसी प्रवृत्तियां “मंद ज्वर” हैं।* आकांक्षाओं को इतनी बढ़ा लेना कि वर्तमान परिस्थिति में कार्यान्वित – फलीभूत न हो सकें तो भी उनसे अतृप्ति जन्य क्षोभ उत्पन्न होता है और मानसिक संतुलन बिगडता है। *”उन्नति” के लिए प्रयत्न करना बात अलग है और “महत्त्वाकांक्षाओं का पहाड़” खड़ा करके हर घड़ी असंतोष अनुभव करना बिल्कुल अलग बात है।* कितने ही व्यक्ति उपलब्धियों के लिए व्यवस्थित प्रयास तो कम करते हैं किंतु कामनाओं के रंग-बिरंगे स्वप्न ही देखते रहते हैं। *शेखचिल्ली की तरह लंबी-चौड़ी बातें सोचते रहना तो सरल है, पर उन्हें फलीभूत बनाने के लिए “योग्यता”, “साधन” और “परिस्थिति” तीनों का ही तालमेल रहना चाहिए।* इसके बिना महत्वाकांक्षाएँ – ऐषणाएँ केवल मानसिक विक्षोभ ही दे सकती है। *इस प्रकार की उड़ाने उड़ते रहने वाले अंततः निराशाजन्य मानसिक रोगों के जाल-जंजाल में जा फँसते हैं।*

👉 *भावनात्मक विकृतियां शरीर के उपयोगी अंगों पर तथा जीवन-संचार की क्रियाओं पर बुरा असर डालती हैं, उनके सामान्य क्रम को लड़खड़ा देती हैं और वह अवरोध किसी न किसी शारीरिक रोग के रूप में प्रकट होता है।* पापी मनुष्य दूसरों की जितनी हानि करता है, उससे ज्यादा अपनी करता है। *दुष्कर्म कर लेना अपने हाथ की बात है, पर उसकी प्रतिक्रिया जो कर्ता के ऊपर होती है और “आत्म-धिक्कार” की, “आत्म-प्रताड़ना” की जो भीतर ही भीतर मार पड़ती है उसे रोकना किसी के बस में नहीं रहता।* पाप-पुण्य के भले-बुरे फल मिलने की यही तो स्वसंचालित प्रक्रिया है। *पाप कर्म के बाद अंतःकरण में अनायास ही पश्चात्ताप और धिक्कार की प्रतिक्रिया उठती है।* उससे शरीर और मन का संतुलन बिगड़ता है। दोनों क्षेत्र रुग्ण होते हैं। उसके फलस्वरूप जनसहयोग का अभाव, असम्मान मिलता है और संतुलन बिगड़ा रहने से हाथ में लिए हुए काम असफल होते हैं। *इस सबका मिला-जुला स्वरूप शारीरिक-मानसिक कष्ट के रूप में आधि-व्याधि बनकर सामने आता है। कर्मफल भोग की यही मनोवैज्ञानिक पद्धति है।* इससे बचाव करने के लिए निष्पाप जीवनक्रम अपनाने की आवश्यकता है। जो पाप पिछले दिन बन पड़े हैं, उनके प्रायश्चित्त के लिए किसी सूक्ष्मदर्शी आत्मविद्या विज्ञानी से परामर्श लेने की आवश्यकता है।
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मानवीय मस्तिष्क विलक्षण कंप्यूटर पृष्ठ-४२
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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