kedarnath भगवान शिव जी का पांचवां ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में

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दया जोशी/प्रसून अग्रवाल
भगवान शिव जी का पांचवां ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में है। इसका नाम है केदारनाथ। शिव जी के इस धाम का इतिहास भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण, पांडव और आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़ा है। ये मंदिर हिमालय क्षेत्र में है, इस वजह से शीत ऋतु के समय करीब 6 महीने बंद रहता है और ग्रीष्म ऋतु के समय भक्तों के लिए खोला जाता है। मंदिर वैशाखी के बाद खोला जाता है और दीपावली के बाद पड़वा {परुवा तिथि} को बंद किया जाता है। शीतकालीन ऋतु प्रारंभ होने पर कपाट बन्द होते समय पुजारियों द्वारा प्रज्जवलित कर दिया जाता है। बर्फ से ढ़का रहने वाले मन्दिर में 6 माह बाद जब ये मंदिर खोला जाता है तब ये दीपक जलता हुआ मिलता है। शीतकाल में बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली को ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर लाया जाता है। छह माह के लिए बाबा यहीं विराजमान रहते हैं।

केदारनाथ धाम का उल्लेख स्कंद पुराण के केदार खंड में मिलता है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में हुआ है। पांडवों के वंशज जन्मेजय ने यहां इस मंदिर की स्थापना की थी। बाद में आदि शंकराचार्य द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ धाम सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बसा है. ये धाम मंदाकिनी नदी के किनारे 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है. जो पत्थरों के शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है. ये ज्योतिर्लिंग त्रिकोण आकार का है और इसकी स्थापना के बारे में कहा जाता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ प्रकट हुए और उन्हे ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान दिया।

ये मन्दिर एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है. बाहर प्रांगण में नंदी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं. मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी केदारनाथ मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है पहला – गर्भगृह, दूसरा – दर्शन मंडप (जहां पर दर्शनार्थी एक बड़े प्रांगण में खड़े होकर पूजा करते हैं) और तीसरा – सभा मंडप (इस जगह पर सभी तीर्थ यात्री जमा होते हैं).

नर-नारायण के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे शिव जी

केदरनाथ धाम से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता में लिखा है कि पुराने समय में बदरीवन में विष्णु भगवान के अवतार नर-नारायण ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव जी की रोज पूजा की थी। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए। शिव जी ने नर-नारायण से वरदान मांगने के लिए कहा। तब नर-नारायण ने वरदान मांगा कि शिव जी हमेशा यहीं रहें, ताकि अन्य भक्तों को भी शिव जी के दर्शन आसानी से हो सके। ये बात सुनकर शिव जी ने कहा कि अब से वे यहीं रहेंगे और ये क्षेत्र केदार क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध होगा। मंदिर के संबंध में कई मान्‍यताएं प्रचलित हैं जिसके अनुसार केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। स्वयंभू शिवलिंग का अर्थ है जो स्वयं प्रकट हुआ है। अन्य मान्‍यता है कि महाभारत के बाद पांडव अपने गोत्र बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की शरण में जाना चाहते थे। और इसके लिए वह भगवान शिव की खोज करने हिमालय की ओर गए। तब भगवान शिव अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे। पांडव भी उनके पीछे केदार पर्वत पहुंच गए। तब भगवान शिव ने पांडवों को आता देख भैंसे का रूप धारण कर लिया और पशुओं के बीच में चले गए। अतः यहां भगवान शिव द्वारा धारण किए गए भैंसे के रूप के पिछले भाग की पूजा की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाबा केदार में अटूट आस्था रही है। पीएम मोदी आज छ: बार केदारनाथ धाम की यात्रा कर चुके हैं।

कैसे पहुंचे बाबा केदारनाथ धाम

केदारनाथ पहुंचने के लिए आपको दिल्ली या फिर किसी भी शहर से देहरादून के लिए बस, फ्लाइट या ट्रेन आसानी से मिल जाएगी. दिल्ली से आप सड़क मार्ग के जरिए भी केदारनाथ जा सकते हैं, यहां से धाम की दूरी करीब 466 किलोमीटर है। हेलीकॉप्टर सेवा: आसान और तेजी से केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए आप हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग कर सकते हैं. हरिद्वार, देहरादून और गुप्तकाशी जैसे नजदीकी शहरों से उड़ानें उपलब्ध होती हैं जो केदारनाथ धाम तक पहुंचती हैं. पैदल यात्रा: केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा एक धार्मिक और अनुभव भरी यात्रा होती है. आप गौरीकुंड या सोनप्रयाग से यात्रा शुरू कर सकते हैं और पर्वतीय मार्ग से धाम पहुंच सकते हैं. यह यात्रा लगभग 14 किलोमीटर (गौरीकुंड से) या 21 किलोमीटर (सोनप्रयाग से) है।

कैसे करवाएं हेलीकॉप्टर की बुकिंग?

अगर आप ज्यादा पैदल नहीं चल पाते हैं, तो देहरादून से केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग करवा सकते हैं. इसके लिये आपको यहां बताई गई साइट पर जाना होगा, और आपकी बुकिंग आसानी से हो जायेगी. IRCTC की www.heliyatra.irctc.co.in से आप हेलीकॉप्टर की बुकिंग घर बैठे कर सकते हैं.

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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