“झंझावात”— मंजू जोशी की स्मृति में प्रकाशित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

खबर शेयर करें -

“झंझावात”— मंजू जोशी की स्मृति में प्रकाशित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

गरुड़(बागेश्वर)। यहां आयोजित एक बौद्धिक कार्यक्रम में दिवंगत आदर्श शिक्षिका मंजू जोशी की स्मृति में लिखित पुस्तक “झंझावात” का लोकार्पण किया गया। इस विशेष अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दर्जा मंत्री शिव सिंह बिष्ट रहे। उन्होंने कहा कि जीवन एक रंगमंच है, जहां हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभा रहा है, और मंजू जोशी जैसी शिक्षित, संवेदनशील और प्रेरक व्यक्तित्व इस जीवन रंगमंच को अर्थ देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिवंगत शिक्षिका के पति वरिष्ठ लेखक व स्वतंत्र पत्रकार हरीश जोशी के मन में जो बवंडर था, वही उनकी प्रेरणा बनकर इस पुस्तक के रूप में सामने आया है।

कार्यक्रम में पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, नगर पंचायत अध्यक्ष भावना वर्मा, भाजपा मंडल अध्यक्ष सुनील दोसाद, कवि मोहन जोशी, कवि रतन किरमोलिया, भुवन पाठक, आशा बुटोला, ग्राम प्रधान जिनखोल राजेंद्र नेगी, इतिहासकार डॉ निर्मल जोशी, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य नंदन सिंह अलमिया, भाजपा जिला महामंत्री घनश्याम जोशी, हेम वर्मा और नीमा वर्मा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन हरीश जोशी ने किया। उन्होंने भावनाओं से भरे शब्दों में बताया कि यह पुस्तक उनकी पत्नी मंजू जोशी के प्रति प्रेम, सम्मान और स्मृति का प्रतीक है। इस दौरान पुस्तक की प्रतियाँ वितरित की गईं ताकि मंजू जोशी की प्रेरणा और उनके विचार समाज तक पहुँच सकें।
लोकार्पण कार्यक्रम के बौद्धिक सत्र में भवाली,नैनीताल से आए विद्वान आचार्य कैलाश चंद्र सुयाल ने गृहस्थ जीवन दर्शन पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया,वरिष्ठ साहित्यकार रतन सिंह किरमोलिया ने व्याख्यान पर मीमांसा दी। कार्यक्रम में वायुसेना के पूर्व अधिकारी जीवन चंद्र जोशी,ईo एल डी जोशी,हर्षित सुयाल,कविता जोशी,सेवा निवृत आई जी आरo आरo आर्य, दीवान नेगी,नीमा वर्मा,आशा जोशी,कविता,रेखा खोलिया,तुलसी पांडे, कैo सतीश खोलिया, डाo अमित पांडे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

नगर पंचायत अध्यक्ष भावना वर्मा ने कहा कि मंजू जोशी का स्वभाव इतना मधुर था कि हर व्यक्ति उनके बारे में सिर्फ अच्छा ही कहता था। कवि मोहन जोशी ने भावनात्मक स्वर में कहा — “जब तूफान आता है, तो उसके बाद हरियाली जरूर लौटती है।” उन्होंने इस वाक्य के माध्यम से मंजू जोशी के व्यक्तित्व और इस पुस्तक के सार को बड़ी सुंदरता से व्यक्त किया।

इतिहासकार डॉ निर्मल जोशी ने झंझावात को समाज और परिवार के रिश्तों को प्रगाढ़ करने वाली कृति बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक पुस्तक नहीं बल्कि मंजू जोशी जैसी संवेदनशील और शिक्षिका के जीवन दर्शन की जीवन्त झलक है।
ज्ञानार्जन प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स, गरुड़ (बागेश्वर) में प्रकाशित यह पुस्तक पाठकों को उस उम्मीद की ओर ले जाती है जो हर तूफान के बाद जीवन में लौटती है जैसे कि प्रेम और परस्पर सौहार्द।

Ad Ad
Ad
Ad

दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

Related Articles