…..अपनी अथक मेहनत और संघर्ष के जरिये ऐसी अद्भुत शख्सियतें ही हमारे समाज को गढ़ती हैं
उत्तरकाशी। पहाड़ जैसा हौसला, हिमालय जैसा धीरज, हर मुसीबत से लड़ जाने का जज्बा और नये नये रचनात्मक प्रयोगों के जरिये समाजसेवा… अपनी अथक मेहनत और संघर्ष के जरिये ऐसी अद्भुत शख्सियतें ही हमारे समाज को गढ़ती हैं।
ये उत्तरकाशी के पटारा गांव की सरतमा देवी हैं। 60 बरस की उम्र में कुल छह ग्रामीण संगठन और स्वयं सहायता समूह संभालती हैं। सरतमा देवी मात्र 28 साल की थीं जब उनके पति नहीं रहे। सरतमा देवी ने हल चलाकर, पशुपालन और मजदूरी करके बच्चों को पाला। वे डिगी नहीं, कमजोर नहीं पड़ीं। हर चुनौती का सामना किया और साथ में समाजसेवा भी करती रहीं। उनका यह सशक्त रूप देखकर गांव वालों ने एक संगठन बनाया जिसका नेतृत्व उन्हें सौंपा गया।
सरतमा देवी ने ग्रामीणों के साथ मिलकर 10 जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया और कई नये जलस्रोत बनाए ताकि बारिश के पानी का संग्रह हो और जलसंकट दूर किया जा सके। उन्होंने ग्रामीणों को हर घर में पानी के टैंक बनाने के लिए प्रेरित किया। उनके नेतृत्व में महिलाएं खेती करती हैं और मंडुवा और झंगोरा जैसे मोटे अनाज उगाती हैं। इससे ग्रामीणों को अच्छी कमाई होती है। ताजा फल और सब्जियों के लिए उन्होंने घर-घर में पोषण वाटिकाएं तैयार करवाई हैं।
सरतमा देवी के इस असाधारण योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की ओर से उन्हें जल चैंपियन का खिताब दिया गया है। सरतमा देवी जैसी महिलाएं करोड़ों लोगों के लिए मिसाल हैं। उनके संघर्ष और उनकी जीवटता को सलाम! यह पोस्ट हमारी अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महामंत्री प्रियंका गांधी ने डाला है। मैंने फेसबुक में जनता के बीच भेजा है, मुझे यकीन आप बहुत पसंद करेंगे।