आई रास्ते प्रोजेक्ट, सड़क सुरक्षा के लिए तैयार, करेगा ग्रे और ब्लैक स्पाट स्थान चिन्हित

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आई रास्ते प्रोजेक्ट, सड़क सुरक्षा के लिए तैयार, करेगा ग्रे और ब्लैक स्पाट स्थान चिन्हित

कैसे काम करता है एडीएआर
एआई आधारित एडीएआर लगातार सड़क पर नजर रखता है और ड्राइवर को वाहनों या पैदल चलने वालों से संभावित टक्कर से कुछ सेकंड पहले चेतावनी देता है। इससे चालक तेजी से वाहन को कंट्रोल करता है। इसके साथ आग चल रहे वाहन से सुरक्षित दूरी के बनाए रखने के लिए और लेन में वाहन चलाने के लिए भी अलर्ट करता है।

यह डिस्पले वाहन के डैश बोर्ड पर लगा होता है, जिसे वाहन चालक आसानी से देख सकता है। डिस्पले पर यह सारी जानकारी वाहन के अलग अलग हिस्से में लगे सेंसर के द्वारा मिलती है।

देश में सड़कों पर ब्लैक स्पॉट सबसे ज्यादा दुर्घटना का कारण बनते हैं। ब्लैक स्पॉट को चिह्नित करने के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित इंटेलिजेंट साल्यूशन फार रोड सेफ्टी थ्रू टेकनोलाजी एंड इंजीनियरिंग (आई-रास्ते) प्रोजेक्ट तैयार किया है।

इससे ब्लैक स्पॉट की पहचान तेजी से करने के साथ उसका निराकरण करने में सुविधा होगी। सेंसर और कैमरे पर आधारित इस माड्यूल को वाहनों में उपयोग कर परिवहन व्यवस्था को आधुनिक भी बनाया जा सकता है।
इससे वर्ष 2030 तक केंद्र सरकार की देश में सड़क हादसे संबंधी घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करने की योजना साकार करने में मदद मिलेगी। आई-रास्ते प्रोजेक्ट केंद्र सरकार, इंटेल, आईएनएआई, आईआईआईटी हैदराबाद, सीआरआरआई, महिंद्रा एंड महिंद्रा और नागपुर नगर निगम (एनएमसी) का साझा प्रयास है।

इससे ‘विजन जीरो’ दुर्घटना की स्थिति हासिल करने के लिए चार स्तरों पर काम किया जाता है। इसके तहत वाहन सुरक्षा, गतिशीलता विश्लेषण, सड़क आधारभूत संरचना सुरक्षा और वाहन चालकों को प्रशिक्षिण व जागरूकता कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके अलावा सेंसर युक्त उन्नत ड्राइवर सहायता प्रणाली (एडीएआर) से पूरे सड़क नेटवर्क के गतिशीलता जोखिम की मैपिंग की जाती है। इससे प्राप्त डाटा का विश्लेषण करके सड़क निर्माण व यातायात एजेंसियां दुर्घटना संभावित व बाहुल्य क्षेत्रों यानी ग्रे व ब्लैक स्पॉट की पहचान के साथ सुधार करने के लिए कर सकती हैं। इस तकनीक को एक वाहन में लगाने के लिए 18 से 20 रुपये तक खर्च आता है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सितबंर 2021 में नागपुर में इसे लांच किया था, बाद में प्रयोग के तौर पर इसे तेलंगाना के कुछ हिस्से में भी शुरू किया गया। इसकी पूरी रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सौंप दी गई है।

इसकी उपयोगिता और सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार इसे नए आने वाले वाहनों में आवश्यक भी कर सकती है। फिलहाल इस तकनीक का इस्तेमाल कंपनियां या राज्य सरकारें सीआरआरआइ से लेकर कर सकती हैं।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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