इंटनेट कनक्टीविटी विकास की राह में बाधक, प्रदेश के 2,700 अन्य गांव भी इंटरनेट सेवा से वंचित 

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संचार क्रांति के इस दौर में उत्तराखंड में इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव विकास की राह में सबसे बड़ा अवरोध है। देश में जब डिजिटल युग की शुरुआत हो चुकी है, तब अंतराल के क्षेत्रों में कई जगह तो नेटवर्क के लिए ऊंचाई वाले स्थान की दौड़ लगानी पड़ रही है। आज भी वाइब्रेंट विलेज को छोड़कर प्रदेश के 2,700 अन्य गांव भी इंटरनेट सेवा से वंचित हैं। इसी को देखते हुए बीएसएनएल ने प्रदेश के सीमांत जिलों को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने की पहल की है, जिसका निश्चित रूप से व्यापक स्तर पर लाभ मिलेगा।

निगम ने प्रथम चरण में पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी
जिलों के मुनस्यारी, धारचूला, कनालीछीना, जोशीमठ व भटवाड़ी ब्लाक के वाइब्रेंट विलेज में शामिल 51 गांवों इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए 600 टावर लगाने का निर्णय लिया है। साथ ही छह हजार गांवों में आप्टिकल फाइबर से उद्यमियों और युवाओं को जोड़ने का भी लक्ष्य है। इसका सबसे ज्यादा लाभ सीमांत क्षेत्र से लगे सैन्य क्षेत्रों को मिलेगा। साथ ही डिजिटल गतिविधियां भी तेज होंगी और लोगों को बैंकिंग समेत अन्य सुविधाओं के लिए शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

यही नहीं, आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए भी इंटरनेट सुविधा कारगर साबित होगी। निगम का लक्ष्य केंद्र सरकार की भारत नेट उद्यमी योजना के तहत ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ना तो है ही, उद्यमियों की आय बढ़ाना भी है। इसी कड़ी में 15 हजार उद्यमियों को कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसके अलावा सरकारी स्कूल व पंचायत घरों में भी इंटरनेट सुविधा उपलब्ध उपलब्ध कराई जा रही है। अच्छी बात यह है कि इस दिशा में धरातल पर कार्य शुरू किया जा चुका है और कार्यों की मुख्यालय स्तर पर नियमित रूप से मानीटरिंग भी की जा रही है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में प्रदेश में अंतिम व्यक्ति तक इंटरनेट की पहुंच होगी।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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