उत्तराखण्ड: राज्य में अवैध रूप से चल रहे मदरसों की जांच के निर्देश
● राज्य में अवैध रूप से चल रहे मदरसों की जांच के निर्देश
देहरादून। उत्तराखंड में मदरसों की जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय से डीजीपी को मिले निर्देश के बाद यह निर्णय लिया गया है। पुलिस ने उत्तराखंड में कुछ मदरसों के अवैध रूप से संचालित होने की शिकायतों के बाद उनके सत्यापन का आदेश दिया है। पुलिस महानिरीक्षक (अपनाय एवं कानून व्यवस्था) नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय से डीजीपी को इस आशय के निर्देश मिलने के बाद यह आदेश जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए
सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई समिति करेगी जांच
सत्यापन प्रक्रिया आवश्यक है आईजीपी ने कहा कि अभियान का मुख्य उद्देश्य अवैध गतिविधियों को रोकना और यह सुनिश्चित करता है कि सभी मदरसे कानूनी जांचे के भीतर काम करें। उन्होंने कहा कि सभी जिलों को एक महीने के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि साधापन अभियान यह पता लगाने पर केंद्रित होगा कि मदरसों के पास पंजीकरण और सभी आवश्यक दस्तावेज हैं या नहीं। भरणे ने कहा कि यह उनके
वित्त पोषण के खीत और उनमें पढ़ने वाले बच्चों के सत्यापन की भी जांच की जाएगी। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में संबंधित घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर को मुस्लिम अल्पसंख्यक क्षणिक संस्थानों को विनियमित करने वाले 2004 के राज्य कानून को संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। कता था कि धर्मनिरपेक्षता के आधार पर किसी कानून को रद्द नहीं किया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता को सकारात्मक अवधारण के
लिए राज्य को आल्पसंख्यक संस्थानों के साथ धर्मनिरपेक्ष संस्थानों के समान व्यवहार करने और आस्मा और विश्वास के बावजूद सभों के साथ समान व्यवहार करने की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की सुप्रजेंस कोर्ट ने 22 मार्च के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने सदारत कालून को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का पिन था।