भारतीय अभी एआई को नहीं जानते: गूगल-कांतर रिपोर्ट का खुलासा


भारतीय अभी एआई को नहीं जानते: गूगल-कांतर रिपोर्ट का खुलासा
हल्द्वानी। विजएआई रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित साप्ताहिक एआई जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, डमुवाडुंगा में एआई तकनीक और उसकी उपयोगिता को लेकर एक विचारपरक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए वरिष्ठ डेटा वैज्ञानिक डॉ. अरविंद जोशी ने कहा कि विजएआई रोबोटिक्स द्वारा प्रतिदिन बढ़ती तकनीकी प्रगति के बीच हर शुक्रवार अंबेडकर पार्क और हर शनिवार डी.डी. पंत पार्क में नियमित रूप से एआई पर परिचर्चा आयोजित की जा रही है, जिसमें भारी संख्या में युवा और अभिभावक भागीदारी कर रहे हैं।
इस परिचर्चा के दौरान विजएआई रोबोटिक्स की उपाध्यक्ष डॉ. आयुषी मठपाल ने हाल ही में प्रकाशित गूगल-कांतर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि
“भारत में अधिकांश नागरिक एआई से अभी पूरी तरह से परिचित नहीं हैं, परंतु वे उत्सुक हैं कि यह तकनीक उनके दैनिक जीवन में कैसे सहायक हो सकती है।”
रिपोर्ट के अनुसार:
• 60% से अधिक भारतीय एआई की मूलभूत जानकारी से भी अनभिज्ञ हैं।
• 25% लोगों को लगता है कि एआई समझना उनके लिए कठिन और जटिल विषय है।
डॉ. मठपाल ने बताया कि वर्ष 2000 के बाद जन्मे युवा, जिन्हें जेनरेशन जी कहा जाता है, वे चाहते हैं कि वे एआई के कौशल को सीखकर बच्चों की ट्यूशन जैसे कामों में भी तकनीक की मदद ले सकें।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि जिन लोगों ने गूगल के एआई सहायक ‘जेमिनी’ का उपयोग किया:
• उनमें से 94% महिलाएं और 95% पुरुषों ने माना कि जेमिनी उनके दैनिक कार्यों में अत्यंत सहायक साबित हुआ है।
सीईओ पार्थसारथी जोशी का स्पष्ट संदेश
कार्यक्रम में भाग लेते हुए विजएआई रोबोटिक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थसारथी जोशी ने युवाओं से कहा कि
“अब समय आ गया है कि युवा पीढ़ी कौशल और डिग्री के बीच के अंतर को समझे।”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि
“आज के दौर में डिग्री से अधिक महत्व कौशल का है, लेकिन अधिकतर भारतीय युवा अभी भी पारंपरिक शिक्षा पद्धति पर निर्भर हैं।”
“बिना एआई की समझ और तकनीकी दक्षता के न तो आप समय के साथ बदलते रोजगार को संभाल सकते हैं और न ही किसी कंपनी में कार्य पाने में सफल हो सकते हैं।”
उन्होंने युवाओं से अपील की कि
“वे अपनी सोच में शीघ्र परिवर्तन लाएँ, अन्यथा तकनीकी कौशल के बिना वे न रोजगार प्राप्त कर सकेंगे और न ही अपने दैनिक जीवन के कार्यों को प्रभावी रूप से कर पाएंगे।”
कार्यक्रम का समापन संत कबीर की सीख के साथ
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. अरविंद जोशी ने संत कबीर के प्रसिद्ध दोहे का उल्लेख किया:
“जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। ”
उन्होंने कहा कि यह दोहा आज के समय में डिग्री और कौशल के अंतर को दर्शाने के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
“डिग्री नहीं, बल्कि ज्ञान और कौशल ही किसी व्यक्ति को वास्तविक रूप से रोजगार योग्य बनाते हैं।”
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विजएआई रोबोटिक्स की यह मुहिम अब केवल तकनीकी जानकारी साझा करने तक सीमित नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य को दिशा देने वाला एक जनआंदोलन बनती जा रही है।



