“प्रतिभा, तकनीक और रूपांतरण के साथ भारत एआई क्रांति में नेतृत्व के लिए तैयार”


“प्रतिभा, तकनीक और रूपांतरण के साथ भारत एआई क्रांति में नेतृत्व के लिए तैयार”
हल्द्वानी। डॉ. डी.डी. पंत पार्क, एमबीपीजी कॉलेज के सामने आयोजित साप्ताहिक एआई जागरूकता अभियान का एक और सफल चरण शुक्रवार को संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था भारत को एआई क्रांति के वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाना, जिसमें तीन मुख्य आधार स्तंभ—प्रतिभा, तकनीक और रूपांतरण—मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत विजएआई रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड की उपाध्यक्ष डॉ. आयुषी मठपाल ने की। उन्होंने श्रोताओं से एक विचारोत्तेजक प्रश्न पूछा: “आज के समय में अधिक महत्वपूर्ण क्या है – कौशल या डिग्री?”
उन्होंने एलन मस्क के कथन का उल्लेख करते हुए बताया, “स्कूलिंग को शिक्षा मान लेना एक भूल है। मैंने हार्वर्ड में पढ़ाई नहीं की, लेकिन मेरे कई कर्मचारी वहीं से पढ़े हुए हैं।” उन्होंने इस पर ज़ोर दिया कि आज के दौर में डिग्रियों की अपेक्षा कौशल, जिज्ञासा और व्यावहारिक अनुभव को अधिक महत्व दिया जाता है।
डॉ. मठपाल ने कुछ अहम रिपोर्टों का हवाला दिया:
हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू के अनुसार, आज के नियोक्ता डिग्री की तुलना में कौशल और अनुभव को अधिक महत्व देते हैं।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का अनुमान है कि 2025 तक 50% कर्मचारियों को दोबारा कौशल सीखने की आवश्यकता होगी।
लिंक्डइन के एक सर्वेक्षण में 72% हायरिंग मैनेजरों ने कहा कि वे उम्मीदवारों का चयन डिग्री नहीं, बल्कि कौशल के आधार पर करते हैं।
डॉ. मठपाल ने कहा, “यदि आपके पास केवल एक डिग्री है, लेकिन कोई कौशल नहीं, तो वह डिग्री सिर्फ एक कागज़ का टुकड़ा है। जबकि कौशल आपको नौकरी दिला सकता है, आपको उद्यमी बना सकता है, नेतृत्व की भूमिका दे सकता है और आपको अनिवार्य बना सकता है।”
भारत की वैश्विक स्थिति को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि नैस्कॉम और बीसीजी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का एआई बाजार 2027 तक 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। आज के समय में एआई, आईटी व्यय की सबसे बड़ी श्रेणी बन चुकी है।
भारत के पास विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एआई प्रतिभा आधार है — लगभग 4.2 लाख लोग इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। स्किल पैठ के मामले में भी भारत वैश्विक रूप से शीर्ष पर है। एआई की मांग हर साल 15% की दर से बढ़ रही है, जबकि एआई इंजीनियरों की मांग साल-दर-साल 67% की दर से बढ़ रही है।
वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. हेम चंद्र जोशी ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “अगर आपके पास कौशल नहीं है, तो आपकी डिग्री महज एक प्रमाणपत्र बनकर रह जाती है। आज के युग में सफलता उन्हीं को मिलेगी, जो कौशल में दक्ष होंगे।”
उन्होंने कहा, “प्रतिभा, तकनीक और रूपांतरण के सभी पहलुओं में भारत पूरी तरह से सक्षम है कि वह दुनिया का एआई लीडर बने।” यह अभियान केवल जागरूकता फैलाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य उत्तराखंड को डिजिटल युग के केंद्र में लाना है।
अगला एआई जागरूकता कार्यक्रम निम्नलिखित तिथियों पर आयोजित किया जाएगा:
📍 13 जून: डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, डमुवाडुंगा — शाम 5:30 बजे
📍 14 जून: डॉ. डी.डी. पंत पार्क, एमबीपीजी कॉलेज के सामने — सुबह 11:00 बजे
📞 पंजीकरण के लिए संपर्क करें: 9682395400
अभियान का संदेश:
“जानिए, सीखिए और नवाचार कीजिए। भविष्य को आकार दीजिए। आइए मिलकर उत्तराखंड को एआई का अग्रणी केंद्र बनाएं।”



