किशोरों में बढ़ती आक्रामकता चिंताजनक
किशोरों में बढ़ती आक्रामकता चिंताजनक
(मनोज कुमार अग्रवाल-विनायक फीचर्स)
गोरखपुर में भाभा रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट की पत्नी की उनके ही नाबालिग बेटे ने हत्या कर दी। वजह सिर्फ इतनी थी कि मां ने स्कूल जाने के लिए बेटे को जगा दिया था। गुस्से में उसने मां को धक्का दिया। उनका सिर दीवार से टकरा गया। वह गंभीर रूप से जख्मी हो गईं, लेकिन बेटा उन्हें अस्पताल नहीं ले गया, बल्कि मां को छोड़कर स्कूल चला गया।
खून बहने से मां की मौत हो गई। 5 दिन तक मां की लाश के साथ रहा। छह दिन तक पत्नी से बात न होने पर साइंटिस्ट घर पहुंचे। दरवाजा खुला था और बदबू आ रही थी। अंदर गए तो देखा पत्नी की लाश फर्श पर पड़ी थी। बेटे ने पिता-पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। उन्हें बताया कि गिरने की वजह से मां की मौत हुई। मगर जब पोस्टमॉर्टम हुआ तो लाश 6 दिन पुरानी निकली। इसके बाद पुलिस ने नाबालिग से सख्ती से पूछताछ की, तो उसने जुर्म कबूल कर लिया। यह वारदात नाबालिग किशोरों द्वारा पेशेवर अपराधियों की तर्ज पर अपराधिक वारदात करने की बढ़ती मनःस्थिति को उजागर करती है।
आज फिल्म स्क्रीन, ओटीटी प्लेटफार्म तथा सोशल मीडिया पर लगातार दिखाई जाने वाली हिंसक सामग्री का किशोरों और युवाओं के मन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है जिससे उनमें यौन अपराध तथा हिंसा की भावना कुलांचे भर रही है। पिछले एक महीने में किशोर बाल अपचारियों की करतूतों पर नजर डालें तो रूह कांप जाएगी।
12 नवम्बर को छतरपुर (मध्य प्रदेश) में एक युवक ने अपने पिता पूरन रैकवार को पीट-पीट कर मार डाला क्योंकि उसका पिता बचपन में उसे शरारत करने पर पीटा करता था तथा बड़ा होने पर उसकी शादी भी उसकी मनपसंद लड़की से नहीं करवाई जिसका बदला उसने इस प्रकार लिया।
14 नवम्बर को नालंदा (बिहार) के गांव छोटीआट में एक लड़की से छेड़छाड़ करने वाले नाबालिग को गांव के मुखिया कारू तांती द्वारा दंडित किए जाने पर उसने गुस्से में आकर अपने 2 साथियों के साथ मिल कर कारू तांती की हत्या कर दी।
23 नवम्बर को मुम्बई लोकल ट्रेन में सीट को लेकर हुए झगड़े में एक 16 वर्षीय किशोर ने अंकुश भालेराव नामक 35 वर्षीय एक यात्री की चाकू घोंप कर हत्या कर दी। 27 नवम्बर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के ‘हर्ष विहार’ इलाके में लूटपाट का विरोध करने पर एक व्यक्ति की चाकू से गोद कर हत्या कर देने के आरोप में पुलिस ने एक नाबालिग सहित 5 आरोपियों को पकड़ा।
5 दिसम्बर को दक्षिण दिल्ली में ‘अर्जुन तंवर’ नामक एक युवक ने अपने माता-पिता तथा बड़ी बहन की हत्या कर दी क्योंकि ‘अर्जुन तंवर’ हमेशा यह महसूस करता था कि उसके माता-पिता उसकी तुलना में उसकी बड़ी बहन को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। 5 दिसम्बर को ही दुर्ग (छत्तीसगढ़) के ‘जेवरा’ गांव में एक विवाह समारोह में रसगुल्ले को लेकर हुए विवाद के परिणामस्वरूप एक नाबालिग ने चाकुओं से वार करके सागर ठाकुर नामक युवक को मार डाला।
6 दिसम्बर को रायचोटी (आंध्र प्रदेश) में जिला परिषद उर्दू स्कूल में सैय्यद अहमद नामक एक अध्यापक द्वारा 3 छात्रों को कक्षा में शोर मचाने से मना करने पर उन्होंने अध्यापक सैय्यद अहमद पर हमला कर दिया जिससे उसकी मौत हो गई। छह दिसम्बर को ही छतरपुर (मध्य प्रदेश) जिले के धमोरा गांव में सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल की 12वीं कक्षा के नाबालिग छात्र सदम यादव ने अपने एक साथी के साथ मिल कर अपने स्कूल के प्रिंसिपल एस.के. सक्सेना की गोली मार कर हत्या कर दी। प्रिंसिपल ने सदम यादव को मात्र इतना समझाया था कि “बेटा सुधर जाओ, बिगड़ो मत।”
सात दिसम्बर को कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के यारा गांव में पैसों के लेन- देन से तंग आकर शाहाबाद कोर्ट में कार्यरत कर्मचारी दुष्यंत ने अपने माता- पिता और पत्नी की हत्या करने के बाद कोई जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या कर ली। आरोपी ने अपने 13 वर्ष के बेटे को भी जहर खिला दिया था लेकिन उसे बचा लिया गया।आठ दिसम्बर को नोएडा के मंगरोली गांव में नौंवीं कक्षा के एक छात्र द्वारा अपनी भाभी से शादी करने की खातिर अपने भाई की हत्या कर देने का मामला सामने आया। नाबालिग छात्र का कहना है कि उसके अपनी भाभी से अवैध संबंध थे और वह उससे शादी करना चाहता था।
यह तो सिर्फ चंद वारदातों की बानगी है। लगातार ऐसी वारदातों की झड़ी लगी है कहीं जरा सी डांट-फटकार पर किशोर बुजुर्ग दादी दादा का कत्ल करने से नहीं चूक रहे हैं तो कहीं सरेराह गोली चाकू मारकर हत्या कर रहे हैं । कई बार शातिर अपराधियों के गिरोह किशोरों से हत्या लूट जैसी वारदातों को अंजाम दिला रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि किशोर अपचारियों को कुछ समय सुधारगृह में रखकर छोड़ दिया जाएगा।
किशोर अपचारियों के लिए बनाए गए कानून ही अब बाल व किशोरों को एक से बढ़कर एक संगीन अपराध करने के लिए गलत प्रेरणा का माध्यम बन गए हैं।
ओटीटी प्लेटफार्म , सोशल मीडिया पर अनियंत्रित हिंसा सेक्स की उलजलूल रील तथा फिल्मों में हिंसा के चित्रण से बाल मनोवेग दूषित हो रहा है । इसके अलावा युवाओं में बढ़ रही इस हिंसक प्रवृत्ति के अन्य प्रमुख कारणों में अभिभावकों की बच्चों के प्रति उदासीनता, धार्मिक व सामाजिक संगठनों की नकारात्मक भूमिका आदि शामिल हैं।आजकल हमारे समाज में बच्चों को नैतिकता, सदाचार और आत्मानुशासन सिखाने के स्थान पर झूठ, कपट और बिना मेहनत किए सुगम रास्ते से अधिकाधिक धन कमाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
अतः इस समस्या से बचने के लिए न केवल शिक्षा संस्थानों में नैतिकता के आचरण को पाठ्यक्रम में शामिल कर उसके व्यवहारिक प्रशिक्षण को लागू करने की जरूरत है वहीं धार्मिक सामाजिक संगठनों को भी आगे आना होगा । कर्मकांड और धार्मिक आचरण के साथ साथ मानवीय मूल्यों का महत्व जीवन में आत्मसात करने के लिए मानवता का पाठ पढ़ाने का पर्याप्त इंतजाम करना चाहिए। अभिभावकों को भी शुरू से ही अपने बच्चों के आचरण को परख कर मनोवैज्ञानिक तरीके से उनके आचरण को सुधारने की कोशिश करना चाहिए । बच्चे समाज के कर्णधार है, इनके चाल चरित्र की रक्षा करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।
(विनायक फीचर्स)
![Ad](https://shreekedardarshan.net/wp-content/uploads/2024/12/Ad-GauravGupta-1.jpeg)
![Ad](https://shreekedardarshan.net/wp-content/uploads/2024/12/Ad-NarendraMehra.jpeg)
![Ad](https://shreekedardarshan.net/wp-content/uploads/2024/12/Ad-JitendraChauhan.jpeg)
![Ad](https://shreekedardarshan.net/wp-content/uploads/2024/12/Ad-GauravGupta.jpeg)