वर्दी का रौब- दाब…. थाने में कैमरा चलाया तो भेज दूंगा नोटिस

खबर शेयर करें -

वर्दी का रौब- दाब…. थाने में कैमरा चलाया तो भेज दूंगा नोटिस

हल्द्वानी। सुनो मेरे दफ्तर में कैमरा मत चलाना, अगर चलाया तो (सीआरपीसी पुराना कानून संबंधित दरोगा की जुबां का नोटिस दे दूंगा…) यह बात काठगोदान थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट थाने में तब कही जब भीमताल विधानसभा क्षेत्र के रौसिला गांव के दर्जनों ग्रामीण फरियाद लेकर उनके पास पहुंचे थे। इस दौरान ग्रामीणों की जायज मांग को लेकर कवर करने के लिए प्रेस 15 न्यूज संवाददाता भी मौके पर थे। और यही  धमकी भरे शब्द थाना इंचार्ज के मुंह से निकले।

लेकिन प्रेस 15 न्यूज का कैमरा देखते ही दीपक बिष्ट ने दबंगई के अंदाज में कहा कि सुनो मेरे दफ्तर में कैमरा मत चलाना, अगर चलाया तो सीआरपीसी का नोटिस दे दूंगा।

थानाध्यक्ष को जवाब मिला कि ग्रामीणों का दर्द दिखाना कब से अपराध हो गया तो एसओ दीपक बिष्ट बोले – ये मैं नहीं जानता, बस मेरे दफ्तर में कैमरा नहीं चलेगा।

जवाब मिला कि कैमरा तो एसपी सिटी, सीओ और एसएसपी नैनीताल से मिलने आने वाले फरियादियों के सामने भी चलता है तो क्यों आपके दफ्तर में यह नियम है?

एसओ का जवाब आया कि ये मैं नहीं जानता आप मुझे विजुअल दिखाओ जब एसपी, एसएसपी के दफ्तर में आपने कैमरा चलाया हो।

जब इस मामले में प्रेस 15 न्यूज संवाददाता ने मौके से ही सीओ नितिन लोहनी का फोन किया तो उनका फोन नहीं उठ सका। हालाकि बाद में पता चला कि सीओ साइबर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बैठक में थे।

खैर, इसके बाद संवाददाता ने एसपी सिटी प्रकाश चंद्र को मौके से ही फोन मिलाया और एसओ के तुगलगी बयान के बारे में बताया। इसके बाद एसपी सिटी ने पूरे मामले की जानकारी मौके पर मौजूद राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू से ली। इसके बाद एसओ ने फोन लपक लिया और एसपी सिटी प्रकाश चंद्र को अपनी जुबान में मामले की जानकारी दी।

इसके बाद एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने फोन कट कर दिया। इसके बाद गुस्साए दर्जनों ग्रामीण थानाध्यक्ष के दफ्तर से बाहर आ गए और बाहर सीढ़ी में बैठकर अपना रोष जाहिर किया।

ग्रामीणों का कहना था कि आखिर थानाध्यक्ष अपने दफ्तर के भीतर ग्रामीणों से हुई बातचीत को क्यों ढकना चाहते हैं? क्या पत्रकार को वर्दी के दम पर धमकाना जायज है? आखिर मीडिया के कैमरे में वही तो रिकॉर्ड होता जो ग्रामीण और थानाध्यक्ष कहते, फिर क्यों सीआरपीसी की धमकी दी गई?

यह पहला मामला है जब किसी थानाध्यक्ष ने फरियादियों की पीढ़ा को दिखाने से रोका है वो भी थाने के अंदर। हैरानी की बात यह है कि जब काठगोदाम थानाध्यक्ष को यह बताया गया कि मीडिया का कैमरा तो एसपी एसएसपी के दफ्तर में भी चलता है तो उनका कहना था चलता होगा लेकिन मेरे दफ्तर में नहीं चलता।

ऐसे में आप आप ही कहिए इस मामले में पुलिस के किसी वरिष्ठ अधिकारी से क्या वर्जन लें। उनसे क्या पूछे कि आखिर क्यों आपके थानाध्यक्ष ने ऐसा व्यवहार दर्जनों ग्रामीणों के सामने किया? क्या यह नैनीताल पुलिस की मीडिया को डराने या दबाने की तैयारी है?

इधर, ग्रामीणों का कहना था कि बीते चार दिन में अराजक तत्वों ने उनकी दो बाईकों को आग के हवाले कर दिया। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। जबकि आरोपियों को पूरा गांव जानता है, फिर क्यों चंद दूरी पर स्थित काठगोदाम थाने की पुलिस के हाथ अराजकतत्वों तक नहीं पहुंचे।

काठगोदाम थाना पुलिस की सुस्ती का ही असर है कि क्षेत्र के दबंगों ने दो दो बाइक आग के हवाले कर दी।

थाने की सीढ़ियों में एसओ दीपक बिष्ट से फरियाद करते रौशीला के ग्रामीण

हालाकि ग्रामीणों की आक्रोश के बाद काठगोदाम थानाध्यक्ष ने आज शाम तक आरोपियों को धरपकड़ने का आश्वासन दिया है।

इस मौके पर प्रमुख राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू, पीड़ित नवीन जोशी, ग्राम प्रधान ललित मोहन तिवारी, रमेश चंद्र जोशी, सूरज जोशी, केवलानंद जोशी, पंकज संभल, राजेंद्र बनवाल, इंदर सिंह मेहता, प्रेम बल्लभ बृजवासी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे।

बताते चलें कि ये वही एसओ दीपक बिष्ट हैं जिनका विवादों से गहरा नाता रहा है। अपने कारनामों से कई बार खाकी को शर्मसार कर चुके दीपक बिष्ट लाइन हाजिर तक हो चुके हैं।

काठगोदाम थाने में पत्रकार से दबंगई दिखाने का प्रकरण जब तूल पकड़ा तो एसपी सिटी प्रकाश चंद्र और सीओ नितिन लोहनी ने एसओ दीपक बिष्ट को तलब किया गया। एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने एसओ दीपक बिष्ट से कहा कि आपका दफ्तर आपका व्यक्तिगत कक्ष नहीं है। ऐसे में आप किसी पत्रकार को खबर कवर करने से नहीं रोक सकते। भविष्य में ऐसी गलती न करें। क्योंकि ऐसी अनियमितताओं से पुलिस की छवि बेवजह खराब होती है।

Ad
Ad
Ad Ad Ad Ad

दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

Related Articles