असफलता या हार से बच्चे निराश हों तो उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं

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असफलता या हार से बच्चे निराश हों तो उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं

बचपन एक नाजुक समय होता है। छोटी-छोटी बातें भी बच्चों को बहुत प्रभावित कर सकती हैं। कई बार बच्चा किसी प्रतियोगिता में पूरी मेहनत करता है, लेकिन परिणाम आशा के अनुसार नहीं आते। तब वह खुद को नाकाम समझने लगता है। ऐसे समय में माता-पिता को बच्चे का सहारा बनना चाहिए।

*बच्चों को सिखाएं कि हार-जीत जीवन का हिस्सा है*

हर अनुभव कुछ सिखाता है। बच्चों को यह समझाएं कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि एक नया मौका है सीखने का। इससे बच्चे मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं।

*हर मांग तुरंत पूरी न करें*
अगर बच्चों की हर बात तुरंत मानी जाए तो वे धैर्य नहीं सीख पाते। उन्हें थोड़ा इंतजार करना सिखाएं। इससे वे योजना बनाना और लक्ष्य के लिए प्रयास करना सीखते हैं।

*हार को अपनाना सिखाएं*

बच्चों को यह समझाएं कि अगर किसी प्रतियोगिता में वे पीछे रह जाएं, तो यह बेहतर बनने का अवसर है। उन्हें अपनी मेहनत पर गर्व करना सिखाएं।

*सकारात्मक बातें करें*
जब बच्चा निराश हो, तो उससे उसके मजबूत पक्षों की चर्चा करें। हर विषय में अच्छे न होने पर चिंता नहीं करें, बल्कि छोटे सुधार की सराहना करें।

*समस्याओं का हल खुद खोजने दें*
बच्चों को उनके काम खुद करने दें। जब वे मुश्किल में हों, तो उन्हें हल ढूंढने के लिए प्रेरित करें।

*भावनाओं को पहचानना और व्यक्त करना सिखाएं*

बच्चों को अपनी भावनाओं को समझने और सही तरीके से कहने की आदत डालें।

*तुलना से बचें*

अपने बच्चे की तुलना किसी और से न करें। हर बच्चा अलग होता है और अपनी गति से आगे बढ़ता है।

*खुद मिसाल बनें*
बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता में देखते हैं। यदि आप कठिन समय में शांत और सकारात्मक रहते हैं, तो बच्चे भी ऐसा ही व्यवहार अपनाएंगे।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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