माननीयों की स्मार्ट सिटी में कई-कई दिनों तक नहीं होता कूड़ा उठान, फोन तक नहीं उठाते सुपरवाइजर
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माननीयों की स्मार्ट सिटी में कई-कई दिनों तक नहीं होता कूड़ा उठान, फोन तक नहीं उठाते सुपरवाइजर
सूखे—गीले कूड़े की कवायत हुई फेल
देहरादून। स्मार्ट सिटी देहरादून की साफ सफाई व्यवस्था की जांच परख के लिए नगर निगम द्वारा अपनी टीमों को मैदान में उतारा गया है वहीं एक क्यूआर कोड जारी कर आम लोगों से 10 सवालों के जरिए हाल—ए—हकीकत को जानने के जो प्रयास किये जा रहे हैं उनकी सराहना की जानी चाहिए बशर्ते यह प्रयास ईमानदाराना ढंग से किए जाएं। तो हकीकत में दम भी नजर आए!
वर्तमान समय में शहर के कई हिस्सों में नियमित कूड़ा उठान नहीं हो पा रहा है। कई क्षेत्रों में बीते 4—5 दिनों से कूड़ा उठान नहीं हुआ है तथा कई क्षेत्रों में एक—दो दिन के अंतराल पर स्थानीय लोगों को कूड़ा उठाने आने वाली गाड़ी के दर्शन होते हैं। कई बार यह कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां इतनी जल्दी में होती है कि लोग अपने घरों का कूड़ा लेकर इन गाड़ियों के पीछे दौड़ लगाते देखे जाते हैं। हां इन गाड़ियों द्वारा कूड़ा उठान के चार्ज वसूली में कोई लापरवाही कतई नहीं की जाती है और तो बात छोड़ ही दीजिए अगर इनके एरिया सुपरवाइजरों को कोई नागरिक फोन मिलाकर अपनी समस्या बताना भी चाहता है तो उनके फोन तक नहीं उठते हैं।
राजधानी दून में कूड़ा उठाने की व्यवस्था सालों से जारी है। मगर कूड़ा उठान करने वाली कंपनियों के बीच हमेशा ही विवाद बने रहे हैं जिसके कारण कूड़ा उठान की यह व्यवस्था एक बड़ी समस्या ही बनी रही है। वर्तमान समय में अगर स्वच्छता अभियान की रैंकिंग में सुधार के लिए कुछ नए प्रयोग किये जा रहे हैं तो यह सुनने में बहुत अच्छा जरूर लग रहा है। देहरादून जिसका रैंकिंग में अभी भी 68वां स्थान है इन प्रयासों से कितना सुधर सकेगा यह आने वाला समय ही बताएगा। पर जब तक वर्तमान समय की बात है उसे समझने के लिए यह 10 बातें ही काफी हैं। घर—घर कूड़ा उठान करने वाली गाड़ियां नियमित रूप से सभी क्षेत्रों में हर रोज नहीं आती।
इन गाड़ियों में गीला और सुखा कूड़ा अलग—अलग नहीं जाता है। मुख्य सड़कों पर भी नियमित सफाई नहीं होती है। घरों व संस्थानों में भी गीला और सूखा कूड़ा अलग नहीं रखा जाता है। सफाई कर्मी किसी के घर कूड़ा लेने नहीं जाते। घर व संस्थाओं के लोग खुद ही गाड़ी तक कूड़ा डालने जाते हैं। सार्वजनिक शौचालयों की सफाई व्यवस्था कभी बेहतर नहीं रही है। सड़कों पर कूड़ादान लगे होने के बाद भी कूड़ा बाहर फैला रहता है अगर क्षेत्र के स्वच्छता सुपरवाइजर आदि को कोई फोन भी करता है तो उसका फोन नहीं उठता है।