उपनल कर्मियों के सापेक्ष कम मानदेय पर कार्य कर रहे हैं उच्च शिक्षा के शिक्षक।

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मुख्यमंत्री के मॉडल जिले में अपमान का घूट पी रहे हैं बीएड कॉलेज के शिक्षक।

स्व वित्त पोषित को राज्य वित्त पोषित करने की लगातार मांग को किया जा रहा है अनसुना।

उपनल कर्मियों के सापेक्ष कम मानदेय पर कार्य कर रहे हैं उच्च शिक्षा के शिक्षक।

लोहाघाट। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के मॉडल जिले में भले विकास का पहिया तेजी से घूमता जा रहा है लेकिन जिले के एकमात्र राजकीय पीजी कॉलेज में संचालित बीएड शिक्षकों व यहां अध्यनरत छात्र-छात्राओं की तकदीर नहीं बदली है। यहां शिक्षक अपमान का घूट पीकर अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिक्षक जहां 26,250 मानदेय के रूप में प्राप्त कर रहे हैं वहीं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के उपनल कर्मियों को 25हजार मानदेय मिल रहा है।

वर्ष 1908-09 में स्थापित इस बी एड कॉलेज में तीन तरह के कर्मियों की तैनाती की गई है। स्व वित्त पोषित कॉलेजो में शिक्षकों की तैनाती शासन स्तर पर गठित कमेटी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापनों के आधार पर की जाती है, जबकि अन्य शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति उपनल व पीआरडी के माध्यम से होती है। पिछले पंद्रह वर्षों में स्व वित्त पोषित बी एड कॉलेजो की कोई नियमावली नहीं बनी है। वर्ष 2016 में शिक्षकों का वेतन मात्र पांच फीसदी बढ़ाया गया जबकि अन्य छोटे कर्मचारियों का कई बार वेतन बढ़ चुका है। स्व वित्त पोषित बी एड कॉलेज में छात्रों से 35 हजार शुल्क लिया जाता है, जबकि राजकीय बी एड कॉलेज में मात्र 8 हजार से भी कम सालाना देने पड़ते हैं।

स्व वित्त पोषित कॉलेज में छात्रों की फीस पर ही शिक्षकों आदि को मानदेय दिया जाता है। अभी तक इस अवधि में शिक्षण शुल्क में कोई भी वृद्धि नहीं की गई है, जिससे शिक्षकों के मानदेय में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है। मजे की बात यह है कि ऊपर से शिक्षकों की नियुक्ति बगैर मेरिट व आरक्षण से की जाती है। उपनल कर्मियों को मेडिकल की भी सुविधा मिलती है। इसके विपरीत शिक्षक अपमान का घूट पीते आ रहे हैं। यहां आठ शिक्षकों में अब मात्र तीन शिक्षक रह गए हैं।

इस अपमानजनक स्थिति में कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति शैक्षणिक कार्य के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। क्षेत्रीय लोग लंबे समय से इस बी एड कॉलेज को राज्य वित्त की श्रेणी में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं किंतु मॉडल जिले में भी उनकी तकदीर नहीं बदल रही है। इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है कि तृतीय श्रेणी के उपनल कर्मियों की शुरुआती नियुक्ति साढे छः हजार रुपए से हुई थी जो आज 25 हजार प्राप्त कर रहे हैं, किंतु उच्च शिक्षा प्राप्त कर यहां शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षकों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई है।

ऐसे माहौल में हम बेचारे शिक्षकों से क्या कर सकते हैं उम्मीद? विधायक।

लोहाघाट। क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी बी एड शिक्षकों की हालत देखकर उन्हें स्वयं उनपर तरस आ रहा है कि वे ऐसे हालातों में कैसे काम कर रहे होंगे? इसके बावजूद उन्हें अपनी सेवाएं देने के लिए मैं उनका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें यह आश्वस्त करता हूं कि अब यह समस्या उनकी नहीं क्षेत्रीय विधायक होने के नाते मेरी होगी। मेरे संज्ञान में यह बात नहीं लाई गई। अब मैं पूरी ताकत के साथ शिक्षकों को उनका मान सम्मान दिलाकर ही दम लूंगा।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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