बुजुर्गों की सेहत और स्वास्थ्य बीमा

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दया जोशी

बुजुर्गों को सेहत के लिहाज से  स्वास्थ्य बीमा की सबसे ज्यादा जरूरत है। सभी अपने घर के बड़े-बूढ़ों का खयाल रखने की कोशिश करते हैं। मगर उनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर अपेक्षित नीतिगत व्यवस्था की कमी रही है। खासकर ढलती उम्र में उनके स्वास्थ्य का खयाल रखने के लिए बीमा जैसी व्यवस्था में भी अभी तक उनके लिए पर्याप्त जगह नहीं रही।

अब किसी भी उम्र का व्यक्ति नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकता है। पहले इसे खरीदने के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 साल थी, लेकिन इसे खत्म कर दिया गया है। बीमा नियामक इरडाई (IRDAI) ने हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से संबंधित नियमों में बड़ा बदलाव किया है और पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्तियों के लिए 65 साल की आयु सीमा हटा दी है। इससे पहले ग्राहक केवल 65 साल की उम्र तक ही नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते थे।

वर्तमान में बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा के मामले में भारत एशिया-प्रशांत देशों में सबसे निचले पायदान पर है। एशियाई विकास बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत को तेजी से बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सबको स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाना बेहद आवश्यक है। हालांकि  आयुष्मान भारत जैसी योजना आने के बाद से बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य से संबंधित सुविधाओं का विस्तार हुआ है, लेकिन देश के हित में इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, बदलती स्थितियों में बुजुर्गों को अपनी सेहत के लिहाज से ज्यादा संसाधनों की जरूरत पड़ती है। परिवार और समाज के अतिरिक्त व्यवस्थागत ढांचे में कुछ ऐसे नियम-कायदे हैं, जिनमें कई बार बुजुर्गों को या तो उपेक्षा झेलनी पड़ती या फिर उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं कम मिलती हैं

वास्थ्य के क्षेत्र में बीमा के मामले में देखें तो ज्यादा उम्र के लोगों के लिए जैसी शर्तें रखी गई हैं, उसमें उनका कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता। हालांकि अब बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने बुजुर्गों को भी बीमा खरीदने की सुविधा प्रदान कर दी है। पर स्वास्थ्य बीमा का खर्च कम और उनकी पहुंच में होना चाहिए। इस संदर्भ में देखें तो एशियाई बैंक विकास की ताजा रिपोर्ट नीतिगत स्तर पर ठोस पहल की जरूरत को रेखांकित करती है।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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