सरकार बंद पड़ी भीमताल औद्योगिक घाटी में युवाओं के लिए शीघ्र खोले रोजगार के द्वार- बेरोजगार संघ
सरकार बंद पड़ी भीमताल औद्योगिक घाटी में युवाओं के लिए शीघ्र खोले रोजगार के द्वार- बेरोजगार संघ
बेरोजगार संघ अध्यक्ष पूरन चंद्र बृजवासी ने मुख्यमंत्री धामी को भेजा था मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल माध्यम से ज्ञापन और सिडकुल की जाँच, यहाँ रोजगार खोलने एवं स्थानीय लोगों को 70 % रोजगार उपलब्ध कराने की मांग रखी थी।
मुख्य विकास कार्यालय से मुख्य विकास अधिकारी अशोक कुमार पांडेय द्वारा पत्र पर जवाब मिला कि आपके ज्ञापन को मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार तक भिजवाने हेतु जिलाधिकारी नैनीताल को मांग पत्र सहित आपकी माँग प्रेषित की गई है।
भीमताल विधानसभा क्षेत्र बेरोजगार संघ अध्यक्ष पूरन चंद्र बृजवासी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के समय से भीमताल विधानसभा व उसके आसपास के क्षेत्रों के पलायन को रोकने एवं लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के द्वारा भीमताल औद्योगिक घाटी सिडकुल की नींव रखी गयी थी।
उन्होंने कहाँ कि 80 से 90 के दशक में यहां पर औद्योगिक संस्थान माननीय विकास पुरुष स्व. नारायण दत्त तिवारी द्वारा बसाये गये थे, भीमताल, ओखलकाण्डा, रामगढ, धारी आदि दर्जनों क्षेत्रों के ‘पलायन को रोकने के लिए’ और स्थानीय लोगों को घर समीप ही रोजगार देने के लिए इस सिडकुल का निर्माण किया गया था, जिसके चलते भीमताल औद्योगिक घाटी में धीरे-धीरे चहल-पहल बढ़ने लगी और साथ ही एक से एक नामी-जानी कंपनिया भीमताल सिडकुल में स्थापित हुई जिससे कई हजारों परिवारों के लिए रोजगार के द्वार खुले l
बेरोजगार संघ अध्यक्ष बृजवासी ने कहाँ कि धीरे-धीरे सन् 2000 तक एक के बाद एक कंपनिया अपना प्रॉफिट कमाकर बंद होती गई और यहां से जाती रही। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सिडकुल विरान घाटी में तब्दील हो गया अब हाल ये है कि सिडकुल की कई एकड़ भूमि घनी झाड़ियों से ढक गयी पूर्व की मानी जानी कंपनीयों की बिल्डिंग आज खण्डर बन चुकी है ऎसे में जिस उदेश्य से भारत सरकार ने भीमताल सिडकुल का चयन किया उसका फल यहां के लोगों को नहीं मिल सका।
बीते 24 सालों में भीमताल विधानसभा व उसके आसपास के क्षेत्रों के युवाओं को भीमताल सिडकुल छोड़कर अन्य राज्यों में व तराई के सिडकुल में रोजगार के लिए धक्के खाने पर मजबूर होना पड़ा, ऎसा नहीं है कि भीमताल सिडकुल खुलवाने के लिए लोगों ने कोशिश न कि “उत्तराखंड राज्य निर्माण होने के उपरांत” भीमताल विधानसभा के न जाने कितने जन-प्रतिनिधियों, समाज सेवीयों व बेरोजगार युवाओं ने कितनी बार सरकार से माँग की लेकिन ‘सरकार किसी की भी रही हो’ अब तक भीमताल सिडकुल को अनदेखा ही किया गया।
बृजवासी ने कहां आज तक सरकार जिस पलायन को रोकने के लिए बड़ी-बड़ी बाते करती है, उन बातों का असर धरातल पर होते क्यों नहीं दिखता, अब राज्य सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अरबों रुपये के निवेश से स्थापित भीमताल औद्योगिक घाटी में ‘कुशल व अर्ध्दकुशल’ दोनों के लिए रोजगार के द्वार खोले, साथ ही बृजवासी ने बताया कि आज कई स्थानीय डिग्री धारी युवा अपना खुद का रोजगार खोलने के लिए भीमताल सिडकुल घाटी में प्लाटों की माँग कर रहे हैं ताकि खुद व स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ सके उनके लिए शासन-प्रशासन को शीघ्र जमीन देनी चाहिए ताकि फिर से भीमताल औद्योगिक घाटी के अच्छे दिन आ सके और भीमताल के आस-पास के कई हजारों परिवारों को अपने ही घर समीप रोजगार भी मिल सके।
उन्होंने कहा कि वे स्वयं भीमताल सिडकुल में औद्योगिक इकाइयों को खुलवाने के लिए कई बार शासन-प्रशासन के कई मुख्य प्रतिनिधियों से माँग भी कर चुके हैं लेकिन इस ओर अब तक किसी के द्वारा कोई भी विशेष रुचि नहीं ली गई लेकिन अब सरकार को लेनी होगी ताकि विधानसभा क्षेत्र पहाड़ के स्थानीय बेरोजगारों को पलायन न करना पड़े, इसी उद्देश्य से कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नैनीताल मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय से उन्होंने शीघ्र कार्यवाही हेतु ज्ञापन पत्र भेजा था जिस पर विकास भवन मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय से मुख्य विकास अधिकारी अशोक कुमार पांडेय का जवाब पत्र बृजवासी को मिला जिसमें मुख्य विकास अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भिजवाने हेतु जिला अधिकारी नैनीताल को प्रेषित किया गया है I