आज से जिले के सभी थानों, चौकियों, कोतवाली में एक साथ चलेगा “हेलमेट पहनो अभियान
अब हेलमेट पहनने के लिए घर से बाइक में चलने से पहले पिता ही बच्चों को भेजेंगे हेलमेट पहना कर ।
आज से जिले के सभी थानों, चौकियों, कोतवाली में एक साथ चलेगा “हेलमेट पहनो अभियान ”
चंपावत। मॉडल जिले की पुलिस बाइकर्स कि हेलमेट पहनने की शुरुआत अब उसके घर से करेगी जिसमें बाइकर्स के पिता ही अपने बेटे को घर से हेलमेट पहनकर बाहर भेजेंगे। हेलमेट के अभाव में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस आज से जिले की सभी कोतवाली, थाना व वह चौकिया में यह अभियान शुरू करेगी की बगैर हेलमेट के चलने वाले लोगों का दुपहिया वाहन सीज कर उसे तब तक रिलीज नहीं किया जाएगा जब तक की उसके पिता यह निकटतम अभिभावक इस बात को लिखित रूप में पुलिस को नहीं देंगे की उनका पाल्य अब कभी बगैर हेलमेट के यात्रा नहीं करेगा। यदि उसके पास अपना हेलमेट नहीं है तो उसके लिए उसी वक्त कंपनी वाला हेलमेट खरीदकर उसे पहनाने के बाद ही छोड़ा जाएगा।
जनपद में चल रहे सड़क सुरक्षा अभियान की समीक्षा करते हुए एसपी अजय गणपति का कहना है कि युवाओं के बगैर हेलमेट पहनने एवं तेज रफ्तार से चलने आदि से होने वाली दुर्घटनाओं को माता-पिता या परिवार को ही झेलना पड़ता है । जिसमें या तो बच्चा उन्हें जीवन भर के लिए सदमा दे जाता है या अपंगता से अपना जीवन बर्बाद कर देता है। ऐसी स्थिति में परिवार के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह बच्चे को घर से ही हेलमेट पहनाकर उसे बाहर जाने की आदत बनाएं।
एसपी का कहना है कि हर माता-पिता के अपने बच्चों को लेकर बड़े अरमान होते हैं।दुख तब होता है जब बच्चा 20 हजार रुपए का मोबाइल का साथ नहीं छोड़ता लेकिन एकहजार रुपए में जीवन बचाने वाला हेलमेट नहीं पहनता है। उन माताओं से पूछो जिनका लाडला यदि हेलमेट पहना होता तो वह उनके बीच होता। उस दर्द को मां-बाप के सिवा कौन जानता है? इन बातों को कहते हुए स्वयं एसपी इतने भावुक हो जाते हैं कि उनका कहना है कि जिले के हर घर से यह संदेश आना चाहिए कि हेलमेट बाइकर्स की सुरक्षित यात्रा के लिए उसकी एक अनिवार्य आवश्यकता है। लोग पुलिस को देखकर हेलमेट पहनते हैं, ऐसा कर वह स्वयं को धोखा देते हैं क्योंकि दुर्घटना होने पर इसका शिकार तो वही होगा जबकि पुलिस बार-बार आगाह कर उसे हेलमेट पहनने के लिए कह रही है।
एसपी ने इस अभियान को व्यापक जन सहयोग से संचालित करने पर जोर देते हुए कहा कि घर के माता-पिता तो उसे हेलमेट पहनने के लिए ही कहेंगे यदि वह कभी बिना हेलमेट चलता है, समाज के जागरूक लोगों, बुद्धिजीवियों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, प्राध्यापकों का भी एक नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि वह उस बच्चे को रोककर उसे हेलमेट पहनने के लिए विवश कर उनका जीवन बचाने में सहयोग करें।
फोटो- सड़क सुरक्षा अभियान के तहत निकाली गई जागरूकता बाइक रैली