मकर संक्रांति से (एक माह तक) गाय के घी की गुफा”घृत कमल” में विराजमान रहेंगे भोलेनाथ जागेश्वर ज्योतिर्लिंग
अल्मोड़ा(उत्तराखण्ड): मकर संक्रांति से (एक माह तक) गाय के घी की गुफा”घृत कमल” में विराजमान रहेंगे भोलेनाथ जागेश्वर ज्योतिर्लिंग
हेमंत भट्ट (कैलाश), प्रधान पुजारी
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जागेश्वर धाम भगवान शिव को समर्पित 125 मंदिरो का समूह है, यह मुख्य अल्मोड़ा शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर है. विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. माघ माह के प्रथम दिन मकर संक्रांति को ज्योतिर्लिंग जागेश्वर मंदिर में प्राचीन परंपराओं के अनुसार शिवलिंग को गाय के घी से गुफ़ा तैयार कर एक महीने के लिए ढक दिया जाता है, यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है. गुफा बनाने के लिए गाय के घी को पानी के साथ पिघलाया जाता है. इसके बाद इसे ठंडा कर इसकी गुफा जैसी आकृति बनाई जाती है. विशेष पूजा-अर्चना के बाद शिवलिंग को घी की गुफा ‘घृत कमल’ से ढक दिया जाता है. इसके बाद पूरे एक महीने तक श्रद्धालु इसी तरह से भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। एक माह बाद उस पवित्र गुफा रुपी घी को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जिससे कई असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
मकर संक्रांति वह समय होता है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू करता है यानी सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ता है। माघ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि 14 जनवरी को सुर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस खगोलीय घटना के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा, और शुभ लग्न कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे पुण्यकाल के लिए विशेष दिन माना जाता है। इसका पुण्यकाल दिन भर रहेगा। स्नान दान के लिए यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जागेश्वर ज्योतिलिंग धाम के मुख्य पुरोहित पंडित हेमन्त भट्ट “कैलाश” कहते हैं कि मकर संक्रांति वह समय होता है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू करता है यानी सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ता है। यह घटना साल में एक बार होती है और दिन-रात की अवधि में संतुलन लाने का प्रतीक है।