चुनाव खत्म,नाराजगी खत्म अब पलायन रोकने और विकास की नई दिशा तय करें जन प्रतिनिधि

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चुनाव खत्म,नाराजगी खत्म अब पलायन रोकने और विकास की नई दिशा तय करें जन प्रतिनिधि

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया अब पूर्ण हो चुकी है। नई पंचायते बन गई हैं,नई आशाएं जन्म ले चुकी हैं। यह समय है मतभेदों और नाराजगी को पीछे छोड़ने का और एकजुट होकर गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित होने का। राज्य की ग्रामीण जनता ने जनप्रतिनिधियों पर विश्वास जताया है। यह विश्वास सिर्फ एक कुर्सी का नहीं,बल्कि गांवों को सशक्त बनाने और पलायन जैसे भयावह संकट को रोकने की जिम्मेदारी का प्रतीक है। अब क्या करें पंचायतें-बेरोजगारी और आजीविका के विकल्प,विशेषज्ञ मानते हैं कि गांवों में सबसे बड़ी समस्या रोजगार के अवसरों की कमी है। हर साल हजारों लोग अपने घर-बार छोड़कर पलायन को मजबूर हो रहे हैं। इस पर नियंत्रण के लिए पंचायतों को आत्मनिर्भर योजनाएं लागू करनी होंगी। फल पट्टियों का विकास हर गांव की भौगोलिक व जलवायु अनुकूलता के अनुसार आम,सेब,लीची,अखरोट,आड़ू,नींबू,खुमानी,केला जैसे फलों की खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीणों को स्थायी आमदनी का जरिया उपलब्ध कराया जा सकता है।

औषधीय पौधों की खेती हिमालयी क्षेत्र औषधीय पौधों का खजाना है। यदि इनका वैज्ञानिक ढंग से उत्पादन और विपणन किया जाए तो यह न केवल रोजगार देगा बल्कि पारंपरिक ज्ञान भी सुरक्षित रहेगा। फूलों की खेती-कम लागत,अधिक लाभ गुलाब,गेंदा,लिली जैसे फूलों की खेती से ग्रामीणों को कम लागत में अच्छा मुनाफा हो सकता है। यह क्षेत्र महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी बन सकता है। कुटीर उद्योग एवं हस्तशिल्प शहद उत्पादन,मसाला पैकिंग,जैविक उत्पाद,लकड़ी और बांस आधारित शिल्प,ऊनी वस्त्र इत्यादि जैसे घरेलू उद्योगों को पंचायत स्तर पर बढ़ावा देकर युवाओं को स्थानीय रोजगार मिल सकता है।

गरीब परिवारों को संबल इन योजनाओं से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ताकत मिलेगी। जब रोजगार और संसाधन गांव में होंगे,तो पलायन रुकना निश्चित है। अब समय है एकजुटता का,विकास की नई इबारत लिखने का। जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि चुनावी खटास को पीछे छोड़ते हुए चुनाव खत्म-नाराजगी खत्म का संदेश दें और हर पंचायत सशक्त-हर गांव खुशहाल के संकल्प के साथ आगे बढ़ें। गांव की ताकत पंचायत में है और पंचायत की ताकत जन-प्रतिनिधियों की सोच और समर्पण में।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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