– प्रेमनगर के डा. हरीश्चंद्र पाठक हैं “सुआ अइजा” गीत के रचनाकार

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कला और संस्कृति

पहाड़ की सांस्कृतिक धरोहर और घर वापसी का आह्वान गीत सुआ अइजा रिलीज

– प्रेमनगर के डा. हरीश्चंद्र पाठक हैं इस गीत के रचनाकार

दया जोशी
चंपावत। संगीत की दुनिया में एक नई आवाज़ के साथ नुक़्ता ने छह सितंबर को अपना पहला गीत सुआ अइजा रिलीज़ किया है। सुआ अइजा इसका शीर्षक उत्तराखंड के प्रिय फल काफल से प्रेरित है, बदलते मौसम और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की भावना को बड़े ही भावुक अंदाज़ में पेश करता है। इस गीत में संगीत के अलग-अलग क्षेत्रों के दिग्गजों ने अपनी कला का जौहर दिखाया है। गीत की कहानी उस कविता से शुरू होती है, जिसे नुक़्ता के पिता डा. हरीश चंद्र पाठक ने तब लिखा था जब वे भी पहचान और अपने घर से जुड़ाव के सवालों से जूझ रहे थे।

डा. पाठक ने लोहाघाट क्षेत्र में पर्यावरण और सांस्कृतिक विकास के लिए सक्रिय रूप से कार्य करते हुए पर्यावरण पर गहराई से लिखा और रचा है। डा. पाठक चाहते हैं उनका यह गीत लोगों के लिए अपने घर लौटने और अपनी मातृभूमि की प्रगति में योगदान देने का आह्वान बने। यह गीत उत्तराखंड की समृद्ध परंपराओं और प्रकृति की सुंदरता में गहराई से रचा-बसा है। गोवा के साथ ही अब वह लोहाघाट के प्रेमनगर स्थित अपने घर से सांस्कृतिक गतिविधियों की शुरुआत करने जा रहे हैं। गीत सुआ अइजा को स्पॉटिफाई, एप्पल म्यूज़िक और यूट्यूब म्यूज़िक पर सुन सकते हैं। अधिक अपडेट के लिए आप नुक़्ता को इंस्टाग्राम पर @thenuqtaproject पर फ़ॉलो कर सकते हैं।

सुआ एइजा अलग-अलग संगीतकारों की आत्माओं का है मिलन
चंपावत।इस रचना को जीवंत करने के लिए एक साथ आए इजराइली गिटारिस्ट ह्वेटर, ड्रमर लियोर बेलाइश, सारंगी उस्ताद संगीत मिश्रा, ऑल येलो बैंड के बेसिस्ट तारस, मिक्सिंग इंजीनियर जुआन अराबेल और अर्जेंटीना के मास्टरिंग इंजीनियर निको पेस्टरिनो का सहयोग रहा है। इस गीत को एक समकालीन और शाश्वत रंग देने में नील एंड्रयूज ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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